सोमवार, 26 मार्च 2018

कविता : चिड़िया

" चिड़िया " 

चिड़िया बैठी थी दो - चार, 
पेड़ पर अपने पंख पसार | 
बिना कष्ट बिना मेहनत के,
नहीं मिलता यहाँ आराम | 
उनके जीवन में होता है, 
बस काम ही काम | 
चाहे दिन हो, चाहे शाम, 
फिर भी नहीं करती आराम || 
न कोई है उसके पास वाहन, 
न कोई है जाने का साधन | 
फिर भी अपनी मेहनत से, 
उड़ जाती है आसमान तक |  
चिड़िया बैठी थी दो - चार, 
पेड़ पर अपने पंख पसार |  

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं समीर जो की बहुत अच्छा गीत गाते हैं | कवितायेँ भी बहुत लिखते हैं अधिकतर प्रकति पर लिखते हैं | समीर के चेहरे हमेशा हंसी बानी ही रहती है | 

रविवार, 25 मार्च 2018

कविता : एक बात

" एक बात "

सपनों में पली एक बात, 
नहीं बता पायेंगें हम | 
नहीं रहेगी ये खुदगर्ज दुनियाँ,, 
नहीं रहेंगें हम | 
बढ़ गई है ये दुनिया, 
नहीं बदले हम | 
दुनियाँ की खोज में,
 निकल पड़े हम |  
 नहीं मिली दुनिया, 
यहीं रह गए हम | 

नाम :  नितीश कुमार, कक्षा : 7th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं नितीश जो की बिहार के रहने वाले हैं | नितीश पढ़ाई में हमेशा कोशिश करते रहते हैं | कवितायेँ भी बहुत अच्छा लिखते हैं |  

शनिवार, 24 मार्च 2018

कविता : विलाप करके क्या फायदा

" विलाप करके क्या फायदा "

सोच - सोचकर सपने देखकर,
विलाप करके क्या फायदा | 
मन की अचरज बात को सोचकर,
सहमे जिंदगी जीने का क्या फायदा | 
चिंता के साथ क्या जीना,
जो जिन्दा व्यक्ति को मुर्दा घोषित करदे | 
ये जीवन का चक्कर भी,
क्या - क्या बना देता हैं | 
इस साठ साल की जिंदगी में ,
 हर लम्हा यादगार बना देता है | 

नाम : विक्रम कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 


कवि परिचय : यह है विक्रम कुमार जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | विक्रम के चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहती है | कविताऍं ऐसी लिखते हैं मानो  उसमें जान फूक दिए हो | अभी तक विक्रम ने बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं |  

शुक्रवार, 23 मार्च 2018

कविता : मुस्कुराना सीखा

" मुस्कुराना सीखा "

बच्चों से मैंने मुस्कुराना सीखा, 
जो बनाते हैंनया अफ़साना | 
मुझे अभी बहुत कुछ है सीखना, 
अभी बहुत कम जो मैंने है सीखा | 
 फिर मुझे भी है किसी को सिखाना, 
अपनी सारी बातें किसी को बताना | 
मुझे भी हैं अपने फ़साने को बताना,
अपने सोए हुए अरमानों को जगाना | 
बच्चों से मैंने मुस्कुराना सीखा, 
जो बनाते हैंनया फ़साना | 

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहाबाद के रहने वाले हैं जो कक्षा 7th में अपना घर परिसद में पढ़ते हैं | कवितायेँ लिखने के साथ - साथ गाना भी बहुत अच्छा गाते हैं | 

गुरुवार, 22 मार्च 2018

कविता : बच्चों की माँ

" बच्चों की माँ "  

मैंने देखा घोसले को बार बार 
जिसमें बैठे थे बच्चे चार | 
लगी थी जिसको भूख और प्यास, 
कर रहे थे अपनी माँ का इंतज़ार | 
जब चिड़िया चोंच में दाना लाई, 
अपने बच्चे के मुँह में खिलाई  | 
बड़ी मुश्किल से दाना ला पाती, 
तब वह उनके पेट भर पाती | 
हर कठिनाइयों का सामना करती, 
 पर बच्चों को भूखा नहीं रखती | 
हर पल और हर घड़ी, 
वह रखती है बच्चों का ध्यान | 
काश सबको ऐसी ही माँ मिले, 
जो बच्चे कभी भी न भूले | 

नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर


कवि परिचय : शाँत स्वभाव के रहने वाले नितीश कुमार कक्षा 7th में पढते हैं  और अपनी कविताओं में ममता का प्यार जैसे भरी कविता लिखते हैं |  जिंदगी से बहुत अरमान हैं कुछ बनने के | 

कविता : मैं वो हवा नहीं जो

" मैं वो बहता हवा नहीं जो "

मैं वो बहता हवा नहीं जो,
हिमालय से टकराकर मुड़ जाता हूँ | 
मैं पल भर का मौसम नहीं जो,
पल भर में बदल जाता हूँ | 
मैं तो वो ऐसा सक्श हूँ, 
जो जिंदगी की राह में | 
लाखों सपने सजाता हूँ, 
क्या करूँ मैं उन सपनों को | 
जिस सपनों को  मैंने सजाया, 
उन सपनों के वजह से ही | 
मैं यहाँ तक आया हूँ, 
निगाहें हैं मेरी उन सपनों पर | 
जिसने मेरी जिंदगी को सरल बनाया | | 

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं, यह अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | नृत्य करना, कवितायेँ लिखना और क्रिकेट खेलना इनको बहुत अच्छा लगता है | बड़े होकर एक फिलॉस्फर बनना चाहते हैं | 

बुधवार, 21 मार्च 2018

कविता : काले बादल

" काले बादल " 

पहले काले बादलों ने डराया ,
फिर समंदर जैसे पानी बरसाया | 
बारिश का भी दिन आया,
बूंदों का भंडार लाया | 
गर्मी का तापमान गिराया, 
मेंढक भी खूब टर्र टर्राया | 
किसानों का भी मन बहलाय,
बंजर जमीं को खूब भिगाया |  
बारिश का यही है माया,
कहीं धूप तो कहीं है छाया | 

नाम : कामता कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर 



मंगलवार, 20 मार्च 2018

कविता : सर्दी

" सर्दी "

सर्दी की हुई विदाई,
आ गई है गर्मी भाई | 
सूरज दादा आग उगलता, 
इसमें संसार है उबलता | 
मासूम से चेहरे पर पसीना भरा, 
लू जिसको लगा वो मरा | 
सर्दी में की है खूब मस्ती, 
गर्मी में न करो जबरदस्ती | 
जो इसके चक्कर में पड़ा, 
उसकी सामत फिर आयी |  
सर्दी की हुई विदाई,
आ गई है गर्मी भाई | 

नाम : अखिलेश कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं अखिलेश मन के मौजी दिल से सच्चा | कविताओं में डैम रखते हैं और मन से लिखते हैं जिससे सभी को पढ़ने में मजे आये | बड़े होकर एक सॉकर प्लेयर बनना चाहतें हैं | 

कविता :गर्मी

" गर्मी "

गर्मी के सीज़न ने ,
कर दिया सबको बेहाल | 
अमीर लोगों ने कुर्सी लेकर,
बैठेंगे पंखे के पास | 
न जाने इस गर्मी ने कर दी, 
बिजली का बिल ज्यादा |  
बिजली का बिल देखकर, 
बहा दिए पसीना | 
अब समझ में आएगा, 
गर्मी का हर एक दिन | 
गर्मी के सीज़न ने, 
बहा दिया सबका पसीना  |  

नाम : संजय कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं संजय जो की झारखण्ड के रहने वाले हैं जब हजार पर थे तो इतनी अच्छी पढ़ाई नहीं थी लेकिन अपनाघर में पढ़कर कवतायें लिखने लगे हैं | स्वभाव से बहुत नरम दिल के हैं | 

सोमवार, 19 मार्च 2018

कविता : मौसम

" मौसम "

क्या मौसम  आया है,
सूरज भी कहर बरसाया है |
गर्मी से लोग हो गए बेहाल, 
पसीने ने कर दिया बुराहाल | 
बच्चे भी हो गए परेशान, 
छुट्टियाँ करेंगी काम आसान |
अभी बचे है चार महीने लगातार,
न जाने क्या होगा अपना हाल | 
क्या मौसम  आया है,
सूरज भी कहर बरसाया है | 

नाम : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : य ह हैं कुलदीप जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | डांस न इनका मनपसंद चीज हैं | कवितायेँ कम  लिखते हैं लेकिन मस्त कविता लिखते हैं | 

रविवार, 18 मार्च 2018

कविता : एक दिन

" एक दिन "

सोच रहा था मैं एक दिन,
कुछ अलग हो रहा हर दिन | 
सारे दिन बैठकर सोचें  हम,
मजे से झूमें और गाए हर दिन | 
कभी ख़ुशी हो कभी हो गम, 
लेकिन मत बैठाओ अपना मन | 
ऐसे ही जिए जीवन हम, 
हंसकर जिए जीवन हम | 

नाम : कामता कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर 


शनिवार, 17 मार्च 2018

कविता : अपवाहें

" अपवाहें "

फैली है चरों तरफ अपवाहें,
जाएँ तो हम कहाँ जाएँ |  
मंदिर मस्जिद जैसे बटें हैं घर ,
प्यार से रहने वाले हुए बेघर | 
शांति भी चारदीवारों में छिप गई, 
पीढ़ितों की चिल्लाहट भी गूँज रही | 
उम्मीद के परिंदे भी बैठ गए ,
इस सोच में पड़े रह गए | 
वो शांति भी आएगी, 
वो खुशियाँ भी आएगी |  

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर


 कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | यह बहुत शार्प माइंड के हैं इसीलिए कोई भी चीज को जल्दी पकड़ लेते हैं | जिंदगी में एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और उसी में फोकस कर रहे हैं | 

मंगलवार, 13 मार्च 2018

कविता : मेरी पुस्तक

" मेरी पुस्तक "

मेरी पुस्तक कुछ बोलती है,
अपने विचारों को खोलती है |
 ज्ञान का निर्माण कराती है,
रोते को हँसना सीखती है | 
भटके को मार्ग दिखाती है,
अन्याय से लड़ना सिखाती है | 
न मरती है न जाती है ,
बाँटने पर भी बढ़ती जाती है | 
मेरी पुस्तक कुछ बोलती है,
अपने विचारों को खोलती है | 

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जिनकी कविता में दम और जज्बा रहता है | पढ़ाई में बहुत ही होशियार है | हमेशा अपनी कविताओं का गुड़गान करता है | 

सोमवार, 12 मार्च 2018

कविता काश मैं एक किसान होता

" काश मैं एक किसान होता "

काश मैं एक किसान होता, 
फसलों को सही ढंग से उगाता | 
पौधों को भी पानी पिलाता, 
अलग अलग फसल उगाता | 
हरी - हरी खेतों को ,
फसलों को संसार को | 
फसलों को सही उगाता,
काश मैं एक किसान होता |  

नाम : अकीबुल अली , कक्षा : 3rd , अपनाघर 


कवि परिचय : अकीबुल अली असम के रहने वाले हैं यह इनकी पहली कविता जिसको इन्होने पहली बार लिखा है | पढ़ाई में थोड़ा कमजोर हैं लेकिन अच्छे बनने की कोशिश करते हैं | इनको बहुत अच्छा लगा की इन्होने खुद अपनी कविता लिखी | 

कविता : शिक्षा ग्रहण

 " शिक्षा ग्रहण " 

शिक्षा ग्रहण करना है तो, 
पहले विद्यार्थी बनना पड़ेगा | 
ज्ञान ग्रहण करना है तो,
पहले ज्ञानी बनना पड़ेगा | 
ज्ञान का समंदर बहना है तो, 
पहले समंदर बनना पड़ेगा | 
कुछ नया सीखना है तो, 
पहले गुरु बनना पड़ेगा | 
गुरु की जिज्ञासा लेकर, 
तुमको आगे बढ़ना पड़ेगा | 
और कुछ सीखना है तो, 
पहले किताब पढ़ना पड़ेगा |  
शिक्षा ग्रहण करना है तो, 
पहले विद्यार्थी बनना पड़ेगा |  

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह है समीर कुमार जो की इलाहबाद के रहने वाले है | पढ़ाई के साथ साथ गाना गाना बहुत पसंद है और एक गायकर बनना चाहते हैं | खेल में क्रिकेट बहुत पसंद हैं | पढ़ाई में बहुत अच्छे है | 

रविवार, 11 मार्च 2018

कविता ये बदलता मौसम,

" ये बदलता मौसम "

