बुधवार, 13 मार्च 2013

कविता : मंहगाई

"मंहगाई"

मंहगाई ने आसमान छू डाला ,
गरीबों को तो भूखा मार डाला .....
सब्जी मंहगी, अनाज मंहगा,
अब तो हर सामान है  मंहगा .....
पेट्रोल तो इतना मंहगा हो गया,
गाड़ियों में पेट्रोल डलवाना .....
कितना ज्यादा मंहगा पड गया ,
नया नेता बनाने से ......
कुछ बदलाव नहीं आया ,
सभी चीजों को मंहगाई ने है खाया ......

नाम : चन्दन कुमार, कक्षा : ७, अपना घर 

2 टिप्‍पणियां:

शिवनाथ कुमार ने कहा…

बहुत सही व काफी सुन्दर कविता

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !

ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बाल दिवस विशेषांक बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं यानि बच्चे किसी से कम नहीं मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !