मंगलवार, 31 जुलाई 2018

कविता : बिल्ली

" बिल्ली " 

 बिल्ली हूँ मैं  बिल्ली हूँ,
बड़ी सरारती  बिल्ली हूँ | 
सबके घर में जाती हूँ, 
दूध मलाई खा जाती हूँ | 
 घर वाले जब देखते हैं,
घर से मुझे भगाते हैं | 
जब मैं दौड़ नहीं पाती हूँ,
म्याऊँ -म्याऊँ चिल्लाती हूँ | 
जब बिल्ली घर में आती हैं, 
चूहों को भी खा जाती है |  
 बिल्ली हूँ मैं  बिल्ली हूँ, 
बड़ी सरारती  बिल्ली हूँ | 

कवि : विक्रम कुमार ,कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जो की बिहार के गया जिला के रहने  वाले हैं | विक्रम अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हैं | विक्रम बड़े होकर एक बड़े कविकार और रेलवे इंजीनियर बनना चाहते हैं | विक्रम अपनी कविता में जानवर के प्रति अपना प्रेम जाहिर करते हैं | 

रविवार, 29 जुलाई 2018

कविता : गर्मी बेहाल

" गर्मी बेहाल "

क्या बताएँ हम अपना हाल, 
यह मौसम है बिल्कुल बेहाल | 
न चैन है ,न ही है राहत,
पूरा दिन गर्मी में गरमाहट | 
थोड़ी सी बरसात राहत दिलाती ,
ज्यादा दिन वह भी नहीं टिक पाती | 
गर्मी में पसीना बहता रहता, 
जब कूलर का पंखा है रुकता | 
कैसे बढ़ जाती है ये गर्मी, 
न कोई दया , न कोई नरमी | 

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

  कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल  जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अब अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल अपनी कविताओं का शीर्षक अच्छा लिखते हैं | बड़े होकर वह एक इंजिनयर बनना चाहते हैं | 

सोमवार, 23 जुलाई 2018

कविता : कोशिश करता हूँ हर रात

" कोशिश करता हूँ हर रात "

मैं बैठे - बैठे सोच रहा था ,
ठंडी हवा का मज़ा ले रहा था | 
सपनों में मैं खेल रहा था, 
छक्के - चौके जड़ रहा था | 
कितना अच्छा वो सपना था, 
जिसको मैंने सोचा था | 
बारिश की बूँदों ने मेरे, 
सपने को कर दिया समाप्त |  
उसी सपने को सोचने की ,
कोशिश करता हूँ हर रात | 

कवि : कुलदीप कुमार, कक्षा : 7th , अपना घर 




कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं | कुलदीप अपनी कविताओं से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं | इनको  क्रिकेट खेलना पसंद है | 

कविता : बड़ी सोच होनी चाहिए

" बड़ी सोच होनी चाहिए "

छोटे हैं कदम तो क्या, 
एक बड़ी सोच होनी चाहिए | 
शरीर मर भी जाए पर, 
सोच नहीं मरनी चाहिए | 
तेरे सपनों के अरमान, 
छूना है तुझे आसमान | 
कदम रुक भी जाए पर, 
सोच नहीं रुकनी चाहिए | 
अपने सपनें को सजाओ, 
जीत का जशन सदा मनाओ | 
मंजिल ख़त्म हो जाए पर,  
ऐसी सोच नहीं होनी चाहिए | 

कवि : प्रांजुल,  कक्षा : 9th ,  अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल अपनी कविताओं के माध्यम से लोगो को प्रेरणा और जागरूक करने की कोशिश करते हैं | प्रांजुल पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं और रिसल्ट भी बहुत अच्छा लाते हैं प्रांजुल बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | 

रविवार, 22 जुलाई 2018

कविता : बारिश

" बारिश "

दोपहर की वह बात थी, 
धूप -गर्मी की बरसात थी | 
टपक रहा था सिर से पानी, 
सभी लोगो ने नहाने की ठानी | 
राहत की भीख माँग रहे थे, 
सभी के चेहरे उदास थे | 
सोच रहे थे कैसे छुटकारा मिल जाए, 
थोड़ा सा गर्मी का पारा कम हो जाए | 
फिर बारिश हुई झमा झम,
बारिश फिर हुई न कम | 

नाम : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

                                                                              

कवि परिचय : यह हैं विक्रम जो की बहुत फुर्तीले किस्म के हैं | विक्रम को कविताएँ लिखने का बहुत शौक है और इन्होंने अभी तक बहुत सारी कवितायेँ लिख चुके हैं | विक्रम अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं | 

कविता : वह ऐसा दिन

" वह ऐसा दिन "

चला गया वह एक ऐसा दिन,
जो रहता था लाईट के बिन | 
एक दिन कर दिखया वह काम,
जग में चमकने लगा उसका नाम | 
इस काम से वह पीछे नहीं हटा,
इस दिन एक समस्या घटा | 
था वह एक ऐसा दिन,
जो रहता था लाईट के बिन | 
यह एक पते की बात है,
यह एक रात की बात है  | 

