गुरुवार, 28 जून 2018

कविता : खुले आसमान के जैसा

" खुले आसमान के जैसा "

खुले आसमान के जैसा, 
मौसम के बौछार जैसा | 
पक्षियों की चहचहाहट ,
फूलों की महकाहट | 
सभी को ये अच्छा लगता, 
खुले आसमान के जैसा | 
बादल बन जाते है काले,
कलियों की यह कोमल डालें | 
हो रही हैं बूंदों का बौछार, 
लगते हैं मोतियों का भंडार | 
ये मोतियों ने कर डाली हरियाली, 
छा गई दुनिया में हरियाली | 

कवि : संजय कुमा , कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं संजय कुमार जिनको कवितायेँ लिखने  का बहुत शौक है और अच्छी कवितायेँ भी लिखा करते हैं  |  संजय झारखण्ड के रहन वाले हैं लेकिन ये बचपन से ही कानपुर में रह रहे हैं और अपना घर में पढ़ाई कर रहे हैं | पढ़ाई में हमेशा कोशिश करते रहते हैं | 

कविता : हवा की तूफानी

" हवा की तूफानी "

गर्मी की आ  गई परेशानी,
लू गरम , हवा की तूफानी | 
कूलर , फ्रीज़ की मेहरबानी, 
चल - चलकर दे रही है क़ुरबानी | 
कितनी  तूफानी ये गर्मी, 
सहन करना हो गया मुश्किल | 
 कड़क दौर का यह है गर्मी,
कितनी जलन की उपहार गर्मी | 
गर्मी की आ  गई परेशानी,
लू गरम , हवा की तूफानी | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं विक्रम और यह बिहार के रहने वाले हैं इनके परिजन ईंट भट्ठों में कामकरते हैं और विक्रम अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा है जिससे की वह अपने परिवार की मदद कर सके और उनको एक मुकाम दिला सके | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |  

कविता : मन्द मन्द हवाएँ बहती हैं,

" मन्द मन्द हवाएँ बहती हैं "

मन्द मन्द हवाएँ बहती हैं, 
इशारा से ये कुछ कहती है |  
उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है, 
पेड़ की पत्तियों से कुछ कहती है |  
जीवन की हर साँसों में रहती है,
फूलों की खुशबू को बढ़ाती हैं | 
खुशबू को चिड़ियों तक पहुँचाते है,
कभी कभी हँसती भी है हवाएँ |  
तो पता चलता नहीं है हमको,
ठण्डी ठण्डी हवाओं को छूकर | 
मन है अपना मचलता  | | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

  

कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल हमेशा चाहते हैं की कुछ नया सीखे इसीलिए हमेशा कोशिश करते रहते हैं | प्रांजुल को गणित और विज्ञान विषय बहुत पसंद है | 

सोमवार, 25 जून 2018

कविता : कोशिश हमारी

" कोशिश हमारी " 

छोटी सी ये जिंदगी हमारी, 
कुछ कर जाने की चाह हमारी | 
जमीं आसमां एक कर जाएंगें,
दुनिया को हम कर दिखलाएंगें |  
कोशिश हम सदा करते रहेंगें, 
लक्ष्य को हम सदा छूते रहेंगें | 
ये ही एक सपना है हमारा, 
घूमेंगें हम ये दुनिया सारा | 
छोटी सी ये जिंदगी हमारी, 
कुछ कर जाने की चाह हमारी | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं कुलदीप जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप बहुत एक्टिव बच्चा है | कुलदीप हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करता है | इनकी कविताओं में दम भी होता है की जो भी पढ़े वह कुछ सिख जायेगा | कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छा है | 

रविवार, 24 जून 2018

कविता :तेरी दुनिया मेरी दुनिया

" तेरी दुनिया मेरी दुनिया "

तेरी दुनिया मेरी दुनिया, 
अलग नहीं है मेरे साथी | 
चाहे हो वह जंगल के जानवर, 
या हो अपना प्यारा सा हाथी | 
सुन्दर फूल हर जगह हैं, 
सूखी पड़ी ये जमीं भी है | 
क्या करूँ ऐ मेरे साथी,
यहाँ तो पानी की कमीं है | 
फसलों की कमीं है, 
बढ़ रही आबादी है | 
कारण कुछ नहीं है यारा,
 सिर्फ ये बर्बादी है यारा | 

