गुरुवार, 26 मार्च 2015


फूल है यह फूल है



फूल है यह फूल है 
रंग बिरंगे फूल है
 बागों में भी खिलते है
रंग बिरंगे होते है 
मधुमक्खी भी आते है
 इसका रस चुराते है 
लोग इसको तोड़ लेते है 
खुशबू लेकर फिर फेफ देते है


प्रांजुल
कक्षा =5 
अपना घर तातियागंज कानपूर नगर

मंगलवार, 24 मार्च 2015

 

ठंडी में रजाई के अंदर सोने का मन करता है



हमें कुछ करने का मन करता।
ठंडी में रजाई के अंदर सोने का मन करता है।
कोई नहीं करता काम न धंधा ,
उसी को लगता ठंठा 
कुछ तो करो धरो। 
अपनों के लिए न मरो। । 
 ठान्दियों में ऊपर आता जाता रहता है। 
हमें कुछ करने का मन करता है। . 
ठंडी में रजाई के अंदर सोने का मन करता है 

रविकिशन 
कक्षा = 5 
अपना घर तातियागंज

सोमवार, 23 मार्च 2015

कविता: आती मौका एक बार

आती मौका एक बार 

आती मौका एक बार 
मेहनत करना रात -दिन
 खाये न पीये बिन 
मुसीबत से न घबराता यार 
आती मौका एक बार 
चाहे पढाई हो चाहे खेल -कूद 
किसी से न हटना दूर
कोशिश करना बार -बार 
क्योकि मौका आती एक बार
 पढाई हो चाहे खेल का मैदान
 देवा हटा नहीं है ये सबसे यार 
जल्दी मैं नहीं मानता हूँ हार 
देवा कुमार, कक्षा -4, अपना घर, कानपुर