बुधवार, 31 मई 2023

कविता :"खामोशी शोर मचाएगी "

"खामोशी शोर मचाएगी "
 आज नहीं तो कल|  
हमारी खामोशी शोर मचाएगी, 
जिस संघर्ष में है हम | 
वो मेहनत एक दिन शोर मचाएगी, 
आज नहीं तो कल | 
बस समय का इंतजार है,
हमारी खामोशी शोर मचाएगी|  
आज नहीं तो कल, 
 ये मेहनत  रंग लाएगी|  
कवि :सनी कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

मंगलवार, 30 मई 2023

कविता :"राज़ "

"राज़ "
आओ एक राज बताए | 
उड़ाती आसमान में पतंग, 
धागो के बंधनो में बांधकर|  
गर्व का सौख बढ़ाता है ,
आज़ाद रहने का अनुभव कराता है|  
आसमान में उड़ते चिड़िया की तरह, 
हर दिशा सफर कर लेता है | 
पहाड़ की सीमा को लांघकर ,
स्वतंत्र उड़ती आसमान में | 
अनेक रूप दिखलाती है ,
आओ एक राज बताए | 
कवि :अमित कुमार ,कक्षा :9th
अपना घर  
 


सोमवार, 29 मई 2023

कविता :"कविता "

"कविता "
  काश मै कविता होती | 
हजारो लाखों के बीच होता, 
किसी के हाथों से मै लिखा जाता|  
 तो किसी के लफ्जों में पढ़ा जाता, 
काश मै कविता होती | 
शब्दों से मै गूंथा जाता ,
वाक्यो से मै पिरोया जाता |
गहनों जैसी अभूषण होता ,
काश मै  कविता होती | 
कवि :नितीश कुमार ,कक्षा :12th
अपना घर  

रविवार, 28 मई 2023

कविता :" रूठ गई वह डाली "

" रूठ  गई वह डाली " 
रूठ  गई वह डाली | 
जिसपर फूल खिले थे वह निराली, 
सुबह की वह किरण जो कर देती मन को हरियाली|  
वह आज दिख नहीं  रही है ,
कौन सी मौसम बन गई उसके लिए पराई|  
पूछ रही है वह सब से क्या हमने कुछ गड़बड़  दी भाई, 
जिंदगी हो गई  मौत | 
पलंग बनकर निभाता है, 
जिंदगी में आखिरी समय पर भी|  
तुम्हारे शरीर को पावन कर आता हूँ, 
फिर भी मेरी जिंदगी की ऐसी मजाल|  
उखाड़ने के लिए है  बेक़रार ,
कब पहुंचेगी मेरी लफ्जों को गहर|  
तुम्हारे हर एक सांसो में है मेरे जीवन का संसार, 
फिर क्यों रूठ गई वह डाली | 
जिस पर फूल खिले थे ,वह निराली|   
कवि :विक्रम कुमार ,कक्षा :12th
अपना घर  

शनिवार, 27 मई 2023

कविता "गर्मी "

"गर्मी "
गर्मी का मौसम आया फिर घूम कर | 
लू धूप और गर्म हवाएँ ,
सर- सर करते घर आते | 
घर में करते गर्मी बेसी ,
काम न पंखा कूलर ऐसी|  
कोई नीबू कोई जूस पी रहा, 
कभी खीरा तो कभी दही में जीरा|  
तपती गर्मी का है असर ,
बीमारी का बढ़ा कहर |
कवि :अखिलेश कुमार ,कक्षा :12th
अपना घर 

शुक्रवार, 26 मई 2023

कविता :"अंधकार "

"अंधकार "
 अंधकारों से मै ढका हुआ था | 
न इधर का ,न उधर का | 
न सड़क पर ,न खलियानो पर | 
दूर कंही शहर के चुराहों पर ,
बस यूँ ही रुका हुआ था | 
अंधकारों स मै ढका हुआ था ,
बस सांस थी ,तो आस थी | 
न रो पाया, न हंस पाया ,
बस दूर से मुस्कुराया | 
यूँ ही चेहरे पर मुस्कान टिका हुआ था ,
अंधकारों से मै ढका हुआ था | 
कवि :सुल्तान ,कक्षा :9th
अपना घर  

गुरुवार, 25 मई 2023

कविता :"जीना "

"जीना "
 जीना किसको कहते है | 
क्या कुछ पाने को ,
या फिर खोने को | 
या फिर हार  कर ,
चुप चाप रोने को | 
जीना किसका नाम है ,
राहत भरी मुस्कान को | 
या फिर हारे हुए ,
बाजुओं में जान को ,
हाँ जीना इसी का नाम  है | 
कवि :देवराज ,कक्षा :12th 
अपना घर 