कवि : समीर कुमार, कक्षा 8th ,अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहबाद के रहन वाले हैं और अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | समीर ने बहुत जल्द ही कवितायेँ लिखना  सीख गए थे | समीर को इसके आलावा क्रिकेट खेलना भी पसंद हैं | 

कविता : बरसात

" बरसात "

टिप-टिप बरसा पानी,
 झम-झम बरसा पानी |
जब धरती पर है आती,
टप-टप शोर है मचाती |
बच्चे सभी ख़ुशी मनाते, 
बरसते के पानी में खूब नहाते  | 
जगह -जगह कीचड़ फैलाते, 
पानी का बौछार बहाते |  
ठण्डी -ठण्डी हवा है लातें, 
रात में मच्छर हमें सताते | 
टिप-टिप बरसा पानी,
 झम-झम बरसा पानी |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 



कवि परिचय : यह हैं  कुलदीप जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और इनके माता - पिता कानपुर में गृह निर्माण का कार्य करते हैं और कुलदीप अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं  | कुलदीप कवितायेँ बहुत अच्छी लिखते हैं |  बड़े होकर और कुछ बनकर कुलदीप अपने घर की आर्थिक व्यवस्था को सुधारना चाहता हैं | कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छा है | 

शनिवार, 23 जून 2018

कविता : दिन का उदय

" दिन का उदय "

दिन का तू ख्याल मत रख, 
सुबह भी होगी शाम भी होगी | 
वहीं धुप होगी वहीं शाम होगी,
सूर्य चंद्र के प्रकाश क मिश्रण होगा |  
बहार भी चलेगी, विचार भी बहेगा, 
नई नई सोच का उदय भी होगा | 
 सौदागर के पथ को बुनकर कहेगा, 
राही चलेगा तो राह भी साथ चलेगी |
 दिन का तू ख्याल मत रख, 
सुबह भी होगी शाम भी होगी |  

कवि : राज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं राज कुमार जो कि हमीरपुर के रहने वाले हैं | राज को राजनीती बहुत पसंद है और वह पढ़ - लिखकर एक पॉलिटिशियन बनना चाहता है | राज पढ़ाई के लिए बहुत मेहनत करता है | राज मन से बहुत कठोर पर बातचीत में सभ्य हैं | राज कवितायेँ बहुत अच्छी लिखते हैं | 

गुरुवार, 21 जून 2018

कविता : दुनिया की कहावतें

" दुनिया की कहावतें "

दुनिया क्या कहती है, 
उस पर ध्यान मत दो | 
दुनिया क्या सुनाती है,  
उस पर ध्यान मत दो | 
दुनिया किस तरह तुमको देखती है,  
उस पर ध्यान मत दो | 
कहना है तो खुद से कहो,  
सुनना है तो खुद की सुनो | 
देखना है तो अपने आप को देखो , 
की हम किस जगह पर हैं | 
ये सारी कमियाँ खुद पर नज़र आएंगी, 
अगर ध्यान नहीं दिए इन चीजों पर | 
शायद ये कभी भी तुम्हारे लिए,  
एक मुसीबत बन सकती है | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

                                                                          

कवि परिचय : यह हैं नितीश कुमार जो की बिहार के रहने वाले हैं और अपना घर में लगभग 5  सालों से रहकर पढ़ाई कर रहे हैं और पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | नितीश को टेक्नोलॉजी में बहुत रूचि है | नितीश कवितायेँ भी बहुत अच्छी लिखते हैं | 

बुधवार, 20 जून 2018

कविता :सिख लूँ मंत्र

" सिख लूँ मंत्र "

जी चाहता है सिख लूँ मंत्र, 
बदल दूँ धरती का राजतन्त्र |  
प्रदूषण से घिरी हुई है आज,
मिटा दूँ मैं प्रदूषण का राज | 
बैठे हुए लोगों को  बता दूँ, 
करना है कुछ काम काज | 
शर्म करो ऐ दुनिया वालों, 
चाहे हो गोरे या फिर कालों |  
मिटा दो इस धरती का राजतन्त्र,
आओ सीखा दूँ तुमको मंत्र | 
जी चाहता है सिख लूँ मंत्र, 
बदल दूँ धरती का राजतन्त्र |   

