सोमवार, 30 मार्च 2020

कविता : एक दूजे का साथ देना होगा

" एक दूजे का साथ देना होगा "

क्यों खुशियों  का समंदर
आज शमशान सा लगने लगा है,
क्यों वो जानी पहचानी वो सड़कें 
आज अनजान सी लगने लगी हैं | 
ये तो वही खुशियाँ है 
जहाँ हम एक साथ हँसते थे,
ये तो वही वो सड़कें हैं 
जहाँ हम -तुम साथ चलते थे | 

क्यों आज हँसी में रुकावटें आ रही है,
क्यों प्यार का भँवरा कहीं और मंडरा रही है | 
क्यों वो मिटटी के खिलौने आज टूटने लगे है 
क्यों आज हम एक दूसरे से लड़ने लगे हैं | 

हम अब भी खुशियों को सजा सकते हैं,
उन टूटे खिलौनों को फिर बना सकते हैं | 
इस शुभ कार्य को अब ही करना होगा,
इस भीड़ भाड़ की दुनियाँ में 
एक दूजे का साथ जीवन भर देना होगा | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक " एक दूजे का साथ देना होगा " है | बढ़ती दुनिया में रिश्ते -नाते ख़त्म न हो इसीलिए इस कविता को लिखने का मकसद है | इस कविता में पुराने दिन को compare कर आज जो चल रहा है और उसमें क्या बदलाव आ रहे हैं उसको लिखा है | 

शनिवार, 28 मार्च 2020

कविता :सर्दी

" सर्दी "

सर्दी है अब जाने वाला,
गर्मी है अब आने वाला | 
कौन सा मौसम है अच्छा वाला,
क्या कहूं हर मौसम है मतवाला | 
सर्दी में मन गर्मी को भाई,
गर्मी में मन सर्दी को भाई | 
सर्दी में है लोग सिकड़ने,
गर्मी में लगे पसीने से चिढ़ने | 
सर्दी में लोग आग तापते,
गर्मी कम हो ये कामना जापते |
सर्दी है अब जाने वाली,
इसीलिए मैं पंखा निकाल ली |

कवि : पिंटू कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता पिंटू के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | पिंटू को  लिखने का बहुत शौक है | क्रिकेट खेलने में बहुत माहिर हैं | एक दूसरों से बहुत ही अच्छे से बात करते हैं |  

शुक्रवार, 27 मार्च 2020

कविता : नाख़ुश है पत्ते

" नाख़ुश है पत्ते "
 
क्यों मायूश  दिखते ये पत्ते,
क्यों इस ताप से नाख़ुश है पत्ते | 
गिरते , गिड़गिड़ाते और मुरझा जाते,
समय होते ही जमीं पर आ जाते | 
क्या यूँ ही झरकर गिरना था,
या फिर हरियाली की सीढ़िया चढ़ना था | 
क्यों सहमें से लगते है पत्ते,
क्यों एक बार छूने से डरते है पत्ते | 
ये पत्तों की कहानी है,
यही उनकी किस्मत और कहानी हैं | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कविता : कोरोना का कहर

" कोरोना का कहर "

कोरोना ने मचा दिया तबाही,
सब परेशां हो गए मेरे भाई | 
कोई खोज नहीं पाया इसकी दवाई,
कुछ परेशां हुए ,कुछ बच न पाई | 
फिर भी कोरोना का पेट न भर पाई | 
कोरोना ने छोड़ा  अपना कहर,
गांव हो या फिर हो कोई शहर | 
घर में पड़े पड़े हो रहे परेशां,
अब क्या करें यही है समाधान | 

कवि : कामता कुमार , :कक्षा  : 8th,  अपना घर

गुरुवार, 26 मार्च 2020

कविता : महामारी

" महामारी "

फ़ैल रही है महामारी,
ये है कोरोना जैसी घातक बीमारी | 
एक को होकर दूसरे को होए,
जो भी उन बीमारों को छुए | 
इसका संक्रमण तेजी से फैलता,
कोरोना का इलाज मुश्किल से मिलता | 
खुद तो मौज से घूम रहा  है,
लोगों को यूँ ही कैद कर रहा है | 
मैं इसके बारे में क्या बताऊँ,
पूरा शहर है इससे lockdown | 

कवि : प्रांजुल कुमार।  कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | पढ़लिखकर एक नेक इंसान बनने के साथ अपने परिवार वालों की मदद करना चाहते हैं | प्रांजुल पढ़ने में बहुत ही होशियार हैं | हमेशा लोगों को अपनी बातों से प्रेरित करते हैं |

