" मेरा गाँव "
आज भी वे दिन याद आते हैं ,
जब हम बचपन में तलाब में नहाते थे |
आज भी वे गलियाँ याद आती है ,
जहाँ हम क्रिकेट खेला करते थे |
आज भी वे दिन याद आते हैं ,
जब हम बचपन में तलाब में नहाते थे |
आज भी वे गलियाँ याद आती है ,
जहाँ हम क्रिकेट खेला करते थे |
आज भी वे दोस्त याद आते है ,
जिसके साथ हम समय बिताया करते थे,
बाते किया करते थे , घूमा करते थे |
अपने दोस्तों के लिए हम घर में ,
डांट भी खाते थे ,
फिर भी मिलने जाते थे |
आज भी वे दिन याद है ,
जिसके साथ हम वक्त बिताते थे |
कविः संतोष कुमार , कक्षा: 9th
अपना घर
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