" उठो जवानों "
कब तक सोए रहोगे जवानों,
अब तुमको उठ कर दिखलाना है |
चाहे हो मुसीबतों का पहाड़,
इससे भी ऊँची छलांग लगाना है |
अपने हक़ के हक़दार बानों,
गलतियों से तुमको लड़ना है |
शरहद के पार होकर भी,
एक टारे की तरह चमकना है |
अब मत सोओ आलस के बन्दों,
अब तुमको भी लड़ना है |
कवि :प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर
कवि परिचय : छत्तीसगढ़ के रहने वाले प्रांजुल ने लगभग बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | कविता बलिखने का गुड़ अपने भइआ लोगो से सीखा है| पढ़ाई में अच्छे होने के साथ - साथ गतिविधियों भी बहुत अच्छे हैं | हमें उम्मीद है की आने वाले समय में एक महँ कवि बनेगें |