कविता - गाड़ी
गाड़ी जब मेरी चलती हैं ,
मनजिल तक पहुँचती हैं.....
गाड़ी पर हो जाते हैं ,
भइया तीन सवार ....
दूसरा भइया बोलता ,
ओं मेरे प्यारे भइया ....
सम्भलकर चलाना गाड़ी को ,
रस्से में खड़ी हैं एक गईया.....
लड़का बोला हाय रे ,
रस्ते से हट जा मेरी मईया....
अगर गिर गया भइया ,
तो मर जायेगे भइया ....
गाड़ी जब चलाती हैं ,
मनजिल तक पहुँचती....
लेखक - जीतेन्द्र कुमार
कक्षा - ७
अपना घर ,कानपुर
3 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया जीतेन्द्र.... अच्छी कोशिश!!!
बहुत बढ़िया...
प्यारी कविता
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