देखो बसंत ऋतु है आयी ।
अपने साथ खेतों में हरियाली लायी ॥
किसानों के मन में हैं खुशियाँ छाई ।
घर-घर में हैं हरियाली छाई ॥
हरियाली बसंत ऋतु में आती है ।
गर्मी में हरियाली चली जाती है ॥
हरे रंग का उजाला हमें दे जाती है ।
यही चक्र चलता रहता है ॥
नहीं किसी को नुकसान होता है ।
देखो बसंत ऋतु है आयी ॥
लेख़क :चन्दन कुमार
कक्षा :5
अपना घर
कक्षा :5
अपना घर
7 टिप्पणियां:
वाह! बहुत सुन्दर, लिखते रहो!
I LIKE TO BJG
very good ....
bahut aacha tha
so beautiful poem
excellent poem----------
MRS PREM KOHLI-TEACHER
Bhaut gooooooooooooooood poem.
I like it
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