कवि : संतोष कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं संतोष कुमार जो की बिहार के रहने वाले हैं | संतोष को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | संतोष बड़े होकर एक साइंटिस्ट  बनना चाहते हैं और अपने परिजन की सेवा करना चाहते हैं | संतोष ने कक्षा चार से कवितायेँ लिखना शुरू कर दिया था और आज बहुत अच्छी कवितायेँ लिखते हैं | 

शनिवार, 21 जुलाई 2018

कविता : बारिश

" बारिश " 

बारिश का दिन  है  आया,
रिमझिम करते बारिश लाया | 
ठंडी के लिए  राहत लाया ,
गर्मी से इसने हमें बचाया | 
रात में चैन से नींद आया, 
सुबह फिर गर्मी सताया | 
 कहते हैं बारिश है प्यारी,,
बूंदें टपकती हैं ढेर सारी | 
कपड़े कर देते हैं गीले,
पेड़ से टपकते हैं आम पीले | 
बारिश का दिन है आया, 
ठंडा - ठंडा पानी लाया  |  

नाम : कुलदीप कुमार,  कक्षा : 7th ,  अपना घर  


कवि परिचय : यह हैं कुलदीप जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप को मौसम पर कवितायेँ बनाने का बहुत शौक है और अभी तक इन्होने बहुत सारी कवितायेँ इसी विषय पर बनाई है | कुलदीप का लक्ष्य है की वह नेवी ऑफिसर बने | कुलदीप को खेलने में क्रिकेट पसंद है | 

सोमवार, 16 जुलाई 2018

कविता : तूने क्या कर डाला

" तूने क्या कर डाला " 

तू ने ये क्या कर डाला,
इस दुनियाँ को बदल डाला |
न देखी तूने खाई ,न देखा नाला,
जहाँ भरा है गन्दगी का प्याला |
पर तूने एक गलती कर दी,
इस गर्मी को और बढ़ा दी |
बैठा है ऊपर काला - काला,
लगा दिया वहाँ जाला - जाला |
तू ने ये क्या कर डाला,
इस दुनियाँ को बदल डाला | 

कवि : समीर कुमार, कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहबाद के रहने  वाले है | समीर को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है, और हमेशा ऐसी कविता लिखते हैं जो समाज में काम आ सके | समीर को इसके अलावा क्रिकेट खेलना बहुत पसंद हैं | समीर बड़े होकर एक महान क्रिकेटर बनना चाहते हैं |   

शुक्रवार, 13 जुलाई 2018

कविता : हवाओं के झरोके में

" हवाओं के झरोके में "

चलती हुई हवाओं के झरोके में,
कुछ तो करना होगा इस मौके में | 
देखते देखते गुजर जाएंगे ये दिन,
जब तुम भविष्य की राहों में रहोगे | 
तब याद आयेंगें ये बीते हुए दिन, 
लेकिन तुम्हें सपना करना है रंगीन | 
परिश्रम करना होगा तुम्हें दिन -रात, 
पता नहीं चलेगी बीते हुए बात | 
ये हवाएँ तुम्हारे जज्बों को उड़ाएगी, 
कोशिश है ये तुम्हारे जीवन को बनाएगी | 
चलती हुई हवाओं के झरोके में,
कुछ तो करना होगा इस मौके में | 

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं अखिलेश माँझी जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | अखिलेश के माता - पिता ईंट भट्ठों में काम करते हैं | अखिलेश बड़े होकर एक कविकार और वायुसेना में जाना चाहते हैं | यह कविता बहुत ही अच्छे लिखते हैं | 

कविता : फूलों की तरह

" फूलों  की तरह "

फूलों  की तरह खिला है, 
नए रस्ते की ओर चला है | 
बढ़ते जा रहे हैं मेरे कदम,
एक नए दिशा की ओर | 
होंगें सही गलत के रास्ते,
चुनना है इन दोनों में से एक |
 नहीं भरोसा है किसी पर,
 भरोसा करूंगा खुद पर | 
चलूँगा मैं सही रास्ते पर, 
लगाकर अपने सपनों के पर | 
फूलों  की तरह खिला है, 
नए रस्ते की ओर चला है | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 8th ,  अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं नितीश जी जो की बिहार के नवादा जिले के  रहने वाले हैं | कवितायेँ बहुत अच्छी लिखा करते हैं | नितीश अपने कार्य के प्रति बहुत जिम्मेदार हैं | नितीश को टेक्नोलॉजी में बहुत रूचि है | पढ़ - लिखकर एक अच्छी नौकरी करना चाहते हैं और परिवार वालों की मदद करना चाहते हैं | 

बुधवार, 11 जुलाई 2018

कविता : स्वच्छ शहर बनाओ

" स्वच्छ शहर बनाओ "

