शुक्रवार, 26 मार्च 2010

कविता आओ भ्रष्टाचार मिटायें

आओ भ्रष्टाचार मिटायें

देश की सेवा करुगा,
भ्रष्टाचार को मिटाऊगा....
नयी सरकार नया कानून,
ये होगा अपना अधिकार.....
यही होगा नया नारा,
भ्रष्टाचार हैं इतना सारा.....
फिर भी अपना देश महान,
चारों ओर है इसका नाम....
चलो करो अपने देश की सेवा,
यही जीवन का असली मेवा......
मिलकर सब भ्रष्टाचार मिटाये ,
भ्रष्ट अफसरों को सजा दिलाये.....
भ्रष्टाचारी नेताओ को दूर भगाये,
देश को अपने खुशहाल बनायें.........
लेखक: अशोक कुमार, कक्षा , अपना घर कानपुर

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

शाबास बेटा!! ढेर आशीष!

बीना ने कहा…

ऐसे ही लिखते रहे देश का भ्रष्टाचार स्वत: समाप्त हो जायेगा।

aditi singh ने कहा…

bhut sahi kaha hai beta agar duniya is baat ko samjh jaye to curraption puri tarh khtm ho jayega....or anna ji ke jariye ye baat pure desh ko samjh bhi aa gayi hai