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 



कवि परिचय : यह है समीर अपना घर में 5 सालों से रहकर पढ़ाई कर रहे हैं और बहुत कुछ सीखा भी है | समीर ने पढ़ाई करने के साथ - साथ कवितायेँ भी लिखना सीखा है | समीर दिल से बहुत सच्चे हैं और  कुछ भी गलत दिखता है तो उसको सुधारने की कोशिश करते हैं |  

कविता : हिंदी

" हिंदी "

हिंदी है शान , हिंदी है मान,
हिंदी है देश की शान |
हिन्दू हैं हम, हिंदी हो तुम,
 हिंदी हैं, हम सब लोग |
हिंदी है हमारी सबसे प्यारी,
सूरज और गगन से भारी |
भारत में हैं अनेक भाषाएँ,
हिंदी को है उसमें से लाएं |
संस्कृत से आया ये हिंदी,
लगाना मत भूलना तुम बिंदी |
 कोई बोले अंग्रेजी दिन भर,
तो कोई है हिंदी पर निर्भर |
हिंदी है हमारी मन की भावनाएँ,
हिंदी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ |

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th ,  अपना घर


कवि परिचय : यह हैं समीर जो की इलाहबाद के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | समीर छोटे बच्चों के प्रति बहुत अच्छे हैं और उनको पढ़ाते भी हैं | अपनी हर जिम्मेदारी को अच्छे से निभाते हैं | समीर को खेलने में क्रिकेट पसंद है और ये विराट कोहली के प्रशंसक हैं | 

मंगलवार, 19 जून 2018

कविता : साल बेहाल

" साल बेहाल " 

जनवरी में हम सर्दी झेले ,
फरवरी में हम शाम को खेले | 
परीक्षाएं हैं अपनी मार्च में, 
अप्रैल में परिणाम है | 
मई है लू का महीना, 
पूरा जून आया पसीना | 
जुलाई में थोड़ा बूँदा बांदी,  
अगस्त का दिन है आज़ादी | 
सितम्बर है शिक्षक दिवस का,  
अक्टूबर में वध किया रावण का | 
नवम्बर है बच्चों का महीना,  
लो भाई आ गयाअंतिम महीना | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th  , अपना घर 

सोमवार, 18 जून 2018

कविता : तितली

" तितली "

रंग -बिरंगें होती है तितली,
सुनहरे-चमकीले होती है तितली | 
फूलों पर मंडराती है तितली ,
छूने पर उड़ जाती है तितली |  
पंख फैलाकर मनोरंजन करती, 
अपने पर घमंड नहीं दिखाती | 
मन में जिज्ञासा भरती है तितली,
सबसे सुन्दर दिखती है तितली | 
रंग -बिरंगें होती है तितली,
सुनहरे-चमकीले होती है तितली | 

कवि :  अमित कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर 

रविवार, 17 जून 2018

कविता : हिंदुस्तान एक मील का पत्थर

"  हिंदुस्तान एक मील का पत्थर "

यह हिंदुस्तान एक मील का पत्थर है,
इसकी हर एक सड़क  में मंजिल है | 
यहाँ हर एक चीज कीमती दिखती है, 
हीरे- जवाहरात महँगे बिकते हैं | 
वो खुले आसमान में जीने की आज़ादी है, 
कुछ न कर पाओ तो जीवन में बर्बादी है | 
ऐसे बुलंद हौशलों की दीवारें भी हैं,
 सब में एक अच्छी बुनियादें भी हैं | 
यह हिंदुस्तान एक मील का पत्थर है| |

कवि : राज कुमार ,कक्षा : 9th , अपना घर 

शनिवार, 16 जून 2018

कविता : हवा चली पुरवइया

" हवा चली पुरवइया "

चली  पुरवइया हवा  कहाँ से ,
कैसे गुजरा पता न चला | 
बरसात में बहती ठण्डी हवा,
झकझोर कर देती हवा | 
यह खिलती है फूलों की तरह,
यह हिलती है पेड़ों की तरह | 
जब चलती है हवा ,चन्द्रमा के पास से, 
गुजर जाती है बादलों की सांसों से | 
आँधी तूफान लाती है हवा  ,
झकझोर कर जाती है हवा | 

