बुधवार, 27 सितंबर 2017

poem : Journey of life

" Journey of life " 

In the journeyof my life .
hindrance will be any where .
but the journey of aim .
 never stop anywhere . 
will I arrive at my aim ?
If today Iwill fail .
never will chance come again . 
my heart is saying .
you devote of precious time. 
if you want to gain something in life

poet : vikram kumar , class : 7th ,Apnaghar



Introduction : He is Vikram kumar belongs to Bihar state but he is living in Apnaghar campus for study .He has abundant of thinking power i,e he write very well and nice poems .He intrested in so many activities such as football , cricket ,kabaddi etc.always smile in his face .we hope that he will write many new and amazing poems in future .
  

शनिवार, 23 सितंबर 2017

कविता : गर्मी

" गर्मी "  

उफ़ ये गर्मी है बेनरमी,
                                                                कितनो को है इसने सताया | 
                                                               बड़े - बड़ों को मार भगाया, 
                                                               बिना पानी के राहत नहीं | 
                                                              ठण्ड के लिए कहीं छाँव नहीं |  
                                                             रूहअफज़ा पीओ बर्फी खाओ, 
                                                             गर्मी को करारा जवाब दिलाओ | 
                                                               क्या करें ये दिन ही ऐसा है, 
                                                                एक दिन पूरे साल के जैसा है |  

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर कानपुर 


                                                          
कवि परिचय : यह छत्तीसगढ़ के रहने वाले प्रांजुल है | ये अपनाघर में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | इनकी कविताएँ बहुत अच्छी होती है | पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | गणित इनका प्रिय विषय है | 

शनिवार, 9 सितंबर 2017

कविता : आसमान को छूना

" आसमान को छूना "

मैं छूना चाहता हूँ आसमान को ,
हर मुश्किल  की हर बाधाओं  को | 
टक्कर देकर आना चाहता हूँ, 
आसमान में चमकते तारों को| 
हमेशा अपना रौशनी बिखराये 
रखते हैं निर्धन हो या धनि, 
प्रेणना के जलवे फैलाये रखते हैं | 
हर एक को साथ लेकर चलना, 
वे द्रश्य रखते हैं |  

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर

कवि परिचय : यह विक्रम कुमार है जो की बिहार से आए हैं | यह हर काम में अपना बहुत एफर्ट देते हैं चाहे खेल कूद में या फिर पढ़ाई में हो | हर दम चेहरे में ख़ुशी रहती है | यह रेस में बहुत ही तेज से भागते हैं | कवितायेँ इनकी बहुत ही अच्छी होती हैं |  

कविता : नोटबन्दी

" नोटबन्दी "

लोग हो गए हैं बेहाल, 
पुराने नोटों का हुआ हलाल | 
अमीर हो गए बेमिशाल ,
गरीब हो गए लालम - लाल | 
क्योंकि पुराने नोटों के हो गए जमाना, 
लोग एक - दूजे के हुए परमाना | 
मोदी ने किया पुराने नोटों का खात्मा, 
काले  धंदे वालों की शांत हुई आत्मा | 

कवि : कामता  कुमार , कक्षा : 6th ,अपनाघर
 

कवि परिचय : यह कामता कुमार हैं ये बिहार  से आये हुए हैं |  अपनाघर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है जितना की कविता लिखने में है | कक्षा 6th के छात्र हैं | इनका परिवार ईंट भट्ठों में मज़दूरी का कार्य करते हैं | 

शुक्रवार, 8 सितंबर 2017

कविता :हौशलों से भरा हो

" हौशलों से भरा हो "  

मेरे जीवन की राह में ,
हौशलों से भरा हो |
 मेरी यही ख्वाईश है, 
मेरा जीवन हौशलों से भरा हो | 
मेरे जीवन की राह में ,
हर तूफान से मैं उलझा हूँ 
हर मुशीबत से मैं लड़ूँ |
 मेरे जज्बातों को बाहर आने का,
 इंतज़ार मैं बड़े उत्साह से करूं |  
 मेरा जीवन की राह में, 
हौशलों से भरा हो | 

कवि :संजय कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 

कवि परिचय : यह हैं संजय कुमार हाल ही में कवितायेँ लिखना शुरू किया है और जल्द ही ये कविकार बन गये हैं | अपनाघर में रहकर पढ़ाई कर हैं | हमेशा मुश्कुराते रहते हैं | स्पोर्ट्स में बहुत अच्छे हैं | 

कविता :सावन

 " सावन "

सावन का है मौसम आया,
तालाब में है पानी भर आया | 
 बच्चे नहाते तालाब में ,
चिड़िया चहके बैग में |  
चरों तरफ कीचड़ - कीचड़,
लोग रहते हैं भीतर - भीतर | 
सावन का है मौसम आया ,
तालाब में पानी भर आया | 

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर


कवि परिचय : यह हैं अखिलेश कुमार जो की बिहार राज्य से बिलोंग करते हैं | यह पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | गणित में बहुत समय बिताते हैं | कविता बहुत ही कम लिखते हैं लेकिन जब लिखते हैं तब बहुत ही अच्छा लिखते हैं | इनसे घरवालों की बहुत उम्मीदें हैं | 

मंगलवार, 5 सितंबर 2017

कविता : आसमान को छूकर आएंगे

" आसमान को छूकर आएंगे"  

