" महान हिंदी "
कैसे करूँ तेरा गुणगान,
जिस देश में है तू महान |
जहाँ राज्य का नेतृत्व लेकर बैठी है
तू जुबाँ की मनचाही भाषा हिंदी है |
लिपि के द्वारा तुझे लिख तो लेता हूँ,
बिना सोचे समझे तुझे यूँ ही बोल देता हूँ |
तू एक पवित्र ग्रन्थ की तरह उभरी है,
तेरे हर एक वर्ण में लौह भरी है |
तू बदल रही है हर गली की सड़कों में,
तेरा प्रसार हो रहा है देश - विदेशों में |
हर वर्ण मन में उमंग भरता है,
क्या बोलूं यह कभी नहीं डरता है |
तू मेरे तरंग मन में साहस भरता है,
ऐ महान हिंदी , दिल तुझे धन्यवाद करता है |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | इस कविता का शीर्षक है " महान हिंदी " जिसमें की हिंदी भाषा को दर्शाया है | हिंदी हमारी मात्रा भाषा है और पूरे भारतवर्ष में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मानते हैं इस अवसर पर प्रांजुल ने यह कविता लिखी है |