गुरुवार, 31 मई 2018

कविता : ठण्डी

" ठण्डी " 

ठंडी का मौसम आया है,, 
हाथ - पैर बहुत ठंडाया है | 
सुबह न उठाने का करता मन, 
कैसे लगाएंगे पढ़ाई में मन | 
मोजा टोपी लगाएंगे साथ में, 
बैठे पड़े है पुस्तकालय में | 
ठंडी का मौसम आया है | | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , 


 कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के  रहने वाले हैं और पढ़ाई में बहुत ही अच्छे हैं | कुलदीप क्रिकेट भी बहुत अच्छा खेलते हैं  | 

शनिवार, 26 मई 2018

कविता : विहग तू क्या है

" विहग तू क्या है " 

विहग तू क्या है, 
तू तो अपने को भूल गया | 
मैं क्या हूँ , कैसा हूँ, 
मानव ने तेरा घर नष्ट किया | 
तू तो उड़ना छोड़ रहा है,
 पिंजड़े में रहना सिख गया | 
तेरी मीठी - मीठी आवाज़ों ने,
 आज के मानव का मन मोह लिया | 
तू तो आज़ादी से जीने वाला, 
तू तो आकाश से बाते करने वाला | 
तू तो एक विहग है | | 

कवि : राज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 




कवि  परिचय : यह हैं राज  जो हमीरपुर के रहने वाले  हैं | राज  कविताओं में बहुत अच्छे शब्दों का प्रयोग  करते हैं | राज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | राज अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी  निभाते हैं | 

मंगलवार, 22 मई 2018

कविता :काश बारिश का मौसम आए

" काश बारिश का मौसम आए "

काश बारिश का मौसम आए,
मन करता है बारिश में नहाए | 
सारी घमौरियाँ दूर हो जाए, 
मन करता है बादल बन जाए | 
धरती पर खूब पानी बरसाए,
जब तक चारो ओर पानी भर जाए | 
रोज़ सुबह उसमें डुबकी लगाए,
जंगल को और हरा - भर बनाए | 
सूखे पौधों को पानी दे,
फिर से जीने का सहारा दे |  
काश बारिश का मौसम आए,
मन करता है बारिश में नहाए | 

कवि  संतोष कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर 




कविता : धरती की सुनो पुकार

" धरती की सुनो पुकार "

धरती कुछ कहती है यार,
सुन लो ज़रा इसकी पुकार | 
ये कुछ कहती है तुमसे, 
इतना बस जान लो हमसे | 
तुमसे न ही ये धन है माँगती, 
न ही कोई खजाना माँगती | 
बस ये तुमसे माँगती है,
पेट भर पानी और हिफ़ाजत | 
धरती कुछ कहती है यार,
सुन लो ज़रा इसकी पुकार | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th ,अपना घर 



कवि परिचय : यह है समीर जो की इलाहबाद के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखना बहुत ही पसंद है साथ ही साथ गीत गाना भी बहुत पसंद है | 

गुरुवार, 17 मई 2018

कविता : छोटा बच्चा

" छोटा बच्चा "

जब मैं छोटा सा बच्चा था, 
कितना खुश मैं रहता था | 
सारी दुनियाँ को भूलकर मैं, 
सिर्फ जीवन ही सोचता था | 
माँ का मुझको प्यार मिला जब, 
पापा ने भी दुलारा मुझे तब | 
नाचता था झूम झूमकर तब, 
घूम - घूमकर दुनियाँ जब | 
संसार को माना घर तब,
माता पिता थे भगवान जब | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार और यह बहुत ही अच्छी -अच्छी कवितायेँ लिखते हैं | समीर को कवितायेँ लिखने के साथ - साथ गीत गाना भी आता है | मन से बहुत ही अच्छे हैं | 

कविता :जिंदगी

" जिंदगी "

जिंदगी की राहों में ,
हमने चलना सीखा है | 
पल -पल आती बाधाओं से, 
हमने लड़ना सीखा है | 
यह राह जो मेरा है, 
यह  चाह जो  मेरा है | 
यह  मुकाम जो मेरा है, 
हौशलों से इसको भरा है | 

कवि : कामता कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 



कविता :दूषित हवा

" दूषित हवा "

जागो दुनियाँ  वालों जागो,
हो रही है दूषित दुनियाँ | 
मत जलाओ पॉलिथीन को, 
जागो दुनियाँ वालो जागो | 
साँस लेने में हो रही है दिक्कत, 
जाने कब रुकेगी ऐसी मुसीबत | 
जाने किस मुसीबत से जी रहे हम, 
क्यों हवा को दूषित किय हैं हम | 
जागो दुनियाँ  वालों जागो | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा :8th , अपना घर 


कवि परिचय : इस कविता को नितीश कुमार ने लिखा है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | नितीश अपनी कविताओं में अधिकतर वातावरण और प्रकति के बारे में लिखते हैं | नितीश को कविता लिखने के अलावा नृत्य करना भी आता है | 

रविवार, 13 मई 2018

कविता : माँ

" माँ "