बुधवार, 24 मई 2023

कविता "चिड़िया "

"चिड़िया " 
काश मै चिड़िया होता तो | 
घूम लेता मै सारा संसार ,
कभी पेड़ पौधों में बैठता तो|  
कभी आसमान में पंख फैलाकर उड़ता, 
तो कभी गाना गाकर | 
लोगो का दिल बहलाता, 
और सुबह की रौनक को बढ़ता |  
काश मै चिड़िया होता तो, 
फल को मन चाहे जब खाता|  
और आकाश में उड़ जाता, 
काश मै चिड़िया होता|  
कवि :सार्थक कुमार, कक्षा :12th
अपना घर  

मंगलवार, 23 मई 2023

कविता : "समुद्र के पार "

  "समुद्र के पार "
 आओ चलो हम बहार चले | 
समुद्र के उस पार चले ,
अपनी मंजिल की खोज में | 
आओ संसार का सफर करने चले ,
मुसीबतों से संघर्ष करके | 
इतिहास की रचना करके ,
उसकी शुरुआत करे | 
एक नई सोच के साथ ,
इस संसार में कुछ बदलाव करे | 
आओ चलो हम बाहर चले,
समुद्र के उस पार चले |  
कवि :अमित कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

सोमवार, 22 मई 2023

कविता "चल गलती से सीख "

"चल गलती से सीख "
  गलत हुआ ,रूठ मत | 
गलत किया ,टूट मत ,
ढूंढो पहचानो उस गलती को  मानो | 
सुधर उसे फिर तू जीत ,
गलत हुआ ,चल गलती से सीख|  
हताश मत हो ,
उसे वहीं पीछे छोड़ या फेंक|  
मंजिल जिस ओर है ,
उसी ओर तू देख | 
जो हुआ सो हो गया, 
अब अखरना ही क्यों|  
छड़ भर का तो एक भूल होता ही है, 
हाँ गलत हुआ , चला गलती से सीख |  
कवि :पिंटू कुमार,कक्षा 8th 
 अपना घर 

रविवार, 21 मई 2023

कविता :"मुसाफिरों की यात्रा "

"मुसाफिरों की यात्रा "
 चल मुसाफिर  तू  चल | 
अकेला ही तू चल,
न किसी के साथ चल|  
और न किसी की बात सुन, 
बस तू चलता ही चल | 
डगर तेरी सुन सान होगी, 
और कुछ रस्ते अनजान होगी|  
तुझको उसपर चलना  ही होगा, 
हिम्मत बांधकर अपने पथ पर चल| 
चल मुसाफिर तू चल,
न कोई तुम्हे पूछने वाला होगा|  
और न ही कोई टोकने वाला ,
तुम्हारा हिम्मत ही तुम्हारा साथी होगा|  
और हौसला तुम्हारा गाड़ी ,
चल मुसाफिर तू चल|  
कवि :नितीश कुमार ,कक्षा :12th
अपना घर  

शनिवार, 20 मई 2023

कविता :"संघर्ष "

"संघर्ष "
 एक काबिल की नगरों में | 
दुनिया में कुछ नहीं है कठिन, 
प्रयास का छाया  है उसपर | 
एक बार चूकने से नहीं होता निराश, 
प्रयास करते- करते हारता है कईबार|  
काबिल बनने से उसे कोई नहीं, 
कर सकता पीछा हरबार | 
एक काबिल की नगरों में ,
दुनिया में कुछ नहीं है कठिन|  
कवि :सुल्तान ,कक्षा :9th
अपना घर  

शुक्रवार, 19 मई 2023

कविता "गर्मी"

"गर्मी"
गर्मी आई गर्मी आई | 
कड़क धूप की गर्मी आई ,
यंहा वंहा वो लूँ चलाई | 
सूरज दादा को लाज़ न आई, 
कड़क धूप की गर्मी आई | 
सब बच्चों को वो खूब सताई, 
सूरज दादा को लाज़ न आई | 
गर्मी आई गर्मी आई ,
कड़क धूप की गर्मी आई|  
कवि : सनी कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

गुरुवार, 18 मई 2023

कविता :"हवाओ का क्या कहना "

"हवाओ का क्या कहना "
 इन हवाओ का क्या कहना | 
इनका काम ही है बहना ,
इन लहरों का क्या कहना | 
इनका काम ही है बहना,
इन चीटिंयो का क्या कहना | 
इसका काम ही है चलना ,
इन मजदूरों का क्या कहना | 
इनका दिनभर काम ही है करना ,
इन बच्चो का क्या कहना | 
खेलना ,खाना और पढ़ते ही रहना ,
इस समय को क्या कहना | 
इसका काम ही है समय बताना ,
इन हवाओ का क्या कहना |  
कवि :गोविंदा कुमार ,कक्षा :7th 
अपना घर 

