मंगलवार, 12 अगस्त 2025

कविता: "माँ तेरी याद आज भी आती है"

"माँ तेरी याद आज भी आती है"
माँ तेरी याद मुझको बहुत सताती है। 
इतना ही नहीं रोज रुलाती है। 
 सोते समय मेरी सपनो में आती हो।  
माँ तेरी याद मुझको बहुत सताती है। 
मुझको तेरे पास आने का मन , 
तो बहुत करता है लेकिन ,
 मैं आ नहीं सकता ,
लेकिन सपनो में खोया ,
हुआ सपना मैं खो नहीं सकता। 
माँ तेरी याद मुझको बहुत सताती है। 
तेरी वो रत की कहानिया बहुत याद दिलाती है। 
तेरी वो चूड़ी की खान - खान की ,
आवाज आज भी आती है। 
माँ तेरी याद मुझको बहुत सताती है। 
कवि: विष्णु कुमार, कक्षा: 6th,
अपना घर।  

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