" चिड़िया "
चिड़िया जब उड़ना शुरू करती है,
तो वह उड़ ही जाती है |
चाहे हो पानी चाहे हो हवा,
वो सभी को पार करते जाती है |
गिरती है फिर भी उड़ती है,
गिर कर ही वह सीख पाती है |
आखिर वह मंजिल तक पहुँच ही जाती है,
तब वह अपने को चिड़िया कह पाती है |
चिड़िया जब उड़ना शुरू करती है,
तो वह उड़ ही जाती है |
नाम : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो प्रयागराज के निवासी है | समीर अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं |समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत | समीर को खेलना बहुत अच्छा लगता है | समीर को कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है | समीर एक संगीतकार भी है |