मंगलवार, 27 जून 2017

 " कोई कुछ कह रहा है "

कोई कुछ कह रहा है, 
ये हवाएं जो बह रही हैं | 
उड़ती चिड़ियाँ कुछ कह रही हैं, 
छाय बदल भी कुछ कह रहे हैं | 
रात को जुगनू कुछ कह रहा है, 
नीला आसमान कुछ कह रहा है | 
अब ये तारे ,ये जमीं ,ये पौधे, 
ये पूरी दुनियां यही कह रही है | 
हवा और नदियां बह रही हैं, 
क्यों आवाज जहर बन रही है | 
वो पवित्र नदी नाला बन कर, 
क्यों जहर  बनकर बह रही है |
जिंदगी क्यों नरक बन रही है,
रोक लो यारों ये हर कोई कह रहा है  | |

नाम : देवराज कुमार ,कक्षा : 7th ,अपनाघर। 


कवि परिचय -: यह बिहार के रहने वाले देवराज हैं | इन्होंने एक से एक बढ़कर कविताऍं लिखी हैं | अबतक इन्होनें लगभग ५० -६० कविताऍं लिख चुके हैं | इनको डांस करना बेहद पसंद है | क्रिकेट में छक्के बहुत मारते हैं | हर वक्त कुछ नया सिखने को चाहते है | ये कक्षा सात में पढ़ते है |  अपना घर परिसर में रहकर अपनी शिक्षा को मजबूत बना रहे हैं | इनके माता - पिता ईंट भठ्ठे में बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे हैं | ये बड़े होकर एक नेक इंसान तथा एक अच्छे खेल के खिलाड़ी बनना चाहते हैं | 

1 टिप्पणी:

yashoda Agrawal ने कहा…

" आपके द्वारा प्रकाशित ये अच्छी कविता आज कविता मंच में " सोमवार 21 अगस्त 2017 को साझा की गई है.................. http://kavita-manch.blogspot.in/2017/08/blog-post_21.html पर साझा की गई है आप भी आइएगा....धन्यवाद!