सोमवार, 29 अप्रैल 2019

कविता : एक पल ऐसा था

" एक पल ऐसा था "

एक पल ऐसा था,
जब मुझको पता न था |
अचानक से तापमान,
बढ़ता जा रहा था |
मन भी इधर उधर ,
मचलता जा रहा था |
चक्कर जैसा हो रहा था,
मुझको सोने का मन |
जिससे मुझको हो गया फीवर,
तापमान न मेरा घटता था |
होकर इससे मैं परेशान,
सोने लगा रातों -रात |
ठीक हुआ चार दिन बाद,
जो था मेरा पल का बेकार दिन |

                                                                                                           नाम : कुदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है | कुलदीप को डांस करना बहुत अच्छा लगता है और वह हर पार्टी व् उद्घाटन में खूब नाचता है | कुलदीप पढ़लिखरा एयरफोर्स में जाना चाहते हैं और अपने माता पिता का नाम रोशन करना चाहते हैं |  

कोई टिप्पणी नहीं: