" बिल्ली "
बिल्ली हूँ मैं बिल्ली हूँ,
बड़ी सरारती बिल्ली हूँ |
सबके घर में जाती हूँ,
दूध मलाई खा जाती हूँ |
घर वाले जब देखते हैं,
घर से मुझे भगाते हैं |
जब मैं दौड़ नहीं पाती हूँ,
म्याऊँ -म्याऊँ चिल्लाती हूँ |
जब बिल्ली घर में आती हैं,
चूहों को भी खा जाती है |
बिल्ली हूँ मैं बिल्ली हूँ,
बड़ी सरारती बिल्ली हूँ |
कवि : विक्रम कुमार ,कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जो की बिहार के गया जिला के रहने वाले हैं | विक्रम अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हैं | विक्रम बड़े होकर एक बड़े कविकार और रेलवे इंजीनियर बनना चाहते हैं | विक्रम अपनी कविता में जानवर के प्रति अपना प्रेम जाहिर करते हैं |