शनिवार, 10 अक्टूबर 2009

कविता: लालू भइया ........

लालू भइया ........

लालू भइया बड़े दयालू,
खाते जाते हरदम आलू....
घर में पहुंचे बन गए भालू,
इसलिए हम कहते लालू....
लालू भइया बड़े दयालू,
उनके दोस्त है मोटे कालू....
लालू जम के खाते अंडा,
खूब लहराते देश का झंडा....
लालू भइया बहुँत है छोटे,
इसीलिए दिखते है मोटे. ..
लालू भइया बड़े है भोले,
रखते मुंह में पान के गोले....
लालू भइया बड़े दयालू,
दान में हरदम देते आलू....
लालू जब भी खाते आलू,
उनके घर में आता भालू....

लेखक: मुकेश कुमार, कक्षा , अपना घर

2 टिप्‍पणियां:

sweet_dream ने कहा…

क्या बात है बहुत दिनों बाद ऐसी कविताये पढने को मिल रही है लगता है आज भगवान् मेहरबान है

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

wah! maza aa gaya padh ke............