सोमवार, 29 अगस्त 2011

कविता : हम किसे कहें आजादी

 हम किसे कहें आजादी

हम किसे कहें आजादी ,
हम तो हैं बचपन से गुलामों के बंधन में.....
कभी घर के तो कभी बाहर के,
यह क्या है फिर आजादी......
सारा जीवन तो है गुलामी में,
फिर हम किसे कहें आजादी......
हम हैं बचपन से गुलामों के बंधन में,
कभी घर के तो कभी बाहर के.......

लेखक : अशोक कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर

शनिवार, 27 अगस्त 2011

कविता : पूरा नहीं कर पाते

 पूरा नहीं कर पाते 

आज की इस भीड़ में ,
हो न जाना तुम मत शामिल......
क्योंकि हर जगह हो रही है,
सरकार की अब दादागिरी......
पंद्रह अगस्त के दिन तुम देखो,
झंडा पहले फहराते हैं......
अन्ना जी की मांगों को,
पूरा नहीं कर पाते हैं.....

लेखक : ज्ञान कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर 

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

कविता - भ्रष्टाचार

 भ्रष्टाचार
ख़त्म करो यह भ्रषाचार,
ख़त्म करो यह दुराचार ......
यूथ का हैं यह जमाना  ,
देश तेरे साथ हैं अन्ना हजारे ........
कल्यामानी जैसे लोगो का ,
क्यां हैं अब कहना .......
उन्हें तो पड़ा हैं बस लूटना ,
सोना चांदी और गहना........
अन्ना के यूथ समर्थन में ,
आ सकती हैं क्रान्ती.......
इससे बंद हो सकता हैं ,
नेतओं का हुक्का और पानी ..........
लेख़क - सागर कुमार
कक्षा - ८ अपना घर ,कानपुर

गुरुवार, 25 अगस्त 2011

कविता -नानी की कहानी

नानी की कहानी
नानी कहे  एक कहानी, 
किसने जानी बात पुरानी     ....
जिसमे थे राजा और रानी ,
न करते थे मनमानी.....
तब नानी ने सुनायी कहानी,
यह भूल गये हम क्या था उस पल......

लेख़क - चन्दन
कक्षा - ६ अपना घर ,कानपुर

कविता - रोटी

  रोटी
रोटी तो भाई रोटी हैं ,
रोटी का अलग इतिहास हैं.....
रोटी का हैं कितना महत्त्व हैं,
काम केवल करते हैं रोटी के लिए.....
मरते हैं जीते हैं रोटी के लिए ,
लडडू पेडा खाने से केवल मन भरेगा ....
रोटी सब्जी खाने से पेट भरेगा ,
रोटी को भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता हैं......
रोटी को चपातियाँ .कुलचा .फुलके ,रोगन ,
के नाम से पुकारा जाता हैं .....
रोटी तो मनुष्य की जान हैं,
रोटी तो मनुष्य का भगवान हैं.....
रोटी तो हमारी तो भूख मिटाती हैं,
 रोटी हमें काम करने के लिए उर्जा देती हैं .....
रोटी तो भाई रोटी हैं कितनी अनोखी रोटी हैं ......

लेख़क- मुकेश कुमार
कक्षा - १० 
अपना घर कानपुर

शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

कविता - चाहत

 चाहत
वे लोग भी क्या होते हैं ,
जिनकी कुछ चाहत होती हैं.....
वे कुछ भी करते ,
उनकी अलग ही पहचान होती .....
उसमे जरुर किसी  की बात होगी ,
यह पता  नहीं कौन सी बात होगी ......
जरुर उसकी कुछ खास बात होगी ,
जिसमे उसकी पहचान होगी .....
अपनी हर बात होती हैं ,
जो किसी तरह से खास होती हैं ......

