शुक्रवार, 30 मार्च 2012

कविता : न होती

 न होती 

न होती रात,न होते दिन ,
सुहावनी सुबह ....
सुहावने शाम ,
न होती गर्मियों की गर्मी....
 न होती जाड़ों की सर्दी ,
होता केवल बादलों का घेरा,
घोर काला घनघोर अन्धेरा ....
और होती बादलों से बारिश ,

लेखक : हंसराज कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर  

बुधवार, 28 मार्च 2012

कविता : उठो देश के युवा जवानों

उठो देश के युवा जवानों 
अरे ओ देश के युवा जवानो ,
उठो और देश को तुम जानो....
बदल गया यह अपना देश ,
बदल गया यहाँ का परिवेश....
फैला है हर जगह भ्रष्टाचार ,
नहीं दिखता कही अब शिष्टाचार....
इस भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना है ,
एक अच्छा सा देश बनाना है ....
नहीं चलेगी अब किसी की तानाशाही,
मिलकर रहेंगे सब भाई -भाई ...
अरे ओ देश के युवा जवानो ,
इस देश को तुम बदल डालो ....

लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर    
 

 

मंगलवार, 27 मार्च 2012

कविता : आज का आदमी

 आज का आदमी 

हर गली घूमा हर गाँव घूमा,
हर घर एक बम वाला है .....
कब मिट जायेगें कब ख़त्म हो जायेगें,
इस को कोई नहीं रोकने वाला है .....
इधर आदमी उधर आदमी,
हर जगह आदमी ही रह रहा है.....
आदमी ही आदमी का इस वक्त,
एक दूसरे का लहू पी रहा है......

लेखक : सागर कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर  
 
 

सोमवार, 26 मार्च 2012

कविता : मन

 मन 

घूम के क्यों आ जाता है ,
सपने सबके भुला जाता है ......
नींद में भी ख़्वाब आता है,
आँखे खोलते ही गायब हो जाता है .....
सो जाने पर चला जाता मन,
गाँव-शहर घूम आता मन .....
घूम के क्यों आ जाता है ,
सपने सबके भुला जता है......

लेखक : ज्ञान कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर  

बुधवार, 21 मार्च 2012

कविता : चले गए चन्द्रमा के संग

 चले गए चन्द्रमा के संग 

चम-चम करती  चमक उठी यह चन्द्रमा ,
फैल गए तारे अंबर के आँगन में ......
देखा ना रहा गया पवन से ,
शुरु कर दिया उसने आवागमन .....
इतने में मेघनाथ को आया गुस्सा ,
उससे न सहा गया गुस्सा .....
चमक रहे थे जो तारे ,
चले गए चन्द्रमा के संग .......

लेखक : अशोक कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर   

मंगलवार, 20 मार्च 2012

कविता : लक्ष्य की पूर्ती करना

 लक्ष्य की पूर्ती करना 

विद्या अर्जित करने वाले हैं विद्यालय ,
जहां पर रहते हैं उसे कहते हैं, सब आलय ......
मान सम्मान सभी का करना ,
सच के आगें कभी न डरना .......
जब तक लक्ष्य की पूर्ती न हो पाए ,
तब तक तुम कोशिश करना ......
विद्या अर्जित करने वाले जाते हैं विद्यालय ,
जहां पर रहते उसे कहते हैं, सब आलय .......

लेखक : सागर कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर    

रविवार, 18 मार्च 2012

कविता : मौसम

 मौसम 

धूल,मिटटी,ककंड के संग ,
 ईंट,भट्टों के बीच गुजर रहा था जीवन......
ईंट की भट्टियां और भयानक गर्मी में,
बीता जा रहा था ये अपना बचपन......
धूल मिट्टी और कंकड़ के संग,
घुल मिल सा गया था ये मन .....
पड़ने का था शौक बहुत मुझे,
इस जीवन से न थी कोई आशा ......
सुबह-२ बच्चों को स्कूल जाते देख,
होती मन में बड़ी जिज्ञासा......
एक रोज है वो बात,
मैं कर रहा था भट्टेपर काम ......
तभी आयी एक खबर मेरे पास ,
पड़ने का था एक वो पैगाम.........      

लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर  
  
 

गुरुवार, 15 मार्च 2012

कविता : मन को जान लूँ

 मन को जान लूँ


कविता मैं सोच रहा था ,
मन की बाते खोज रहा था....
 बातों को गहराई से सोचने लगा ,
कविता भी मेरी आगें बनती गयी .....
 सोचा मैने और कविता को बडाऊ,
जिससे की थोड़ा मैं और दिमाग को लड़ाऊ ......
कविता मैं सोच रहा था ,
मन की बातें सोच रहा था......

लेखक : लवकुश कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर  

बुधवार, 14 मार्च 2012

कविता : किताब

 किताब 

किताब क्या चीज है ?
पता करके देख लो ......
समझ में आये तो ,
पढ़कर देख लो ......
समझ में आ जाए तो ,
सबको बता दो......
किताब में लिखी ,
सभी लाइनों को पढ़ डालो ....
हिला दो पर्वत,नदियाँ बहा दो,
मुश्किलों को हँस कर गुजार दो ......

लेखक : जमुना कुमार 
कक्षा : 6
अपना घर  

मंगलवार, 13 मार्च 2012

कविता : भठ्ठा

भठ्ठा

क्या थी ईंट भठ्ठों की कहानी ,
मैने अभी तक है खूब जानी ....
नन्हें-नन्हें बच्चे ईटों को बनाते हैं ,
इसी से जिन्दगी को आगें बढ़ाते हैं .....
बचपन मिट्टी में लग जाता है ,
मिट्टी में बचपन मिट जाता है .....
न कुछ पढ़ने को मिल पाता ,
न कुछ सीखने को मिल पाता .....
अभी भी बीत रहे है बचपन ,
ठेकेदारों से लिया माँ-बाप का कर्जा चुकाने में ......


लेखक : चन्दन कुमार 
कक्षा : 6
अपना घर  
 

शनिवार, 10 मार्च 2012

कविता : सड़क

 सड़क

कानपुर की सड़क .....
आपने देखी की नहीं देखी ,
यहाँ हुई धक्का-मुक्की .....
आपने भोगी की नहीं भोगी,
एक बार हम जा रहे थे बारात .....
तब हो चुकी थी आधी रात ,
हम तो केवल उन्हें रास्ता ....
ही बता रहे थे ,
बस को तो केवल ड्राइवर साहब ......
ही चला रहे थे ,
तभी आया एक गड्ढा....
येसा दिखा जैसे खुद गया भठ्ठा,
तभी एक हल्की प्रकश ......
की ट्यूब लाईट जली ,
मैने सोचा इससे तो .......
अपनी ही माचिश भली ,
तीली तो जल्दी बुझ जायेगी ......
लेकिन रास्ता तो साफ बतलायेगी,
कानपुर का नगर निगम है......
बहुत देश प्रेमी और सच्चा,
इसलिए तो कानपुर में गड्ढा .....
मिलता है गहरा और बड़ा अच्छे ,      

लेखक : सोनू कुमार 
कक्षा : 10  
अपना घर