कविता : कोरोना को मिलकर भगाएँगें

" कोरोना को मिलकर भगाएँगें "

ये कैसा समय आ गया  मेरे भाई,
क्यों ये दुःख की घडी छाई 
कोई न अब रोड पर जाए,
जाए तो बस कोरोना जाए | 
ये क्रोना क्यों आया भारत देश में,
जबकि यह उत्पन्न हुआ विदेश में | 
कितनों को इसने सताया,
पर कुछ को डॉक्टरों ने बचाया | 
मुँह , हाथ और कान को बंद है छूना,
अब तो लोगों को घरों में है जीना | 
कोरोना का बढ़ता कहर,
दिन , शाम और दोपहर |
एक दूसरे का साथ निभायेंगें,
इस कोरोना से पीछा छुड़ाएंगें | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं और अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | समीर इसके आलावा गीत भी बहुत अच्छा गाते हैं और लोगों तक अपनी बातें गीत के जरिए पहुँचाते हैं |

बुधवार, 25 मार्च 2020

कविता : बसंत के मौसम में

" बसंत के मौसम में "

बसंत के मौसम में,
कुछ तो अलग होगा 
चाँद और सितारों के बीच
 कोई तो राज़ होगा | 
बसंत के मौसम में,
शहर में खुशहाली है | 
भगवान के चरणों में पीला फूल चढ़ा है
यह मौसम कितना बड़ा है |
इस बसंत में होगी हरियाली,
चिड़ियों की रंग बिरंगें निराली |
बसंत के मौसम में,
कुछ तो अलग होगा | 

कवि : संजय कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता संजय के द्वारा लिखी गई है जो की झारखण्ड के रहने वाले हैं | संजय एक बहुत ही मेहनती बालक है और हमेशा पढ़ाई के प्रति अटल रहता है | संजय को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |

मंगलवार, 24 मार्च 2020

कविता : रंगों की होली

" रंगों की होली "

होली है रंगों का त्यौहार,
बच कर रहना मेरे यार |
अबीर -गुलाल लगा रहे हैं,
अच्छा - अच्छा खिला रहे हैं |
सबको रंग लगा रहे हैं
उड़ रहा है रंगों का फौवार,
ख़ुशी से मना रहे हैं त्योहार |
गीले पड़ें हैं सारे रास्ते,
कैसे चलूँ किसी के वास्ते |
पापड़ों में भी है अलग स्वाद,
 यही है रंगों का त्यौहार मेरे यार |
होली है रंगों का त्यौहार,
बच कर रहना मेरे यार |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप पढ़ -लिखकर एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |   पढ़ने में बहुत ही होशियार है और अपने समाज और परिवार वालों  चाहते हैं |

सोमवार, 23 मार्च 2020

कविता : नई जिंदगी

" नई जिंदगी "

मनुष्य की नई जिंदगी,
और स्वभाव सुन्दर बनाता है | 
डर और अभ्यास 
अपने से दूर करता है | 
रास्ते और सफर 
दोनों ही तय करते हैं की 
मनुष्य की परिश्रमता ही 
उनको जीवित रखती है | 
मेहनत और जूनून 
मनुष्य को नै राह दिखाती है
परिश्रम और मेहनत 
मनुष्य को नई जिंदगी देती है | 

कवि : सनी कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता सनी के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | सनी कवितायेँ बहुत अच्छी लिखते है | इस कविता का शीर्षक नई जिंदगी दिया है जिसमें मनुष्य का जिक्र किया गया है | उम्मीद है की सनी और भी अच्छी कवितायेँ लिखेंगें |
 

रविवार, 22 मार्च 2020

कविता : बच्चों की टोली होली में

" बच्चों की टोली होली में "

होली आई होली आई,
रंग बिरंगी होली आई | 
 होली में उड़ते हैं रंग,
सब हो जाते है रंग बिरंग | 
सब लोग साथ में खेलते होली,
एक दूसरे के मारते रंगों की गोली | 
मिटटी से खेलते हैं होली,
बच्चे की चलती है टोली | 
होली आई होली आई,
रंग बिरंगी होली आई | 

कवि : नवलेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय :  नवलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार  वाले हैं | नवलेश को कवतायें लिखना बहुत अच्छा लगता है | नवलेश बहुत अच्छा क्रिकेट खेलते हैं और बहुत छक्के मारते हैं | पढ़ने में बहुत अच्छे हैं

शनिवार, 21 मार्च 2020

कविता : चिड़िया

" चिड़िया "