 
लेख़क - अशोक कुमार
कक्षा - ९ अपना घर कानपुर

गुरुवार, 18 अगस्त 2011

काली रात

काली रात 
रात हुई सुबह .सुबह हुई शाम ,
शाम हो गयी काली रात ....
 छाया था चारो तरफ सन्नाठा,
 सन्नाठे के डर से मैं झाड़ियो के पीछे था बैठा......
सोच ही रहा कि कब होगा उजाला ,
तब तक पास वाली झाड़ी से एक खतरनाक  जानवर निकला.......
देखते ही देखते उन जानवरों ने ले लिया डेरा ,
मन ही मन कह रहा था कि  कब होगा सबेरा ........
 क्योंकि इन  जानवरों ने लगा लिया हैं डेरा ,
यदि मुझे देख लिया तो क्या होगा मेरा .......
कुछ ही देर में बन गया मानव  ,
एक ने कहाँ कि लोगो की सेवा करेगे हम मानव....... 
उनमे से एक आया मेरे पास ,
मैं डर के मारे हो गया उदास ........
उसने मुझे पकड़ा और सब के पास लाया,
मेरे बारे में  सबको उसने बताया ........
कहाँ कि यह हैं हमारे राजा  ,
हम हैं इनकी प्रजा .......
थोड़ी ही देर में बीती काली रात,
दोस्तों अब मेरी कविता हुई समाप्त......

लेख़क -आशीष कुमार
कक्षा - ९ अपना घर .कानपुर
 

बुधवार, 17 अगस्त 2011

कविता : चाहत

 चाहत 

वे लोग भी क्या होते हैं ,
जिनकी कुछ चाहत होती.....
वे कुछ भी करते ,
उनकी अलग ही पहचान होती.....
उसमें जरुर किसी की बात होगी,
वह पता नहीं कौन सी बात होगी....
जरुर उसकी कुछ ख़ास बात होगी,
जिसमें उसकी यह पहचान होगी .....
अपनी हर बात होती है ,
जो किसी तरह से ख़ास होती है.....

लेखक : अशोक कुमार 
कक्षा : ९
अपना घर  

कविता : सावन का महीना

 सावन का महीना 
  
सावन का है मौसम आने वाला ,
सबको मन को है भाया ....
सावन के महीने में ,
बारिश के बूदों में.....
नहायेगें सब घर के आँगन में,
छाई है हरियाली सब के खेतों में.....
चिड़ियाँ उड़ती हैं आकाश में,
चुगती हैं दाना हरी-हरी घासों में.....
चिड़ियों को देख कर ख्याल आता हैं मेरे मन में,
एसा लगता है मैं भी उड़ा करू आकाश में......

लेखक : सागर कुमार 
कक्षा : ८
अपना घर

रविवार, 14 अगस्त 2011

कविता : पानी बरसा

पानी बरसा 
पानी बरसा झम-झम-झम,
सामग्री लेने निकले थे जब हम.....
बूंद गिरी मेरे सर पर,
बिजली गिरी आसमान पर.....
पानी बरसा धरती में,
मोर नाच रहे हैं जंगल में......
कोयल गाती पेड़ों में,
हम भींग रहे हैं पानी में....
पानी में जब पानी गिरता है,
तब खाली गड्ढा भी भरता है.....
येसी बारिश में बच्चे खूब नहाते हैं,
किसान को अपने हरे-भरे खेत सुहाते हैं.....
जब न बरसे पानी,
तुम याद करो कोई एक कहानी.......
फिर सबको सुनाओ 
बारिश हो जब कूंद-कूंद नहाओ 
लेखक : आशीष कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर  

शनिवार, 13 अगस्त 2011

कविता - हुआ मन सुहाना

 हुआ मन सुहाना 
 सभी के दिल में पंहुचा ,
 एक नया प्रकाश ......
 तभी बारिस का दिखा प्रभाव,
देख बूदो के नज़ारे.....
 मौसम हुआ सुहाना,
 देखने लगे वे लोग .....
 बैठे थे जो लोग घर के अन्दर, 
 नहीं लग रहा था मन.....
कोठरी के अन्दर,
लग रही थी बदन में......
सुहानी सी पवन ,
जिससे हो रहा था बदन नर्म......
सभी के दिल में पंहुचा ,
एक नया प्रकाश......
तभी बारिस का दिखा प्रभाव.......

 लेखक - जमुना कुमार 
  कक्षा - ६ अपना घर कानपुर

शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

कविता - सैर चलो हम करे

  सैर चलो हम करे
चलो हम सैर करे ,
किसी से बैर न करे......
लड़ाई किसी से न करे,
सभी बच्चो ने देखा चीता....
लेकिन मैंने देखी सूत ,
वही से निकल पड़ा भूत.....
हम अब सैर नहीं करेगे ,
क्योकि मिल जाता हैं रास्ते में भूत....

