मंगलवार, 10 जुलाई 2018

कविता : शीतल वायु

" शीतल वायु "

ये शीतल हवा का क्या कहना,
हमको इसके बिना नहीं रहना | 
गर्मी में यह हमको राहत दिलाए, 
ठंडी में यह खूब हम को सताए | 
जिसने इस चीज़ को बनाया है, 
उसने सभी का मन  भाया है | 
मनुष्य इसे कर देते है  बेकार, 
काला धुँआ फैलाती है कार | 
इससे बच्चे हो रहे हैं बीमार, 
महंगे हो रहें हैं सभी उपचार | 
महँगा हो रहा है साँस लेना,
बचकर तुम इस वायु से रहना | 
हम सब को मिलकर शुद्ध है करना | | 

कवि : कुलदीप , कक्षा : 7th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो कानपुर के अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं | कुलदीप को डांस करने का बहुत शौक है और कवितायेँ लिखने का | कुलदीप का मन पसंद खेल क्रिकेट है और वह एक क्रिकेटर बनना चाहते हैं | कुलदीप पढ़ने में बहुत ही अच्छे हैं | 

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