मंगलवार, 24 जुलाई 2012

शीर्षक :- रात

शीर्षक :- रात 
अँधेरी काली रात....
रात की ये बात,
सुबह के पीछे रात....
शाम के आगे रात,
नीदों की ये बात....
सपनों की ये बात, 
बातों की ये रात....
जानों की ये रात,
सोंचने की ये बात....
अँधेरी क्यों है? ये रात,
नीदों की ये रात....
सपनो की ये रात,
सूरज की ये बात....
अँधेरी है ये रात,
कवि :हंसराज कुमार 
कक्षा : 9 
अपना घर  

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