शुक्रवार, 18 नवंबर 2016


   सूरज 
 मैं प्यार की चाह रखता हूँ ,
आग की तरह तपता हूँ  /
तपन मेरा मर्ज़ है ,
लाखों जिंदगियों का दर्द है /
रंग रूप मेरे साथ  है ,
 बाकि सारा बदन खाक है /
मैं दूर हूँ न पास हूँ ,
मैं तो सभी की आश हूँ /
मैं प्यार की चाह रखता हूँ ,
आग की तरह तपता हूँ /
अँधेरी जिंदगी में उजाला भरता  हूँ ,
न ही किसी से डरता हूँ /
मैं तो एक सूरज हूँ ,
न ही  किसी की मूरत हूँ/

                            नाम =  राजकुमार  
                             कक्षा =7tn 

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