मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

कविता : नोट

" नोट "

बहुत कीमत होती है,
छोटे से कागज की |
बस गाँधी की फोटो हो,
गवर्नर का साइन हो |
उसी को नोट कहते हैं,
लोग उसी नोट में  रहते हैं |
दुनियां ऐसी हो गई है,
कहते हैं पैसा फेको तमाशा देखो |
इसका कागज है लाइट,
इसके चलते हो जाती है फाइट |   

नाम : सूरज , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सूरज के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के निवासी हैं | सूरज ने यह कविता नोट पर लिखी है जैसा की वह सोचता है आज लोग से महत्वपूर्ण तो पैसा हो गया है | उन्हें आज रूपए से मतलब है |

सोमवार, 29 अप्रैल 2019

कविता : एक पल ऐसा था

" एक पल ऐसा था "

एक पल ऐसा था,
जब मुझको पता न था |
अचानक से तापमान,
बढ़ता जा रहा था |
मन भी इधर उधर ,
मचलता जा रहा था |
चक्कर जैसा हो रहा था,
मुझको सोने का मन |
जिससे मुझको हो गया फीवर,
तापमान न मेरा घटता था |
होकर इससे मैं परेशान,
सोने लगा रातों -रात |
ठीक हुआ चार दिन बाद,
जो था मेरा पल का बेकार दिन |

                                                                                                           नाम : कुदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है | कुलदीप को डांस करना बहुत अच्छा लगता है और वह हर पार्टी व् उद्घाटन में खूब नाचता है | कुलदीप पढ़लिखरा एयरफोर्स में जाना चाहते हैं और अपने माता पिता का नाम रोशन करना चाहते हैं |  

कविता : वोट का खुमार

" वोट का खुमार "

वोट का ये खुमार है,
भाजपा को दे या कांग्रेस को |
न मिले तो सपा को दो,
चरों ओर से बेमिशाल से प्रचार है |
अबकी बार किसकी सरकार है,
सभी को वोट डालने का अधिकार है |
१८ से ऊपर खुला बहार है,
सभी को सही नेता चुनने का अधिकार है |
क्योंकि उनके हाथ में वोट का हथियार है | |


कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं विक्रम जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार  के नवादा जिले के निवासी है | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वः अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | विक्रम पढ़लिखकर समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं क्योंकि उनका मन्ना है की जिस परिस्थिति से मैं आया हूँ मैं भी उन्हें कुछ दे सकूँ |


रविवार, 28 अप्रैल 2019

कविता : बाल मजदूर

 "बाल मजदूर "

नाजुक हाथों ने क्या कर दिया पाप, 
जन्म से ही दे दिया कामों का वनवास |
कलियों जैसी खिलने वाले उस मासूम, 
जिंदगी को कर दिया तबाह |
हर बचपन के लम्हों को, 
हर सजाये हुए सपनों को |
दो मिनुट में कर दिया राख,
दर्दनाक जिंदगी उसे तडपा दिया |
बचपन के खिलौनों की जगह,
 जिंदगी से लड़ना सिखा दिया | 
पेन ,किताब और कॉपी की जगह, 
कम का बोझ इर पर लाद दिया |

नाम : विक्रम कुमार , कक्षा : 7 , अपनाघर


कवि परिचय : यह हैं विक्रम जिन्होंने यह कविता लिखी है, जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | विक्रम को कवितायेँ अच्छे से लिखी आती है | विक्रम ज्यादातर समाज पर लिखते हैं और उस कविता के माध्यम से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं | बड़े होकर एक नेक इंसान बनना चाहते है |  

कविता : जब लोगों ने किया तंग

" जब लोगों ने किया तंग "

जब लोगों ने किया तंग,
तब सिर्फ तूने दिया संग,
जातिप्रथा का था वो समय,
बस लोगों में थी प्रलय |
सभी थे जातिप्रथा के बस में,
जातिवाद दौड़ रही थी सभी के नश में |
नहीं था कोई अपने बस में,
क्योंकि थे वो सिर्फ अंग्रेजों के बस में |   

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय  : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई जो की प्रयागराज के निवासी हैं और अपना घर संस्था में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | समीर को गीत गाना बहुत अच्छा लगता है | समीर एक संगीतकार बनना चाहते हैं | समीर जब भी समय मिलता है वो छोटे बच्चों को गीत सिखाता है |

