" डल के ये जो शाम आई है "
डल के ये जो शाम आई है |
देख कितने रंग लाई है ,
जगमगा उठा सारा आँगन |
लगता जैसे आया सावन ,
मन मोह लेता है दृश्य |
मुरझाये फूल भी ,
महकेंगे अवश्य |
एक नया उमंग आई है ,
डल के ये जो शाम आई है |
कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 12th
अपना घर