सोमवार, 26 अक्टूबर 2015

शास्त्री

लाल बहादुर शास्त्री तू 
कहाँ खो गया 
तेरे इस खून में भक्ति है 
लौट आओ शास्त्री 
तेरा इस देश को जरूरत है 
तेरी याद दिलो में बसती है 
लाल बहादुर शास्त्री तू कहाँ गया 
तेरे आवाज दिलो में बसती है 
तेरे इस आँख में देश आजाद 
दिलाने के लिए ख्याइस है 


रविकिशन कुमार 
कक्षा - 6
अपनाघर ,कानपुर नगर 

शनिवार, 17 अक्टूबर 2015

सब्जी

हरी सब्जियां होती है ख़ास 
मेरे जीवन में होते है साथ 
खूब खाओ और मस्त रहो 
अपने जीवन में स्वस्थ्य रहो 
रोज खाना तुम सब सब्जी 
न होगे कभी भी बीमार 
सारे जीवन में नही होती मुश्किल 
ऐसे खाते रहोगे सब्जी 
हमेशा जीवन में खुश रह पाओगे 
हरी सब्जियां होती है ख़ास 
मेरे जीवन में होते है साथ 

सार्थक कुमार 
कक्षा ५ 
अपनाघर कानपुर 

हम है भारत के रखवाले

हम है भारत के रखवाले 
हिंदी हमारी भाषा है 
दिल में हमारे भाता है 
हिंदी में गाते हैं 
दिल में ख़ुशी मनाते हैं 
हम है भारत के रखवाले 


                                      ओमप्रकाश कुमार 
                                        कक्षा ४        
                                    अपनाघर ,कानपुर 

बुधवार, 14 अक्टूबर 2015

कुदरत को क्या कहूँ

कुदरत को क्या कहूँ 
नह जानते हम 
कुदरत ने बनाया 
ये जग सारा 
उसको तो क्या कहूँ 
कुदरत ने ही किया 
हम पर मेहरबान 
इस लिए तो लोग है महान 
जो बिगाड़ रहे है 
ये जग सारा 


नाम नितीश कुमार 
कक्षा -५ 
अपनाघर ,कानपुर 

जानवरों का जीवन नाश किया

जानवरों का जीवन नाश किया 
उनका जीवन विन्नास किया 
जानवरों को रहने के लिए घर 
नही मनुष्य के दिल में रहम नही 
तुमने उसका घर उजाड़ा 
रहने के जगह पर मकान 
बनाया आगे देखो 
तुमने अपना क्या नुकसान बनाया 


                     नाम  विक्रम कुमार 

               कक्षा -5
              अपनाघर ,कानपुर 

मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015

हो रहे थे लाखो अत्याचार और बुरे विचार

हो रहे थे लाखो अत्याचार
 और बुरे विचार 
ऐसा न था के कोई तारा 
जो बचा सके भारत देश हमारा 
सुनली बात ईश्वर का मन 
२ अक्तूबर को हुआ बापू का जन्म 
जिन्होंने देखी अत्याचार सारी 
उन्होंने सोचा दूर करूगा ये बिमारी 
उनके थे चार बंदर 
जो भा गया सबके मनके अंदर 
तुमको याद कर रही है लोग सारा 
कहाँ है हमारे प्यारे बापू 


                                            देवराज कुमार 
                                            कक्षा -५
                                           अपनाघर ,कानपुर 

सोमवार, 12 अक्टूबर 2015

आँखों को प्यारी नींद हमारी

आँखों को प्यारी नींद हमारी 
न बुलाओ तब भी आता 
आकर मुझको सताता 
बताओ हम लोग को 
 कोई क्यों नही उठाता 
जो मुझको उठाता सुबह 
होकर मैं उसको बहुत सताता  
स्कूल में मुझे आता नींद 
पढाई में मेरा न लगता मन 
जल्दी उठाना कोई बात नही 
नींद में उठाना अच्छी बात नही 
सभी को अपनी नींद प्यारी 
न सो ओ तो आँखों बेचैन हमारी 
फिर इसके आगे कई रोक न हमारी 
सोने दो भाई आँखे है बेचैन हमारी 



                                                      नाम -विक्रम कुमार 
                                                कक्षा -5
                                             अपनाघर ,कानपुर 

शनिवार, 10 अक्टूबर 2015

हिंदी

आओ बच्चो सीखे हम 
हिंदी को दे नया जन्म 
क ख ग सीखेगे हम 
फिर हिंदी को हम करे नमन 
ये तो हिंदी की पुकार है 
जो जिन्दगी के उस पार है 
फिर भी हम दिल से कहते है 
ये तो वर्णों का हार है 
वर्ण मिलने से ही बनते शब्द 
जो बोलते है हमारे लब्ज



                                                             प्रन्जुल कुमार 
                                                                  कक्षा -6
                                                      अपनाघर ,कानपुर  

रविवार, 4 अक्टूबर 2015

सावन

सावन का है मौसम आया 
तालाब में है पानी भर आया 
बच्चे नहाते तालाब में 
चिड़िया चहके बाग़ में 
चारो तरफ है कीचड़ -कीचड़ 
लोग रहतें है भीतर -भीतर 
सावन  का है  मौसम  आया 

                                                           नाम- अखिलेश 
                                                           कक्षा -5
                                                          अपनाघर ,कानपुर