शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

कविता - मकसद एक हैं

मकसद एक हैं
इस दुनिया में हैं फूल अनेको रंग के ,
लेकिन इसका मकसद हैं सिर्फ एक ......
इस जग को हरपल महकाते रहना,
क्यों न हो इनके रंग अनेक ......
इस कमल को देखो जो कि ,
कीचड़ में भी हैं उग आता ......
इतना सुन्दर होता हैं ये ,
अपनी सुन्दरता पर नहीं ये इठलाता ......
इस तरह मकसद कई हैं इस दुनिया में ,
उनका भी हो सिर्फ एक मकसद ......
लोगो को रखना हैं खुश ,
तभी होगा जीवन सफल ......

लेख़क  -धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा - ९ अपना घर, कानपुर

रविवार, 18 सितंबर 2011

कविता : प्रकृति के रस गान

 प्रकृति के रस गान 

संसार है अपना कितना अनमोल ,
कितना अच्छा है हम लोगों का भुगोल.....
इस संसार में तरह-२ के जन्तु पाए जाते,
जो हम लोगों को सुंदर गीत सुनाते....
हरी भरी दुनियाँ है हमारी,
इसमें होती हैं फसलें प्यारी....
कृषी प्रधान है देश हमारा,
किसानों से प्यार करने वाला.....
जहाँ गंगा माँ जैसी नदी है बहती,
वहाँ की धरा खूब उपजाऊ है होती.....
संसार है अपना कितना अनमोल,
कितना अच्छा है हम लोगों का भुगोल....

लेखक : मुकेश कुमार 
कक्षा :10
अपना घर  

कविता -अन्ना हजारे

अन्ना हजारे
देश का एक अन्ना हजारे ,
जिसकी एक पुकार से ...
सरकार के नेता हिल गये,
 जन लोकपाल बिल देखकर.....
उनके रूह  कॉप गये ,
भ्रष्टाचार के समर्थक में युवा बच्चे सब कूद गये.....
युवा बच्चो बूढों की लड़ाई  देखकर ,
भ्रष्टाचार फैलाने वाले नेता गये भाग......
यह तो अन्ना हजारे की एक शांतिपूर्ण लड़ाई हैं ,
उनका जज्बा जोश देखकर .......
हम युवाओ की अंगड़ाई जग गई,
हम लाखो को देखकर .......
भ्रष्टाचार फ़ैलाने वाले नेतओं के अन्दर खामोशी छा गई,
हम युवाओ  के लिए अन्दर दूसरी आजादी छा गई .......
देश के लिए दूसरी लड़ाई  आ गयी ,
यह एक भ्रष्टाचार नहीं आजादी की दूसरी लड़ाई हैं......
हम सभी लोगो ने मिलकर  ,
जब जन लोकपाल बिल की अपील की........
जन लोकपाल बिल पास हो जायेगा ,
अन्ना जैसे व्यकित हजारो  देश में आ जायेगे...... 
घुसखोरी भ्रष्टाचार को देश से दूर हटायेगे ,
जो नेता करोडो रुपयों का घोटाला करते हैं.......
वह गरीबो लोगो के पेट काटकर पैसा अपने थैले  में भरते हैं,
जन लोक बिल आ जायेगा ........
बड़े -बड़े घोटाला करने वाले नेतओं को देश दूर भागायेगा.......
लेख़क - मुकेश कुमार
कक्षा - १० अपना घर ,कानपुर

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

कविता -आओ सब एक साथ

आओ सब एक साथ
 कैसे गये कैसे गाये,
इस देश के गुणगान ....
नहीं बचा हैं ऐसा कुछ ,
लुट गया हैं सारा देश .....
कैसे गाये कैसे गाये,
इस देश के गुणगान.....
लूटने वाले ले गये सारा माल,
साथ में ले गये सारा इमान......
लोगो   की बात करे ,
सब नहीं आते सामने......
बैठे रहते छाव के नीचे ,
करते रहते कुछ बाते .....
उनको क्या परवाह ,
क्या हो रहा हमारे यहाँ ......
क्या- क्या करे एक इंसान  ,
आओ सब एक साथ .....
करो संघर्ष एक साथ ,
जिससे हो देश का कल्याण ......
न हो आज जैसा हलात ,
सबको आना चाहिए एक साथ .......
करने चाहिए कुछ ऐसे काम,
जिससे हम गये देश के गान......

