शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2009

कविता: लाल टमाटर हरा टमाटर

लाल टमाटर हरा टमाटर

लाल टमाटर हरा टमाटर,
दोनों थे पक्के यार ...
एक दिन गए कद्दू राजा के पास,
कद्दू से बोले हम राजा तुम मेरे दास...
इतने में हो गया तीनों में झगड़ा,
कद्दू राजा तो था ही तगड़ा....
बैठ गए उन दोनों के ऊपर,
मारा दोनों के दो - दो झापड़....
झापड़ लगा गाल हुए दोनों के लाल,
बहुत बुरा हुआ उन दोनों का हाल....
राजा बनने का ख्वाब उतरा उनके सर से,
जान बचाकर भागे गए वह जल्दी से....

लेखक: आदित्य कुमार, कक्षा , अपना घर

3 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

आदित्य,सुन्दर बाल कविता है।बधाई।

Unknown ने कहा…

बधाई योग्य ,,,,,,,,,
सुन्दर कविता ........
वाह !

M VERMA ने कहा…

बहुत सुन्दर