सोमवार, 18 अप्रैल 2011

यह सब है भ्रष्टाचार

यह सब है भ्रष्टाचार 

मरे को क्या मरते हो ,
वर्दी पहन सब पर रोब जमाते हो ....
लोगों पर करते हो अत्याचार ,
मर्द हो तो ख़त्म करो भ्रष्टाचार....
एक जुट होकर रखेंगें हम यह लड़ाई जारी ,
हर घूसखोर,पुलिस औ नेता के पीटने की है बारी ....
न जाने कितने हुये घोटाले ,
डाल दो उनके मुंह पर ताले ....
जिसने किये हैं यह सभी घोटाले ,
चाहे नेता,मंत्री हो चाहे बाहर वाले ....
आज भी कई गरीब भूखे मरते हैं ,
क्योंकि बड़े बाबू उनका शोषण करते हैं ....
क्या यह है हमारा शिष्टाचार ,
बंद करो यह सब है भ्रष्टाचार ....

लेखक : आशीष कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर   

बुधवार, 13 अप्रैल 2011

कविता - भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार 
भ्रष्टाचार कितना भरा  पड़ा हैं ,
उससे ज्यादा सड़ा पड़ा हैं ....
राजतंत्र के आगे ,
लोकतंत्र भी गिरा पड़ा हैं....
रुक जाती हैं विकास शीलता,
इन नेता लोगो के आगे ....
नेता जल्दी जल्दी सोचे ,
बांध बोरी बिस्तर जनता यहाँ से भागे ...
नेता सोच रहे बैठकर ,
राज्य बढ़े एक दो तीन....
तभी तो बजा पायेगे ये नेता,
इस गरीब जनता की बीन   .....
देश एक मंत्री अनेक ,
चले सभी लकुटिया टेक...
मांग रहे जनता से भीख,
बाद में मारे जनता को पीक.....
नेता लोगो की वजह से ,
छायी गांवों में  बदहाली .....
इसीलिए कहा जाता हैं ,
ये देश रहा न भ्रष्टाचार से खाली ....
लेखक - सोनू कुमार 
कक्षा - ९  अपना घर ,कानपुर

मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

कविता : भूल

     भूल 

हवा जोर से चलती है ,
चिड़िया उसमें उड़ती है....
हवा में एक दिन उड़ी धूल ,
उस दिन चिड़िया से हो गयी भूल....
उड़ना था आकाश में ,
पहुँच गयी पाताल में ....
हवा जोर से चलती है ,
चिड़िया उसमें उड़ती है....
लेखक : ज्ञान कुमार 
कक्षा : 7
अपना घर 

रविवार, 10 अप्रैल 2011

कविता : मानव-दानव का आधार मूल

मानव-दानव का आधार मूल 

मानव भी इस दुनियाँ में ,
दानव का आधार मूल ....
दानव जो हरकत करता,
वो मानव में हैं छुपी हुई....
जब-जब करता वो इस्तेमाल ,
होते दंगे और फसाद.....
दोनों में से कोई एक जीता ,
फिर वह अपना आतंक फैलाता ....
 न वह किसी को मानता ,
वह अपने खोया रहता .....

लेखक : अशोक कुमार 
कक्षा : 8
 अपना घर

शनिवार, 9 अप्रैल 2011

कविता -ऊर्जा

ऊर्जा
पवन ऊर्जा हैं वैकल्पिक स्त्रोत,
न इसमे हो कोई ईधन का उपयोग..... 
न किसी को हो इससे हानि,
हैं जरुर थोड़ी इसमे मेहनत.....
न लगता इसमे कोई पैसा ,
पवन ऊर्जा है वैकल्पिक स्त्रोत.....
लेखक - चन्दन कुमार 
कक्षा  -५ अपना घर कानपुर

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

कविता -बिल्ली

बिल्ली 
बिल्ली आयी मेरे घर में ,
खड़ बड़ बहुत मचाती  हैं ....
दूध पी कर जाती हैं ,
हमको बहुत सताती हैं....
चूहे को मार गिरती हैं ,
बर्तन बहुत गिरती हैं ....
बिल्ली आयी बिल्ली आयी,
दिल्ली में भाई बिल्ली आयी....
लाल किले पर चढ़ती हैं ,
ऊपर से गिर - गिर जाती हैं.....
फिर बाजार को जाती हैं ,
फिर मिठाई वह खाती हैं ......
अपने घर को जाती हैं ,
अपना नाम नहीं बताती हैं.....
लेखक -अजय कुमार
कक्षा -५  अपना घर कानपुर

गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

कविता : पेड़ लगाओ

 पेड़ लगाओ 
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ ,
हरियाली घर-घर ले आओ .....
बर्फ पिघलने से बचाओ ,
ग्लोबल वार्मिंग उठा ले जाओ ......
बाढ़ नहीं आयेगी ,
जनता  खुशी शांती पायेगी .....
लकड़ी हमें बचाना है ,
हरा-भरा भारत बनाना है....
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ ,
हरियाली घर घर ले आओ ......

लेखक : सोनू कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर

बुधवार, 6 अप्रैल 2011

कविता : सुबह की बात

 सुबह की बात 

सुबह की है बात निराली  ,
घासों में छा जाती है हरियाली ....
जब हम बच्चे चलते हैं उस पर ,
तब आती है मन में खुशहाली .....
और सब बच्चों की भर जाती झोली ,
तब सब मिलकर खेलते हैं होली .....
सुबह की हैं बात निराली ,
घासों में छा जाती है हरियाली ......

लेखक : सागर कुमार 
कक्षा : 7
अपना घर