कविता : चीजें समझ में आई

" चीजें समझ में आई "

अब मुझे चीजें समझ में आई,
जब दो कदम आगे चलकर देखा |
मैंने पीछे देखा , मैंने देखा की
पापा मुझे मर रहे थे,
हर गलतियों का कसार निकल रहे थे |
तब मुझे गुस्सा आता था,
कभी घर से भाग जाने का मन करता था |
दूसरे बच्चों की किस्मत देखी,
खुद को दोषता था |
तो कभी सब को बुरा भला कहता था,
किस्मत ने भी क्या साथ निभाया
मुझे अपना यार बनाया  |
परिवार से परेशांन होकर
मैंने मरने की ठानी,
पर समय ने गठनी की नै कहानी |
बहुत कठिनाइयों के बाद खड़ा हूँ मैं आज,
जरा आप भी सोचो जिंदगी को |
लिखो डायरियों के पन्नों के बीच,
शायद वो आपको आने वाले समय |
में दे आपको नई संगती | |

कवि : देवराज , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं देवराज जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं और वर्तमान में अपना घर संस्था में रहकर वह अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वह अब तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | देवराज को हमेशा कुछ नई चीज सिखने की ललक रहती है |  


रविवार, 21 अप्रैल 2019

कविता : दुनिया कितनी सुन्दर है

" दुनिया कितनी सुन्दर है "

ये दुनिया कितनी सुन्दर है,
जहाँ देखो हर जगह समुन्दर है |
पर ये है इतना खारा,
इसका इस्तेमाल न होता सारा |
जिव जंतु हैं बहुत सारा,
जो घूमते फिरते हैं आवारा |
ये दुनिया कितना सुन्दर है,
पेड़ों का भरमार है |
इससे जिव को जीवन मिलती,
छोटे बड़े सभी के चेहरे खिलती |
पेड़ पौधे है कितना प्यारा,
यही है जीने का गुजारा |
ये दुनिया कितनी सुन्दर है,
जहाँ देखो हर जगह समुन्दर है |

                                                                                                            कवि : कामता कुमार , कक्षा : 8th , आनाघर

कवि परिचय : यह कविता कामता के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं और अपना घर में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | कामता को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है और शिखर धवन को अपना गुरु मानते हैं | कामता को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वह बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं |

कविता : बारिश आया

 " बारिश आया "

काले - काले बादल आसमान पे छाया,
यह देखकर मोर , मेंढक शोर मचाया |
फिर बड़े -बड़े बूंदें गिराया,
सूखे हुए पौधों में जीवन लाया |
बारिश आया बारिश आया,
बूंदें भी खूब गिराया |
हवा -पानी साथ में लाया,
लम्बे - लम्बे पेड़ों को गिराया |
बारिश आया बारिश आया | |
                                                                                                          कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई हैं जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं और वर्तमान समय में कानपुर में अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | कुलदीप को कवितायेँ  लिखने का बहुत शौक है और वह बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | कुलदीप पढ़ लिखकर नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं | कुलदीप के माता - पिता को कुलदीप से बहुत आशा है की कुलदीप कुछ पढ़लिखकर बन जाए | कुलदीप दिल से बहुत अच्छा और मन से सुखी व्यक्ति है |

मंगलवार, 9 अप्रैल 2019

कविता : बारिश आई

" बारिश आई "

बारिश आई बारिश आई ,
साथ में देखो पानी लाई |
जब बारिश आ जाती है,
फूलों की कलियाँ खिल जाती है |
पेड़ भी हरे - भरे हो जाते हैं,
सब थककर अंदर सो जाते हैं |
बारिश आई बारिश आई,
मस्ती करने का महीना लाई |
बच्चे नाव बनाते हैं,
बारिश में खूब नहाते हैं |
बारिश आई बारिश आई ,
साथ में देखो पानी लाई |

कवि : अजय कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता अजय कुमार के द्वारा लिखी गई है, जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | अजय अपनी चंचल भरी कविताओं से सबका मन मोह लेते हैं | अजय को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है अजय बहुत ही हसमुख छात्र है और हमेशा अपनी पचकानी हरकतों से सबको हंसाते रहते हैं |
अजय बहुत महान बच्चा है |

सोमवार, 8 अप्रैल 2019

कविता : एक ऐसे मोड़ पर

" एक ऐसे मोड़ पर "

