शुक्रवार, 8 मई 2009

कहानी:- नन्हा शिकारी

नन्हा शिकारी
बहुत साल पहले की बात है। एक राजा का ४ - ५ गाँवो का एक छोटा सा राज्य था, उस राज्य में में सभी लोग खुशी से रहते थे। उसके राज्य का एक गाँव जंगल के किनारे पर था। एक बार उस गाँव के किनारे वाले जंगल में कंही से शेर आ गया। उधर से जो भी गुजरता था, शेर उसे मार कर खा जाता था। शेर से परेशान होकर गाँव वालो ने राजा के यंहा फरियाद की, राजा ने ये घोषित करवाया कि जो भी आदमी इस शेर को मार देगा, हम उसे बहुँत सारा धन और १० बीघा खेत भी देंगे। सभी ने ये ये बात सुनी, मगर किसी कि यह हिम्मत नही हुई कि वह जाकर शेर को मारे। उसी गाँव में एक १० वर्ष का लड़का अपने माँ के साथ रहता था। उसकी माँ बहुँत ही गरीब और बीमार थी। उस लड़के ने शेर को मारने के लिए ठान लिया। वो राजा के पास गया और कहा आप बस मुझे एक धनुष और जहर में बुझे कुछ तीर दे दीजिये। मै शेर को मरूँगा, राजा उस छोटे से बच्चे को देखकर मुस्कराए मगर उसकी बहादुरी और जिद को देखकर उसे धनुष और तीर दे दिए। उस लड़के ने धनुष और तीर लेकर जंगल कि तरफ़ चल दिया। वह एक अपने साथ एक आदमी का पुतला भी बना कर ले गया। वह जंगल में जाकर एक पेड़ पर चढ़ गया और उसकी डाल से उस आदमी के पुतले को लटका कर थोडी उचाई पर बाँध दिया, और खुद पत्तो के बीच छुपकर धनुष और तीर लेकर बैठ गया और शेर के आने का इंतजार करने लगा। उधर शेर को कई दिनों से शिकार नही मिला था, घूमते - घूमते वो उस पेड़ के पास पहुँच गया। जैसे ही वो पुतले को देखा उसने सोचा कि वो कोई आदमी है , वो उस पुँतले पर छलांग लगा दी, तभी पत्तो के बीच छुपे लड़के ने उसके दोनों आँखों के बीच निशाना साध कर तीर चला दी, तीर सीधे आँखों के बीच में जाकर लगा गया। शेर एक जोर का दहाड़ लेकर जमीं पर गिर पड़ा, और मर गया। राजा ने जब यह सुना तो उन्होंने उस लड़के को सम्मानित किया और ढेर सारा धन के साथ-साथ १० बीघा जमीं दिया, और उसे अपने राज्य का नन्हा शिकारी बना दिया। अब वो नन्हा लड़का अपनी माँ और सभी गाँव वालो के साथ खुशी पूर्वक रहने लगा।
कहानी:- आदित्य कुमार, कक्षा ६, अपना घर
पेंटिंग:- मोनू कुमार, कक्षा ५, अपना स्कूल

1 टिप्पणी:

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

पेंटिंग अच्छी है,
पर कहानी के बारे में मुझे यह कहना है कि अब सारे बच्चों को भी यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि शेर को मारने में अब कोई समझदारी नहीं है!

शेर, बाघ, सिंह, तेंदुआ आदि की संख्या तो वैसे ही दुनिया में बहुत कम रह गई है! ऐसे में शेर को मार देने की प्रेरणा देनेवाली ऐसी कहानी लिखने की कोई आवश्यकता नहीं है!

आदित्य बेटा,
मेरी बात से निराश मत होना और अब जब भी शेर की कहानी लिखना, तो उसमें उसे मारने की नहीं, बचाने की बात लिखना!