 लेखक  - चन्दन कुमार 
 कक्षा - ६ अपना घर , कानपुर

कविता - जल और पर्यावरण

 जल और पर्यावरण 
पानी से ही हैं हम सबका जीवन ,
खूब करो तुम जल का उपयोग .....
लेकिन कभी अपने लिए तुम,
पानी का मत करो  दुर्पयोग.....
 जल के  द्वारा ही होते  ये ,
हरे - भरे पेड़ पौधे.....
मत काटो इन पेड़ो को तुम,
आक्सीजन हमको ये प्रदान  करते.....
 गाडी मोटर और फैक्ट्रियो से ,
  प्रदूषित  होता हैं ये पर्यावरण......
   मेरा कहना  हैं सब लोगो से,
 साफ रखो तुम अपना वातावरण.....

लेखक - धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा - ९ अपना घर ,कानपुर

रविवार, 7 अगस्त 2011

कविता : हमारा ब्रम्हाण्ड

कविता : हमारा ब्रम्हाण्ड

हमारा ब्रम्हाण्ड है बड़ा अनोखा,
गौर से नहीं इसको हमने देखा ....
क्या वहां पर भी होगा येसा जीवन,
कैसा होगा वहां का पर्यावरण ....
रात को हैं ये टिमटिमाते तारे ,
देखने में लगते हैं ये कितने प्यारे....
ब्रम्हाण्ड को जानने की बड़ी लालसा ,
चाँद पर जाने की है मेरी भी आशा .....
एक छोटा सा है संसार हमारा ,
कितना अच्छा है कितना प्यारा....
धरती हमारी सहती है कितना भार,
क्या सोंचा है कभी हमने एक बार ...
लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर


शनिवार, 6 अगस्त 2011

कविता - पहल होगी चारों ओर

 पहल होगी चारों ओर  
जब सूरज  ढल जाएगा ,
 तब बालक सो जाएगा .....
 सूरज के आते ही ,
वह भी उठ जाएगा......
 कलियाँ खिलेगी पुष्प सुगंध देगे,
 भँवरे उस पर मंडराएगें ......
 कौवा बैठा डालपर बोल उठेगा,
 आम खाता तोता टाव - टाव कर गाएगा   ......
 सब पक्षी चह चाहएंगे    ,
बच्चे शोर मचाएंगे   ......
हवा चलेगी चारों ओर ,
 बच्चो की पहल होगी चारों ओर...... 


लेखक - आशीष कुमार 
 कक्षा - ९ अपना घर कानपुर

कविता - जल

जल 
पानी जीवन हैं सबका 
 आदमी हो या बच्चा  
 जल तो होता हैं तरल 
 बहे तभी जब ढाल 
 H और O का मिश्रण  
 साथ में होता हैं लवण  
 रसायन  में जाना हमने 
  दो H और O इसमे 
 फ्री  में जल मिलेगा भइया 

गुरुवार, 4 अगस्त 2011

कविता - हर उमगों से

हर उमगों से 
 मन की हर उमगों से ,
 ये जीवन भरा हैं तरंगो से.....
 हर एक की अपनी उमगें,
निकल रही उसमें तरंगें .....
 कैसी हैं हर उमगें ,
 नहीं निकलेगी ज्वाला की तरंगें.....
 मिला दो उसमे ऐसी उमगें ,
  मिट जाए  उसकी तरंगें .....
 मन की हर उमगों से ,
ये जीवन भरा हैं तरंगों......

 लेखक - अशोक कुमार 
कक्षा - ९ अपना घर, कानपुर

सोमवार, 1 अगस्त 2011

कविता : गंगा के उस पार चलें

गंगा के उस पार चलें 

 चलो-चलो अब सैर करें, 
गंगा के उस पार चलें....
गंगा के उस पार जायेगें,
मौज मस्ती करके आयेगें.....
हवा चलेगी ठंडी-ठंडी,
 मौसम होगा खूब सुहाना....
चलो-चलो अब सैर करें,
गंगा के उस पार चलें....
पानी होगा कितना निर्मल,
ठंडा और होगा शीतल....
 चलो-चलो अब सैर करें,
गंगा के उस पार चलें...

लेखक : मुकेश कुमार 
कक्षा : 10
अपना घर