ये बदलता मौसम,
कुछ कहते क्यों नहीं |
चिड़िया की बसेरा,
उजड़ रहे हैं क्यों यूहीं |
क्या जो कुछ हो रहा है,
क्या ये सभी है सही |
ये बदलता मौसम,
कुछ कहते क्यों नहीं |

मनुष्य बड़े ही नादान है,
ज्ञान से सभी अनजान है | 
इनको कोई बताता क्यों नहीं ,
ये बदलता मौसम, 
कुछ कहते क्यों नहीं |

इस धरती ने ही हमें सवारी है, 
पर हमने ही इसे दी बीमारी है | 
क्या हमने की हैयह सही, 
ये बदलता मौसम,
 कुछ कहते क्यों नहीं | | 

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परीचय : यह है देवराज कुमार जो की बिहार के नवादा जिले से यहाँ रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | पढ़ाई में हमेशा एफर्ट करते है | बड़े होकर एक फिलॉस्फर बनना चाहते है या फिर एक अच्छे डांसर | 

गुरुवार, 8 मार्च 2018

कविता " कोयल "

 " कोयल "

कोयल एक अच्छा  प्राणी हैं,
जिसके पास मधुर वाणी है | 
इसमें संगीतों का भंडार है,,
क्या सुंदर और ताल है | 
मनुष्य को भाता है यह, 
काला है फिर भी गाता है यह | 
बहुत ही चंचल, अच्छा प्राणी  , 
रोज सुनाएगा आपको कहानी | 

नाम : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर

   

कवि परिचय : यह है कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपनाघर में रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं अपनी कविताओं का शीर्षक हमेशा जिव - जंतु पर रखते है | कविताएं लिखने के साथ -साथ डांस भी अच्छा कर लेते हैं | 

मंगलवार, 6 मार्च 2018

कविता : चिड़िया की चाह

"चिड़िया की चाह"

एक छोटी सी चिड़िया उड़ना चाहती है, 
इस संसार के आसमान को छूना चाहती है | 
छोटी है पर दिल के हौसले से उड़ना चाहती है,
जिन्दगी के हर रहस्य तक पहुँचना चाहती हैं |  
जिसकी उसने कभी कल्पना नहीं की, 
 उस हर आश्चर्य चीज को जानना चाहती है |
नाउम्मीद अंधेरों से निकलना चाहती है,
 वह हर डर से निडर होना चाहती है |
जिंदगी से लड़कर जीना चाहती है, 
हौसलों के ताकत से उड़ना चाहती है | 

नाम : विक्रम कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर


कवि परिचय : विक्रम के चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहती है. ये मुस्कान ही इनकी ताकत है, जिसके बल पर यह अच्छी कवितायेँ लिख पाते है | कविताओं के साथ - साथ विक्रम पढाई में भी बेहतर स्थान लाते है. | 

कविता : भगवान से प्रार्थना

" भगवान से प्रार्थना "

हमारी जिंदगी पल भर की है, 
ये एक दुनियाँ की सच्चाई है |  
शायद इसीलिए तो लोग, 
उम्र के लिए करते कारवाही | 
फल से भरी थाली लेकर, 
मंदिर में प्रार्थना है करते | 
हाथ जोड़कर कुछ समय, 
उनका ही गुणगान करते | 
सभी इच्छा करते मनचाही, 
हमारी जिंदगी पल भर की है, 
ये ही दुनियाँ की सच्चाई हैं | 

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं देवराज कुमार जो की बिहार जिले के रहने वाले हैं | पढ़ाई  में बहुत अच्छे हैं और इसके आलावा डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं| हर वक्त कुछ नया करना चाहते हैं |  

सोमवार, 5 मार्च 2018

होली है भाई होली है ...

होली है भाई होली  है 
रंगों की क्या गोली है 
जगह- जगह पर खेल रहे है 
रंगों से वो क्या बोल रहे है 
मिठ्ठाइयों का यह तत्योंहार है 
यह दिन कितना बेमिसाल है 
बुरा न मानो आज 
होली का त्योंहार है यार ...
होली है भाई होली है 
     रंगों की क्या गोली है ....