लेख़क -अशोक कुमार
कक्षा -९ अपना घर ,कानपुर

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

कविता - भ्रष्टाचार


भ्रष्टाचार
 आज के इस भ्रष्ट समाज  में ,
 भ्रष्टाचार से त्रस्त समाज में .....
हो गया हैं जीना मुश्किल ,
छाये हैं देश में कई अखिल,
भ्रष्टाचार से मुक्ति के पाना ......
अन्ना का समर्थक करते जाना,
एक बार देखो करके समर्थन ......
अन्ना का तो करके दर्शन ,
जान लोकपाल से होगे तुम मुक्त......
नेता सभी होगे जायेगे दुरुस्त ,
अन्ना हैं इस देश का सहारा .....
सुधरेगा अब ये देश हमारा .......
लेख़क -सोनू कुमार
कक्षा -१० अपना घर ,कानपुर

चीटीं

चीटीं 

चीटीं होती कितनी हल्की ,
बोझा लेके चलती हिलती-डुलती .....
जाड़े के लिए भोजन करती एकत्र,
 इसलिए वह घूमा करती सवत्र....
देख रही है वह एक दाना ,
जो उसको है अपने बच्चों को खिलाना ...
जाड़े में है वह ठंडी सहती ,
अपनी शरीर की सुरक्षा करती.....
चीटीं होती कितनी हल्की ,
बोझा लेके चलती हिलती-डुलती....

लेखक : ज्ञान कुमार 
कक्षा : ८
अपना घर 

रविवार, 11 सितंबर 2011

कविता :आ गए काले अंग्रेज

आ गए काले अंग्रेज 

अच्छे खासे देश में 
आ गए काले अंग्रेज
खाते हैं मुर्गा और आचार 
करते हैं देश में भ्रष्टाचार 
कहलाते हैं देश के नेता 
इनसे देश का हर आदमी रोता
अच्छे खासे देश में
आ गए काले अंग्रेज

लेखक : सागर कुमार 
कक्षा : ८
अपना घर  


शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

कविता - जल

 जल
लोग करते हैं जल का खूब दुर्पयोग ,
नहीं करते ये इसका सही उपयोग .....
नल के पास ही ये हैं गन्दगी करते ,
उसी नल से ये पानी हैं भरते हैं .....
गाँव में अधिकतर ऐसा ही होता हैं ,
जहाँ नल हमेशा हैं रोता  रहता .....
इसीलिए तो लोगो को होती बीमारी,
कुछ को हैजा तो कुछ जो महामारी ......
इन गाँव को करना हैं शिक्षित ,
कोई रहे न अब अशिक्षित .....
जल हैं हम सब का जीवन ,
जल को रखो साफ तुम हर दम.....
लेख़क - धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा -९ अपना घर कानपुर

गुरुवार, 1 सितंबर 2011

कविता भ्रष्टाचार

 भ्रष्टाचार
१५ अगस्त हम सबने हैं मनाया ,
सबने खूब मिठाई हैं खाया .....
क्या हम पूर्ण रूप से हैं क्या आजाद,
ये नेता तो कर रहे हैं देश  बरबाद .....
अग्रेजो से तो हो गये  आजाद ,
ये भ्रष्ट नेता कर रहे हैं देश बरबाद.....
क्या ये गांधी सुभाष के  हैं सपनों का देश, 
यहाँ भ्रष्टाचारी रहते हैं बदल के भेष ......
अन्ना के अब इस आन्दोलन से  ये ,
पूरा देश लगा रहा हैं नारे .....
  भ्रष्टाचार ख़त्म करने में अब,
पूरा देश हैं साथ तुम्हारे ......

लेख़क -धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा - ९ अपना घर ,कानपुर