गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

कविता : " मेरा गाँव "

  " मेरा गाँव " 
आज भी वे दिन याद आते हैं , 
जब हम बचपन में तलाब में नहाते थे | 
आज भी वे गलियाँ  याद आती है ,
जहाँ हम क्रिकेट खेला करते थे | 
आज भी वे दोस्त  याद आते है ,
जिसके साथ हम समय बिताया करते थे,
बाते किया  करते थे , घूमा करते थे | 
अपने दोस्तों के लिए हम घर में ,
डांट भी खाते थे ,
फिर भी मिलने जाते थे |
आज भी वे दिन याद है ,
जिसके साथ हम वक्त बिताते थे |


कविः संतोष  कुमार , कक्षा: 9th 
अपना घर  

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