जब मैं खड़ा था एक ऐसे मोड़ पर,
मेरी जिंदगी ले गई उस छोर पर |
दिखाए मुझे कई किनारे उस छोर पर,
पर मुझे ही नहीं था भरोसा अपनी सोच पर |
मेरी जिंदगी ने मुझे वहाँ पर टोका,
पर मुझे डर था कहीं मैं खा न जाऊ धोखा |
मैंने वहाँ पर भी कुछ ठहर कर सोचा,
मुझे लगा इसमें है कुछ न कुछ लोचा |
मुझे लगने लगा अब अकेलापन,
जब मैं खड़ा था एक ऐसे मोड़ पर |

                                                                                                                 कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के निवासी हैं और वर्तमान समय में अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | समीर एक संगीतकार भी हैं और अपनी कला को दूसरों को भी सिखाते हैं |

बुधवार, 3 अप्रैल 2019

कविता : सुबह का मौसम

" सुबह का मौसम "

ये सुबह का मौसम
कुछ ऐसा होता है |
जो सुबह फिर सोने पर,
मजबूर कर देता है |
धीरे धीरे हौले हौले
ठंडी ठंडी बहती ये हवाएँ |
मेरे शरीर को छूकर है जाती,
पता नहीं वह क्या कह जाती |
शोर होता है यहाँ,
चिड़ियाँ चहकती है जहाँ |
बड़ा खूबसूरत होता है,
ये सुबह का नजारा |


                                                                                                              कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कविता : सुहानी सी सुबह

" सुहानी सी सुबह "

सुहानी सी सुबह खिली है,
लगता है धरती सूरज से मिली है |
उसके एक एक कण ऊर्जा से भरे है,
ऐसा लगता है जैसे सागर में मोती बिखरे हैं |
सुनहरी सुबह प्रकति से बात करती है,
पता नहीं प्रकति क्यों इतना मचलती है |
चहचहाती चिड़ियाँ, खुली हुई खिड़कियाँ,
बंधन से टूटी साडी वो बेड़ियाँ |
लहलहाते फसल मन में हलचल,
उम्मीद रहती है अच्छा हो कल |


  कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और हर हफ्ते ये कवितायेँ लिखते हैं | प्रांजुल इंजीनियर की पढ़ाई करना चाहते हैं | प्रांजुल को गणित बहुत ही अच्छा लगता है और उसको विषय के रूप में न लेकर मस्ती में पढ़ते हैं |

मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

कविता : लम्हा जो मैंने खो दिया

" लम्हा जो मैंने खो दिया "

वह लम्हा जो मैंने खो दिया,
हर कदम वह लगन जो मैंने कम कर दिया |
वह याद आती है और दुबारा बुलाती है,
जोश और होश में आने की आशा दिलाती है |
दिमाग और दिल तड़पकर कुछ कर
जाने को आहट निकलती है |
खोकर वह एक नया पहचान बनाना चाहती है |
वह लम्हा जो खो गया उसे पाना चाहती है,
वह अपने - आप में मशाल बनना चाहती है |


कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी है | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | पढ़लिखकर रेलवे डिपार्टमेंट में काम करना चाहते हैं | विक्रम बहुत ही हसमुख छात्र हैं |

सोमवार, 1 अप्रैल 2019

कविता : सुहानी सी सुबह

" सुहानी सी सुबह "

सुहानी सी सुबह खिली है,
लगता है धरती सूरज से मिली है |
उसके एक एक कण ऊर्जा से भरे है,
ऐसा लगता जैसे सागर में मोती बिखरे  है |
सुनहरी सुबह प्रकति बात करती है,
पता नहीं प्रकति क्यों इतना  मचलती है |
चहचहाती चिड़ियाँ खुली हुई खिड़कियाँ,
बंधन से टूटी सारी वो बेड़ियाँ |
लहलहाते फसल , मन में हलचल,
उम्मीद रहती है अच्छा हो कल |

                                                                                                 कवि : प्रांजुल कुमार।, कक्षा : 10th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जिन्होंने यह कविता लिखी है, जो की छत्तीसगढ़ के निवासी है और अभी अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | पढ़लिखकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | गणित में बहुत रूचि है और उसको विषय के तौर पर नहीं पढ़ते बल्कि मज़े लेकर पढ़ते हैं |