सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

कविता : पढ़ाई

" पढ़ाई "

सुबह तो कब हो जाती है,
दिन कब गुजर जाता है | 
ये तो पता ही नहीं चलता | | 
काश मैं पूरे साल पढ़ाई की होती,
तो ये नौबत न आती | 
इसको मैं गलती कहूं, 
या फिर यूँ लापरवाही कहूँ | 
पर अब मुझे सूझ नहीं रहा, 
क्या करूँ और क्या न करूँ | 
सुबह बैठता हूँ पढ़ने, 
तो शाम जाती है 
रात को बैठो तो सुबह हो जाती है | 
अब तो कुछ ही दिन बाकी है 
मेरे परीक्षा को आने में | 
अब पता नहीं क्या होगा, 
ये तो भगवन ही जानेगा  | 

कवि :नीतीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता नितीश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | नितीश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | नितीश को नया सिखने में बहुत दिलचस्पी है | नितीश को कंप्यूटर में बहुत रूचि है 

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