कविता
इंसान के लिए हमदर्दी नहीं पत्थर दिल इंसान में ,
से मरते हैं लोग इस जहांन में .......
दुनिया को देखिये चाँद तक पहुंच गयी ,
ईश्वर पर अब भी विश्वास करते हन्दुस्तान में .....
पड़ोसी चाहे भूंख से तडपता रहे लेकिन ,
फल,दूध आदि पहुचाते हैं ईश्वर के मकान में .....
ईश्वर तो लोगों के दिलों में बसे हैं,
क्यों ढूढ़ते हो पत्थर की मूर्ति और आसमान में ?
भुखमरी हटाने का वादा तो करते हैं ये नेता ,
लेकिन ताकत नहीं उनके जिस्मों जान में .....
लेखक : धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा :९
अपना घर
इंसान के लिए हमदर्दी नहीं पत्थर दिल इंसान में ,
से मरते हैं लोग इस जहांन में .......
दुनिया को देखिये चाँद तक पहुंच गयी ,
ईश्वर पर अब भी विश्वास करते हन्दुस्तान में .....
पड़ोसी चाहे भूंख से तडपता रहे लेकिन ,
फल,दूध आदि पहुचाते हैं ईश्वर के मकान में .....
ईश्वर तो लोगों के दिलों में बसे हैं,
क्यों ढूढ़ते हो पत्थर की मूर्ति और आसमान में ?
भुखमरी हटाने का वादा तो करते हैं ये नेता ,
लेकिन ताकत नहीं उनके जिस्मों जान में .....
लेखक : धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा :९
अपना घर