सोमवार, 18 जून 2012

शीर्षक :- वारिस

शीर्षक :- वारिस 
न होती रात न होते दिन....
होती सुहावनी सुबह,
होती सुहावनी शाम....
न होती गर्मियों की गर्मी,
न होती जड़ों की सर्दी....
होता केवल बादलों का घेरा,
न होता घन-घोर काला अँधेरा....
होती बादलों की रिमझिम बारिस,
तो हम होते प्रथ्वी के वारिस....
कवि : हंसराज कुमार 
कक्षा : 9 
अपना घर  


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