अपना घर बगिया के कुछ नए फूल
एक नयी उमंग सी आ गई है
हर चेहरे पर एक ख़ुशी सी छा गई
इन भोली शक्लों में न जाने क्या बात है
जो हम सबको भा गई है ......
कभी इनकी मासूम हंसी हमें गुदगुदाती है
तो इनके नट खट शरारत दिल में प्यार जगाती है .........
इनके बिन सावन के झूले सूने से लगते है
हर बगिया के फूल मुरझाने से लगते है
ये मुस्कराये तो सारा आँगन महकने लगते है
अगर ये रो पड़े तो सारा जहान रोने लगता है ............
कोयल से भी मीठे है इनके गीत
परियों सी अनोखी इनकी प्रीत
आसमान में ये उड़ान भरते
हवा से बाते करते ...............
सिकंदर हो या फिर हिटलर
ये किसी से नहीं डरते .......
हर घड़ी अपने मन करते
खुद मस्ती में रहते और सबको मस्त करते
दिल मलंग ,दिल मलंग ..................
दिल मलंग ,दिल मलंग .................../