कवि : सनी कुमार , कक्षा : 7th ,  अपना घर 



कवि परिचय : यह हैं सनी जो की बिहार के रहने वाले हैं | सनी   हर गतिविधि में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं  और अच्छा प्रदर्शन करते हैं | सनी पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं और पढ़ाई के साथ - साथ कवितायेँ भी बहुत अच्छा लिखते हैं | 

कविता : बच्चे की राह

" बच्चे की राह " 

चलना चाहता हूँ सावधानी से, 
हूँ मैं एक छोटा सा बच्चा | 
आप के साथ खड़ा रहना चाहता हूँ,
क्योंकि डर है मुझे लगता | 
चलते - चलते इन समय में, 
कहीं टहल न जाऊँ |  
भटकने का जोखिम है, 
कहीं रास्ता न भूल जाऊँ | 
गर्मी की सूरज ,सर्दी की बर्फ,
वर्षों के लिए भटक रहा है | 
शायद मुझे अपनी मंजिल मिल जाए, 
मैं भी औरों की तरह खुश हो जाऊँ | 
चलना चाहता हूँ सावधानी से,
हूँ मैं एक छोटा सा बच्चा | 
भटकने का जोखिम है, 
कहीं रास्ता न भूल जाऊँ | 

कवि : सनी कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 

कविता :वक्त की चुनौतियाँ

" वक्त की चुनौतियाँ "

वक्त की चुनौतियों को स्वीकर करो,
हिम्मत रखो की ,तुम इंकार न करो |
आत्मविश्वास से तुम आगे बढ़ो ,
वक्त का तुम इंतज़ार न करो |
हमें अगर जीवन में कुछ करना है,
तो राहों में मुसीबत से खुद लड़ना है | 
अपने लक्ष्य को तुम जल्द पाओगे, 
जीवन सुंदर और सरल बनाओगे | 

कवि : राज कुमार , कक्षा : 9th ,अपना घर 

शुक्रवार, 15 जून 2018

कविता : रोशनी

" रोशनी "

जिंदगी को चमकाने एक रोशनी आई ,
उस रोशनी में कुछ बात थी | 
जब जिंदगी में ये नहीं आयी थी,
मेरी जिंदगी में उस वक्त काली रात थी | 
रात को भगाने  वाली उस रौशनी में, 
कुछ तो ऐसी बात थी | 
हमें इसी रोशनी की आस थी,
जिंदगी को चमकाने वाली एक रौशनी आई |  
जिसमें कुछ ऐसी बात थी | | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह है समीर जो की इलाहाबाद के रहने वाले हैं | समीर कवितायेँ लिखने के साथ - साथ गीत भी बहुत अच्छा गाते हैं | क्रिकेट खेलना इनका शौक है | समीर स्वभाव से बहुत दयालु और मन से चंचल हैं |  

बुधवार, 13 जून 2018

कविता : हिंदी

 हिंदी 

हिंदी दिवस पर अरमान लगाए रखना,
हिंदी में बिंदी लगाकर इसकी 
इस भाषा की पहचान बनाए रखना |  
इस संसार में भाषाएँ हैं अनेक, 
इसमें से हिंदी भाषा है एक | 
रंग लाएगी एक शब्द बोलकर देखो, 
बोलने में न होगी  कोई कठिनाई | 
बाजार में बाल काट रहा है नाई, 
क्योंकि लगा दिया है हमने | 
हिंदी में बिंदी मेरे भाई | | 

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 8th ,अपना घर 

रविवार, 10 जून 2018

कविता : दुनियाँ

" दुनियाँ "

ये दुनियाँ रहे या न रहे, 
ये कोई नहीं है जानता | 
दुनियाँ को बिगाड़ रहे, 
पर कोई नहीं है मानता | 
दुनियाँ को बनाने वाले चले गए,
दुनियाँ को मिटाने वाले चले आए | 
ढूढ़ने निकले हैं नई दुनिया,
पर अभी नहीं मिली दुनियाँ | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा :8th , अपना घर 



कवि परिचय : यह हैं नितीश कुमार जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | नितीश को टेक्नोलॉजी में बहुत रूचि हैं | नितीश कवितायेँ भी बहुत अच्छी लिखते हैं | नितीश को चेस खेलना बहुत पसंद है |