चिड़िया चह -चह चहाती है,
फुदक -फुदक सबका मन भरती है | 
कभी एक डाली पर आती है,
कभी दूसरी डाली पर उड़ जाती | 
फिर उड़ती है चुगती दाना,
बच्चो को है उन्हें खिलाना | 
एक -एक कर गाती गाना,
आ जाती है घर के अंदर,
बच्चों को देती ज्ञान का समंदर |
फिर उड़कर बाहर जाती है,
डाली -डाली पर मंडराती है | 
चिड़िया चह चह चहाती है | | 

कवि : नवलेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता नवलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | नवलेश को कवितायेँ बहुत अच्छी लगती है और कवितायेँ लिखते भी हैं | हमें उम्मीद है की नवलेश भविष्य में बहुत सी कवितायेँ लिखेंगें | इस कविता में एक चिड़िया के बारे में प्रस्तुत किया है |

शुक्रवार, 20 मार्च 2020

कविता : कल की दुनिया हमारी है

" कल की दुनिया हमारी है "

शहमें हम रह चुके,
गम हम सह चुके |
तेरे बातों में भी गौर किया मैंने
तेरे कहने पर जिंदगी जिया हमने
पर कुछ मिलने की आशा न दिखी मुझको
क्योंकि मैं समझ चूका था
परवाह नहीं है तुझको खुद तो चुका है
 और मेरे सपने छीन रहा है
पर अब आगे नहीं
क्योकि तुमसे कुछ तो हुआ न सही
अब हमारी बारी है
क्योंकि कल की दुनिया हमारी है
तुझे परवाह क्या है
क्योकि तुम तो मील से पैसा ऊगा लोगे
उन पैसों से सुविधा जुटा लोगे
हमारे लिए काले  कण छिड़क जाओगे
 हमारी जिंदगी बर्बाद करोगे
इसीलिए अब हमारी बारी है
क्योंकि कल की दुनिया हमारी है  

कवि :  देवराज कुमार , कक्षा : 9th ,  अपना घर

गुरुवार, 19 मार्च 2020

कविता : कोरोना

" कोरोना "

फ़ैल रही है महामारी,
कर लो अब बचने की तैयारी | 
लोग हो या हो व्यापारी 
सबको फैलेगी कोरोना वायरस  बीमारी | 
सर दर्द , खाँसी और बुखार,
इस वायरस का नहीं है उपचार | 
जिसको वायरस लपकता है,
वो जिंदगी से जल्द टपकता है | 
आजकल इसी का है भौकाल,
लोगों ने कर ली धीरे अपनी चाल | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं और कवितायेँ लिखने में बहुत रूचि रखते हैं | विक्रम एक अच्छे छात्र होने के साथ साथ एक अच्छे मित्र भी बन कर रहते हैं | विक्रम को कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है |



सोमवार, 16 मार्च 2020

कविता : क्रिकेट

" क्रिकेट "

क्रिकेट में हो रहे हक्के -बक्के,
हर गेंदबाज कहते हैं छक्के | 
चाहे हो जसप्रीत या हो हमनप्रीत,
हर बल्लेबाज मरते हैं छक्के | 
फिर भी रहते हैं हक्के बक्के,
अच्छे अच्छे गेंदबाज हो जातें हैं खामोश | 
फिर भी टीम वाले बढ़ाते है जोश,
कभी बल्लेबाज तो कभी गेंदबाज | 
उड़ा देते हैं दर्शक के होश | | 

कवि : अजय कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता अजय के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | अजय को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है | पढ़ाई करने के साथ साथ खेलने में भी रूचि रखते हैं | अजय को नया काम करने में मज़ा आता है |

रविवार, 15 मार्च 2020

कविता : उस दिन की बात

" उस दिन की बात "

सोते सोते याद आए उस दिन की बात,
जिस दिन खेल रहे थे सबके साथ | 
भारत में हो रही थी पढ़ाई की बात,
जिस दिन सभी लोग थे एक साथ |
फिर हमें याद आई,
जिस दिन पढ़ रहे थे सबके साथ,
नदियों में नहाते थे पानी के साथ | 
सपने में हमें याद आया किसी ने लगाया  हाथ,
जब हम पढ़ रहे थे अंग्रेजी की किताब  |
सोते सोते याद आए उस दिन की बात,
जिस दिन खेल रहे थे सबके साथ | 

नाम : नवलेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता नवलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | नवलेश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं और कवितायेँ लिखने में बहुत रूचि रखते हैं | हमें उम्मीद है की नवलेश और भी अच्छी कवितायेँ लिखेंगें |