सुनो सुनो ये शहर की कहानी,
जहाँ रहता है कूड़ा और गन्दा पानी |
जगह जगह पड़े रहते कूड़े का ढेर,
कूड़ा  उठाने में  कर देते हैं देर |
नजर नहीं जाती किसी की उस पर,
ख्याल नहीं आता कूड़ा है धरती पर |
धीरे - धीरे बढ़ता जा रहा कूड़े का ढेर,
सोचा नहीं किसी ने इस बारे में |
न ही ढूँढा किसी ने  कोई उपाय,
सोचा फिर भी कुछ न कर पाए |
अपने शहर को सुन्दर बनाओ,
इसको पेड़ पौधों से सजाओ |
कहीं  न छोडो कूड़ा -गन्दा पानी,
अपनी न करो कहीं पर  मनमानी
जब कहीं भी न होगा कड़ा करकट,
तब न होगी प्रदूषण का कोई संकट | 
शहर में अपने पेड़ पौधे लगाओ, 
अपने शहर को स्वच्छ शहर बनाओ | 

कवि : नितीश , कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं नितीश जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | नितीश को कविता लिखने का बहुत शौक है | इस कविता में नितीश अपने शहर को  कूड़ा मुक्त करने का सन्देश दे रहे हैं और वह अपने शहर को सुन्दर बनाना चाहते हैं और शुरुआत इस कविता से की है | 

मंगलवार, 10 जुलाई 2018

कविता : शीतल वायु

" शीतल वायु "

ये शीतल हवा का क्या कहना,
हमको इसके बिना नहीं रहना | 
गर्मी में यह हमको राहत दिलाए, 
ठंडी में यह खूब हम को सताए | 
जिसने इस चीज़ को बनाया है, 
उसने सभी का मन  भाया है | 
मनुष्य इसे कर देते है  बेकार, 
काला धुँआ फैलाती है कार | 
इससे बच्चे हो रहे हैं बीमार, 
महंगे हो रहें हैं सभी उपचार | 
महँगा हो रहा है साँस लेना,
बचकर तुम इस वायु से रहना | 
हम सब को मिलकर शुद्ध है करना | | 

कवि : कुलदीप , कक्षा : 7th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो कानपुर के अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं | कुलदीप को डांस करने का बहुत शौक है और कवितायेँ लिखने का | कुलदीप का मन पसंद खेल क्रिकेट है और वह एक क्रिकेटर बनना चाहते हैं | कुलदीप पढ़ने में बहुत ही अच्छे हैं | 

सोमवार, 9 जुलाई 2018

कविता : पल भर की हँसी

" पल भर की हँसी "

क्यों उदास बैठा है मेरे दोस्त, 
एक पल के लिए  हँस तो सही | 
हँस के तो एक बार तू  देख,
सच होंगें तेरे सपने सभी | 
उदास मन तेरे सोच को जमाएगा, 
तेरी हँसी तेरे दुखों को पिघलाएगा | 
तेरा मन प्रफुल्लित हो उठेगा, 
जब तू खुल कर एक बार हँसेगा | 
एक हँसी में जो बात होती है, 
वह और किसी में कहाँ होती है | 
तेरी हँसी से उड़ जाएंगे होश, 
क्यों उदास बैठा है मेरे दोस्त | 

कवि : प्रांजुल , कक्षा : 9th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपनी पढ़ाई एक अपना घर में रहकर पूरी कर रहे हैं | प्रांजुल को गतिविधियों में हिस्सा लेने में बहुत मज़ा  और मन लगाकर हर काम करता हैं | प्रांजुल बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | 

रविवार, 8 जुलाई 2018

कविता : गर्मी की बरसात

" गर्मी की बरसात " 

दोपहर की क्या वो बात थी ,
धूप और गर्मी की बरसात थी | 
टपक रहा था पानी टप टप, 
राहत की भीख  माँग रहे थे सब | 
सोच रहे थे कैसे छुटकारा मिल जाए, 
थोड़ा सा गर्मी का पारा कम हो जाए | 
काश  एक बार छुटकारा मिल जाए, 
इस गर्मी में काश मौसम ठंडा हो जाए | 
दोपहर की क्या वो बात थी ,
धूप और गर्मी की बरसात थी | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th ,अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जो की बिहार के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं | विक्रम हमेशा खुश नज़र आते हैं और विक्रम  को कवितायेँ लिखना  बेहद पसंद हैं | 

बुधवार, 4 जुलाई 2018

कविता : मेरी चाह

 " मेरी चाह "

मेरी चाह एक ऐसी  हो ,
दुनियाँ में हर एक जैसा हो |
हर गरीब की एक छाया हो,
बंधू और भाई  माया हो |
दुःख का कोई  नाम न हो,
खुशियों से भरा हर शाम हो |
दुनियाँ में हर किसी का नाम हो,
जिंदगी में हर कोई महान हो |
मेरी चाह एक ऐसी  हो ,
दुनियाँ में हर एक जैसा हो | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | विक्रम मन से बहुत ही अच्छा है |