बुधवार, 27 जुलाई 2011

कविता : सरकार को शायद नहीं पता

सरकार को शायद नहीं पता 

हर एक चौराहों पर ,
खड़े हैं पुलिशवाले.....
चौराहों की चौकी में बैठकर,
पूंछते हैं अपनी जन्म कुंडली......
 उनकों शायद यह नहीं पता कि,
चौराहों पर लग गयी है वाहनों की मंडली....
सरकार को भी शायद यह नहीं पता ,
पुलिशवाले किसको रहें हैं सता ..... 

लेखक : ज्ञान कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर 

2 टिप्‍पणियां:

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बढ़िया कविता

रुनझुन ने कहा…

अच्छी कविता!!!