हमें भी जाना है आसमान में 
इस सितारों के संसार में | 
ये जुगनू जैसे सितारों को 
    हम पकड़कर और छूकर आएंगे, 
    पृथ्वी को स्वच्छ और सुंदर बनाएंगे | 
जगह - जगह से हम कूड़ा उठाएंगे,
    भारत को स्वच्छ और सुंदर बनाएंगे |  
हमें भी जाना है आसमान में ,
इस सितारों के संसार में | |  
कवि : कुलदीप कुमार ,कक्षा :6th  ,अपनाघर 
कवि परिचय : यह कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ से आय हुआ हैं | इनको डांस करना बहुत पसंद है | कक्षा में हमेशा ध्यान देते हैं | इनके माता - पिता गृह निर्माण का कार्य करते हैं | हमें उम्मीद है की आगे चलकर यह अपनी बेहद रचना भरी कवितायेँ लिखेंगे | 

कविता : स्वच्छ भारत

" स्वच्छ भारत "

चलो - चलो यारा कुछ नया करें ,
गन्दगी को इस देश से साफ करें | 
भूलने की बीमारी को छोड़कर,
नदियों से नहर को मोड़कर |  | 
चलो - चलो यारों कुछ नया करें, 
इस देश को गन्दगी से मुक्त करें | 
न लगा सकते हो झाड़ू, 
तो लगाओ पेड़ मेरे यारो | 
गन्दगी साफ होगी सचमुच, 
साफ हो जाएंगी दिशा चारो| 
चलो - चलो यारो कुछ नया करें | |

  कवि : समीर कुमार , कक्षा: 7th , अपनाघर


कवि परिचय : यह समीर कुमार हैं |गाना  इनका पसंदीदा चीज है जिसको हर समय गुनगुना रहते हैं | कवितायेँ भी बहुत अच्छे लिखते है  | इलाहबाद के रहने वाले हैं इनके माता - पिता को इनसे बहुत सारी उम्मीदें हैं  क्योंकि यह पहली जनरेसन है जो पढ़ाई कर रही है | 

रविवार, 3 सितंबर 2017

कविता : आज़ाद

" आज़ाद "  

आज़ाद रहना है मुझे 
आज़ाद जीना है मुझे | 
कुर्बानियों से न घबराते, 
ख़ुशी - ख़ुशी अपने जान दे जाते | 
हर मुश्किल का सामना कर पाते, 
हौशले को कभी न हारने देते|  
 आज़ाद ही नाम कहलाते,
आज़ाद जीने है मुझे | 
आज़ाद मरना है मुझे | | 
कवि : नितीश कुमार ,कक्षा : 7th , अपनाघर 
कवि परिचय : यह नितीश कुमार बिहार के गया जिले से हैं | यह  पढ़ाई मेंबहुत अच्छे हैं हमेशा स्पेस के बारे में रूचि रखते हैं और एक अस्ट्रोनॉमर बनना चाहते हैं | कविता भी बहुत अच्छे से लिखते हैं | यह बहुत ही गंभीर रहते हैं |  

शनिवार, 2 सितंबर 2017

कविता : आओ नया संसार बनाएं

"आओ नया संसार बनाएं "

आओ नया संसार बनाएं ,  
इस धरा को फिर दोहराएं | 
अत्याचार को मार भगाएं, 
सत्य अहिंसा को अपनाएं |  
फैक्ट्रियाँ सारी बंद करवाएं,
प्यार भावना को हम अपनाएं | 
एक दूजे के तरफ ले जाएं, 
आओ नया संसार बनाएं | 
इस धरती को सुन्दर बनाएं | | 

कवि : संजय कुमार ,कक्षा : 7th ,अपनाघर 

कवि परिचय : ये हैं संजय कुमार झारखण्ड से हैं | यह मेहनती होने के साथ - साथ पढ़ाई भी करते हैं | कवितायेँ बहुत ही कम लिखते हैं लेकिन लिखते हैं तो बहुत ही ला जवाब | क्रिकेट बहुत पसंद हैं जिसमे ये एक गेंदबाज की भूमिका निभाते हैं | इनकी कविताओं में कुछ सनसनी भरी चीजे होती हैं | 

शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

कविता : काश मैं चिड़िया बन जाऊँ

"काश मैं चिड़िया बन जाऊँ " 

काश मैं चिड़िया बन जाऊँ, 
दूर - दूर तक सैर लगाऊँ | 
रोज़ सुबह पंख फैलाऊँ, 
दूर - दूर से दाना लाऊँ | 
दो दिन उसको मैं चलाऊँ, 
कोई पकडे तो फुर्र हो जाऊँ|  
काश मैं चिड़िया बन जाऊँ | | 

कवि : कामता कुमार , कक्षा : 6th ,अपनाघर
 कवि परिचय : यह कामता कुमार बिहार के गया जिले से है  | यह अपनाघर घर में चार साल से रहकर अपनी पढ़ाई को और मजबूत कर रहे हैं | यह पढ़ाई के साथ - साथ कवितायेँ ,कहानियां भी लिखते है  | इनको क्रिकेटखेलना बेहद पसंद है | घर में अपने माता - पिता के कामों में भी हाथ बटाते हैं |