शनिवार, 14 फ़रवरी 2009

कविता:- हाथी

हाथी
हाथी पों पों करता है
कभी किसी की नहीं सुनता है
अपनी धुन में चलता है
खूब मजे से रहता है
हाथी पों पों करता है
कान उसके बड़े बड़े
सूप जैसे कितने अच्छे
हाथी है कितने अच्छे
उसके दांत है लंबे लंबे
मानस
अपना घर, कक्षा 5

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