शनिवार, 7 अक्तूबर 2017

कविता : वो सुबह कब आएगी

 " वो सुबह कब आएगी "

वो सुबह कब आएगी,
जब सारी दुनियाँ खुशियाँ मनाएंगी |  
सारे  सरहद ख़त्म हो जाएंगे, 
दुश्मन भी अपने भाई बन जाएंगे | 
वो सुबह कब आएगी | | 

जब सारी प्रथाएं दब  जाएंगी,
जाति -वादी की बातें ख़त्म हो जाएंगी | 
जब हर जगह दुआऍं होगी, 
हम सभी पर आशाएँ होगी | 
वो सुबह कब आएगी | | 

दुःख के मंजर न होंगे, 
खुशियों के समंदर होंगे | 
जहाँ अपना पराया छोड़कर, 
देश में एकताएँ होगी |  
वो सुबह कब आएगी | |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर

कवि परिचय : यह हैं  प्रांजुल कुमार जो की छत्तीसगढ़ से आए हुए  हैं | मन में सोच के समंदर से भरा हुआ है | ये कविताएं बहुत ही रोचकभरी होती हैं | हमेशा कुछ नया करने की सोचते हैं | गणित विषय को बहुत मनाता देते हैं | 

10 टिप्‍पणियां:

'एकलव्य' ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार ०६ नवंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

Sweta sinha ने कहा…

वाह्ह्ह..।।बहुत सुंदर लिखा आपने प्रांजल सुंदर भाव।
आपको खूब सारा आशीष एवं शुभकामनाएँ मेरी।

Meena Bhardwaj ने कहा…

प्रांजुल बहुत सुन्दर सोच के साथ लिखी‎ है आपने यह रचना . सस्नेह आशीर्वाद .

Sadhana Vaid ने कहा…

वाह कितनी खूबसूरत सोच है आपकी प्रान्जुल बेटा ! उस सुबह का हम सबको भी बेसब्री से इंतज़ार है ! जब हमारे देश के बच्चे इतनी अच्छी और सकारात्मक सोच रखेंगे तो देश का भविष्य तो उजला होगा ही ! बहुर सुन्दर रचना ! आपकी इस बेहद सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई ! इसी तरह लिखते रहें !

Rajesh Kumar Rai ने कहा…

क्या खूबसूरत संदेश दिया है आपने अपनी रचना के माध्यम से । बेहतरीन रचना प्रांजुल बाबू । ढ़ेरों आशीष एवं शुभकामनाएँ ।

विश्वमोहन ने कहा…

सम्पूर्ण सत्ताएं एक ही परम सत्ता और सम्पूर्ण भाव एक ही परम भाव के अंतर्भूत है. उन परम भावों का प्रादुर्भाव बालपन के उर्वरा प्रांगण में होता है. इसी बात को महाकवि विलियम वर्ड्सवर्थ ने कहा " Child is the father of man " और इसी बात को प्रमाणित किया है आपने अपनी इस रचना में!!! बधाई, आभार और शुभकामनाएं कि सृष्टि के आप सरीखे नव प्रसूनों के सुवास से साहित्य का आंगन सर्वत्र और सर्वदा सुरभित होते रहे!!!! यूँ ही लिखते रहें , सीखते रहें और साहित्याकाश में दीखते रहें !!!!

Sudha Devrani ने कहा…

आप जैसे नव युवाओं की नयी सोच के साथ नयी सुबह का शुभारंभ होगा ......बहुत ही सुन्दर सोच....
सुन्दर कविता आपकी....
शुभकामनाएं....

अमित जैन मौलिक ने कहा…

वो सुबह जरूर आयेगी। आशा मुस्करायेगी। अगर आपकी कलम ऐसे ही लिखते जायेगी। बहुत ही बढ़िया कविवर। ख़ूब आशीष

शुभा ने कहा…

बेहतरीन रचना । हमें भी इंतज़ार है ,उस सुबह का । सस्नेह आशीर्वाद।

NITU THAKUR ने कहा…

बहुत सुंदर ढ़ेरों आशीष एवं शुभकामनाएँ