रविवार, 13 नवंबर 2011

सुन्दर प्रकृति

कविता - सुन्दर प्रकृति 
 कितनी बड़ी हैं यह प्रथ्वी हमारी ,
जिस पर हैं ये दुनिया सारी .....
हर तरफ इसके पानी हैं,
दुनिया जो जानी पहचानी हैं....
बिखरा पड़ा हैं यहाँ सौन्दर्य अपार,
फूलो की घाटी, हिमालय और पहाड़......
नष्ट न होने दो इस सौन्दर्यता को  ,
 ख़त्म करो न तुम इसकी जड़ता को .....
जम्मू के इस प्राकृतिक सौन्दर्य को ,
देख हर्षित होता हैं सबका मन .....
अच्छा लगता हैं सभी को ,
बस ऐसा ही जीवन .....
लेखक - धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा - ९ अपना घर ,कानपुर  

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति
बधाई

रुनझुन ने कहा…

बहुत सुन्दर!!!... सचमुच हमारी पृथ्वी बहुत ही सुन्दर है... हमें इसकी सुंदरता यूँ ही बनाये रखने के लिए सतत प्रयासरत रहना चाहिए...

Pallavi saxena ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति ... एक बात बोलूँ आप भी कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर स्वागत है आपका follower बने हैं तो फॉलो भी करना चाहिए न :-)