बुधवार, 17 मई 2023

कविता :"मैं क्या कर सकता हूँ "

"मैं क्या कर सकता हूँ "
 उन हवाओं को चीरकर | 
चाँद -तारो को छीनकर ,
जमी पर ला सकता हूँ | 
पहाड़ो को तोड़कर ,
पत्थरो को फोड़कर | 
जाने क्या बना सकता हूँ ,
जमी को खोदकर | 
आसमान को फोड़कर ,
जाने क्या ला सकता हूँ | 
अपने सपने ना मुमकिन को,
मुमकिन बना सकता हूँ | 
कवि :महेश कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

मंगलवार, 16 मई 2023

कविता :"नींद "

"नींद "
 सुबह मुझे आती है बहुत नींद | 
झपकती रहती मेरी फाली बींद ,
अँधेरा -अँधेरा हो जाता जग | 
सोने में आता मजा तब ,
उठने में करता हूँ आनाकानी | 
धीरे -धीरे बीत रही है जवानी ,
मन लगता है मुझको भारी | 
नींद होती है सबको प्यारी ,
सुबह मुझे आती है बहुत नींद | 
कवि :कुल्दीप  कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

सोमवार, 15 मई 2023

कविता :"संघर्ष"

"संघर्ष" 
 डगर है बड़ी लंबी | 
मंजिल भी है बड़ी दूर ,
रस्ते में संघर्ष है | 
उसे पाना है जरूर ,
कठिनाइयों से न घबराना | 
हिम्मत से अपने पथ पर चलना ,
उम्मीदों को  नहीं खोने देना है | 
अपने लक्ष्य पर अटल रहना है ,
मंजिल भी  है बड़ी दूर | 
कवि :नितीश कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

गुरुवार, 11 मई 2023

कविता :"मौसम "

"मौसम " 
अब मौसम को क्या बताना | 
कभी कड़क गर्मी और धूप में मंडराना,
कभी काले  बादलो से सूरज को ढक ले जाना|  
बारिश का  मौसम का अब न कोई ठिकाना,
अब मौसम को क्या बताना | 
चलती और बहती झरनो को सुखा देना ,
प्रकृति में गर्मी से उथल-पुथल होना | 
अब मौसम को क्या बताना,
कभी कड़क गर्मी और धूप में मंडराना | 
कवि :अमित कुमार ,कक्षा :9th
अपना घर 
  

बुधवार, 10 मई 2023

कविता :"जिंदगी का मज़ा"

"जिंदगी का मज़ा" 
 जिंदगी आसान हो तो,शायद जीने का मज़ा हो | 
अगर खुदा हम पर मेहरबान हो ,
तो शायद जीने का मजा हो | 
अगर मेरे हाथो के लकीरो में , 
सब कुछ छप जाये तो | 
शायद  जीने का मजा हो, 
 पर जिंदगी तुम्हे ठोकर मरकर गिरा जाए | 
हाथो के लकीरो को मिटा जाए, 
सब कुछ छीनकर एक कब्र में दफना जाए| 
फिर उस कब्र से निकलकर जीने में मजा हो , 
फिर मेहनत से लड़ के | 
जीत का जाम पीने में मजा हो , 
जिंदगी को हार कर जितने में मजा हो| | 
कवि :देवराज ,कक्षा :12th 
अपना घर 

मंगलवार, 9 मई 2023

कविता :"क्यों हम"

"क्यों हम" 
 ये खुदा मुझे मेरे एक ,बात का जवाब दे | 
मुझे मेरी जिंदगी का ,मुझे हिसाब दे | 
क्यों नहीं मेरे बचपन में ,शैतानिया लिखा | 
क्यों नहीं मेरी माँ , से मेरी मनकानिया लिखा है | 
क्यों नहीं इसमें  मेरी, दादी की कहानियाँ है| 
क्यों नहीं इसमें नादानियाँ है ,
क्यों नहीं मेरे हाथो में कलम लिखा है | 
क्यों दो पल की खुशी और ,
बाकी जिंदगी आँखे नम लिखा है | 
क्यों काली परछाई में ,हम ही हम लिखा है |  
कवि :देवराज ,कक्षा :12th
अपना घर  

सोमवार, 8 मई 2023

कविता :"सफलता "