माँ तू कितनी प्यारी है, 
दुनिया से तू न्यारी है | 
सारा दिन करती है घर का काम, 
कभी नहीं करती है तू आराम | 
सुबह उठाकर चली है जाती, 
मेरे लिए गरमा गरम नाश्ता बनाती | 
मुझको तू रोज़ नया सिखाती,
नया संसार का रास्ता दिखाती |
 क्या सच है तू मुझे बताती,
चोट लगने पर मरहम लगाती | 
माँ तू कितनी प्यारी है, 
दुनिया से तू न्यारी है |

कवि : संतोष कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर 

गुरुवार, 10 मई 2018

कविता समाज

" समाज "

समाज क्या कहेगा हम यही, 
सोचकर पीछे रह जाते हैं | 
कुछ किय बिना ही समुद्र ,
की लहरों में बह जाते हैं | 
बस यही सोचकर हम इस, 
दुनिया में खो जाते हैं | 
आँसू की हर एक बूँद, 
गर्म रेत में खो जाती है |  
लाख कोशिश के बाद भी, 
लौट कर नहीं आती है | 
कुछ नहीं सिर्फ अपनी जिंदगी,
की कोशिशों में रह जाते हैं | 

नाम : विशाल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं विशाल और यह हरदोई के रहने वाले हैं | विशाल दिल से बहुत कठोर और शायद यही वजह है की यह कविताएं बहुत ही कठोर वाली लिखते हैं | विशाल बड़े होकर रेलवे में काम करना चाहते हैं | 

कविता : बारिश

" बारिश "

टिप - टिप बरसा पानी, 
झम - झम बरसा पानी | 
जब धरती पर है आती, 
टप - टप शोर है मचाती | 
सभी बच्चे ख़ुशी मनाते,
बरसात के पानी में नहाते | 
जगह - जगह कीचड़ फैलते,
पानी का बौछार बहाते | 
ठंडी ठंडी हवा हैं लाते, 
रात में मच्छर हमें सताते |  
टिप - टिप बरसा पानी, 
झम - झम बरसा पानी | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप  को खेल में क्रिकेट पसंद है | कुलदीप अपनी कविताओं में प्रकति के बारे लिखते हैं | यह बहुत ही मजाकिया है | 

सोमवार, 7 मई 2018

कविता : बारिश

" बारिश " 

धरती थी बड़ी बेहाल यारा, 
समझ न आये तो सब बेकार | 
तब आयी बड़ी सी बछौर, 
उसका नाम था बारिश यारा | 
एक करोड़ से ज्यादा दिन तक, 
वह दूरी तय करी सीमा तक | 
सुखी हुई थी मिट्टी  जो, 
वह बारिश से गीली हो गई | 
हरियाली से ये धरती भरी,  
फिर यह मुस्काने लग गई |  
हम ने मेहनत  की थी जो, 
वह भी पूरी हो गई | 
निराली हो गई यह धरती यार, 
जो धरती थी बड़ी बेहाल | 

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह है समीर जो की इलाहबाद के रहने वाले हैं और अपना घर रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | बड़े होकर समीर एक महँ सिंगर बनना चाहते हैं | खेल में समीर को क्रिकेट पसंद है | 

शनिवार, 5 मई 2018

कविता : सपना

 " सपना "

सपना एक ही अपना है, 
जो सबके मन में आता है  | 
मन से कभी निकल जाता है, 
तो दिल में कभी रह जाता है |  
खयाल भी ऐसा होता  है, 
जो दिल से चुरा ले जाता है | 
सपना एक ही अपना है, 
जो दिल में  रहता है | 
सपने में खो जाते हैं, 
खोते खोते सो जाते है | 
सपना एक ही अपना है | | 

नाम : अवधेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर 


कवि परिचय : यह है अवधेश कुमार जो की बिहार के रहने वाले हैं | अवधेश कक्षा 5 के छात्र हैं और दिल से बहुत ही हसमुख हैं | अवधेश हमेशा कुछ न कुछ करते रहते हैं जो की सबको अच्छा लगता है | अवधेश बड़े होकर पुलिस बनना  चाहते हैं | 

गुरुवार, 3 मई 2018

कविता : आज़ादी

"आज़ादी "

आज़ादी का दिन आया, 
अपने साथ कुछ रहस्य लाया | 
फिर से खुशियों को लौटाने,
अपने साथ आज़ादी लाया | 
वतन की रक्षा करो सिखाया, 
बिना डरे तुम जियो बताया | 
चलो बिना हिचकिचाए, 
क्यों बैठे हो मुँह पिचकाए | 
इस देश के कायरों, 
चलो वतन की रक्षा करो| 
जब इन्हें ये बुलाया, 
है तुम्हे किसी ने बुलाया | 
आज़ादी का दिन आया,
अपने साथ रहस्य लाया |

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर  

कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो कि इलाहबाद के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | समीर गीत बहुत अच्छा गए लेते हैं और साथ ही साथ अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं | समीर बड़े होकर एक संगीतकार बनना चाहते हैं |