                                                     कुलदीप कुमार 
                                                   कक्षा - 5th 

रविवार, 4 मार्च 2018

कविता : सपना

" सपना " 

आज जब मैं सो रहा था,
धीरे धीरे सपने में खो रहा था | 
अपने नए नए सपनों के लिए 
नई नई दुनियाँ खोज रहा था | 
नए त्यौहार नई दिवाली को,
ख़ुशी से सेलिब्रेट कर रहा था | 
सुदर और स्वादिस्ट मिठाइयों के साथ 
खूब पटाखे मैं भी छुटा रहा था | 
एक चिंगारी मेरे आँखों में आई 
देख मेरे भाई तेरी माँ ने बुलाई | 

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | पड़े में बहुत अच्छे हैं लेकिन और भी अच्छा बनना चाहते हैं | हमेशा अपने माता पिता को अपनी रीढ़ मानते हैं और कुछ बनकर उनको खुश करना चाहते हैं | 

शुक्रवार, 2 मार्च 2018

कविता : " इम्तिहान का महीना

" इम्तिहान का महीना 

इम्तिहान का महीना आया, 
विद्यार्थियों पर कहर है छाया |  
दिमाग को अब काम पर लाया, 
जब इम्तिहान सर पर आया | 
खेल छोड़कर पढ़ने जाना है, 
परीक्षा में अच्छे अंक लाना है |  
बच्चे नक़ल छाप रहे हैं,
 एक दुसरे का मुँह तक रहे हैं  | 
दिमाग कन्फूज़ हो रहा है,
काम आजकल सो रहा हैं |  
न हसना और  न जीना हैं, 
क्योंकि इम्तिहान का महीना है |   

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा :8th , अपनाघर


कवि परिचय : प्रांजुल अक्सर अपनी कविताओं का शीर्षक उस समां के अनुसार लिखते है जिससे की उस समय का अहसास हो | कवितायेँ रोमांचक भी होती हैं | 

गुरुवार, 1 मार्च 2018

कविता : सपना

" सपना "

सपनों की एक रात में, 
फसा सपनों के बीच मैं | 
खोज रहा था मैं  
ज्ञान का भंडार, 
कैसा है ये संसार |  
न है कहीं ज्ञान का भंडार, 
समझ में आयी एक बात | 
घूमते जा पहुंचा पुस्तकालय में, 
यह थी ज्ञान से भरपूर | 
एक बार वहाँ  जाकर, 
दोबारा जाने को हुए मजबूर | 
तरह तरह की किताबें थी, 
उसमें बहुत कुछ बातें थी |  

नाम : अखिलेश कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर


कवि परिचय : चेहरे से बहुत हसमुख दीखते हैं और बहुत ही चंचल बालक है | कविता बहुत ही काम लिखता हैं लेकिन बहुत अच्छी लिखता है | बड़े होकर एक अच्छे इंसान हो के साथ साथ विद्वान बनना चाहते हैं | 


कविता : दिलों में मेरे ख्वाइश थी

" दिलों में मेरे ख्वाइश थी "

दिलों में मेरे ख्वाइश थी, 
आँखों में अजमाइस थी | 
 सपने मेरे रंग बिरंगे थे,
पूरा करने को बाकि थे | 
हर रास्ते में अँधेरा ही था, 
उजाले की कोशिश में था | 
मुझको उजाले की जरूरत थी,  
राह के लिए दिल में ख्वाइस थाी |   

नाम : रविकिशन , कक्षा : 8th , अपनाघर

कविता : अपवाहें

" अपवाहें "

फैली है चारो तरह अपवाहें, 
जाएं तो हम कहाँ हम जाए | 
मंदिर मस्जिद जैसे बट गए  घर,
प्यार से रहने वाले हो गए बेघर | 
शांति भी दीवारों में छिप गई,,
पीड़ितों की चिल्लाहटें गूँज रही | 
उम्मीद के परिंदे भी बैठ गए ,
इस सोच में पड़े रह गए | 
वो शांति भी जल्द आएगी, 
वो खुशिया भीचेहरे पर छाएगी  

नाम :  प्रांजुल कुमार , कक्षा :8th , अपनाघर


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | पड़े में बहुत अच्छे हैं | यह चाहते हैं की कुछ लाइफ में बनकर दिखलाना हैं , बहुत सरे लक्ष्य रखे हैं | कवितायेँ बहुत प्रेरणादयक लिखते हैं |