"सफलता "
 सफलता अब उनको मिलती है | 
जिसको ज्ञान रिक्षती है |  
जो हर दम एक लक्ष्य रखता है | 
जिस पर रोज परिश्रम करता है , 
हर पल जिसके बारे में सोचता है | 
कदम -कदम वह हमेशा चलता है ,
तीर निशाने पर लगाता है | 
लक्ष्य-भेद कर जीवन अच्छा बिताता है ,
सफलता अब उनको मिलती है, 
जिनको ज्ञान रिक्षती है | 
कवि :कुलदीप कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

कविता :"अनजान सफर"

"अनजान सफर" 
 एक अनजान सफर पर निकला हूँ मैं | 
ना ही उसका अंत है ,
और ना ही उसका कोई शुरुआत | 
बस ऐसे ही निकल पड़ा हूँ मैं ,
मैं तो ये भी नहीं जनता | 
कि ये मुझे कहाँ ले जाएगी ,
और किस मोड़ पर छोड़ेगी | 
इस सफर पर चलने के लिए ,
कई लोग मदद करेंगे | 
पर मेरा कोई साथ नहीं देंगे ,
मुझे खुद ही अकेले चलना होगा| 
और खुद ही कोई रास्ता निकालना होगा,
एक अनजान सफर पर निकला हूँ मैं |    
कवि :नितीश कुमार ,कक्षा :12th 
 अपना घर 

रविवार, 7 मई 2023

कविता "कल्पनाएं "

"कल्पनाएं "
 कल्पनाएं  उसी की  करो | 
जो करने में सफल हो सको।,
आगे का मत सोचो | 
क्योंकि दुनियाँ कल्पनाओ से भी आगे है ,
काम वही करो | 
जो तुम से हो सके ,
आगे का मत सोचो | 
क्योंकि दुनियाँ कल्पनाओं से भी  हैं ,
रास्ता एक ही चुनो ,
जिस पर तुम चल सको | 
दोनों रास्तो का मत सोचो ,
क्योंकि दुनियाँ कल्पनाओ से भी आगे हैं | 
कवि :सुल्तान ,कक्षा :9th 
अपना घर 

कविता :"सुनहरे मौसम "

"सुनहरे मौसम "
सुनहरे मौसम ये बता रहा हैं | 
बारिश में भीगना जो आनंद है ,
बदलो में चिडियो  का उड़ना आजादी है | 
हवाओं में इधर से उधर बात करना ,
सुनहरे मौसम ये बता रहा है | 
रिमझिम बारिश में नहाना ,
सभी लोग के साथ नाचना | 
आंनद से यूँ रहना ,
सुनहरे मौसम ये बता रहा हैं | 
कवि :विक्रम कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

शनिवार, 6 मई 2023

कविता :"बीता हुआ दिन "

"बीता हुआ दिन "
 आज का बीता हुआ दिन | 
कल याद आएगा ,
हर -पल हर मौसम | 
खुछ खास नजर आएगा ,
आपने और अपनो के साथ | 
कुछ बीते हुए पल याद आएंगा,
कुछ बाते -कुछ शरारते |
और कुछ नजदीकियाँ ,
कुछ खास नजर आएगा | 
हर पल-हर मौसम ,
कुछ खास नज़र आएगा | 
आज का बीता हुआ दिन,
कल याद आएगा | 
हर -पल -हर मौसम ,
कुछ खास नज़र आएगा | 
कवि :सनी कुमार ,कक्षा :12th
अपना घर  
                                                                           

कविता :"आकाश तक छू जाता "

"आकाश तक छू जाता "
काश  मुझे कोई समझ पता | 
आकाश तक छू जाता ,
सबसे ऊपर मै कहलाता | 
अपने अधूरे ख्वाइशे अजमाता ,
माँ का प्यार परिवार का दुलार पाता | 
काश मुझे कोई समझ पाता ,
आकाश तक छू जाता | 
माँ का प्यार पाता ,
काश कोई मुझे समझ पाता | 
आकाश में जा पाता ,
काश कोई मुझे समझ पाता | 
कवि :रोहित कुमार , कक्षा :6th
अपना घर  
 

सोमवार, 1 मई 2023

कविता : "चलना बहुत दूर है "

"चलना बहुत दूर है "

मत दम तोड़ो साथियो | 
चलना बहुत दूर है ,
मंजिल की रह भटक रही है | 
पर चलना जरूर है , 
प ल -पल में मत खुशियाँ है | 
पर कष्टो में भी सकुन  है ,
हार तो हम रहे है | 
पर आज भी जीतने  का जुनून है ,
भेद -भाव बसती जहाँ है | 
वहाँ भी एक ही खून है ,
मत दम तोड़ो साथियो | 
चलना बहुत दूर है ,
कवि  :कुल्दीप ,कक्षा :12th 
अपना घर