शनिवार, 9 सितंबर 2017

कविता : नोटबन्दी

" नोटबन्दी "

लोग हो गए हैं बेहाल, 
पुराने नोटों का हुआ हलाल | 
अमीर हो गए बेमिशाल ,
गरीब हो गए लालम - लाल | 
क्योंकि पुराने नोटों के हो गए जमाना, 
लोग एक - दूजे के हुए परमाना | 
मोदी ने किया पुराने नोटों का खात्मा, 
काले  धंदे वालों की शांत हुई आत्मा | 

कवि : कामता  कुमार , कक्षा : 6th ,अपनाघर
 

कवि परिचय : यह कामता कुमार हैं ये बिहार  से आये हुए हैं |  अपनाघर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है जितना की कविता लिखने में है | कक्षा 6th के छात्र हैं | इनका परिवार ईंट भट्ठों में मज़दूरी का कार्य करते हैं | 

3 टिप्‍पणियां:

Meena sharma ने कहा…

वाह ! आप तो व्यंग्य भी कर लेते हैं ।
काले धंदे वाले की शांत हुई आत्मा !!!
बेटा, शांत हुई या अशांत ये तो काले धंदे वाले ही जानें !

neera bhargava ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति

neera bhargava ने कहा…
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