बुधवार, 31 जुलाई 2019

कविता : सावन का महीना

" सावन का महीना "

सावन का महीना आया,
अपने संग बारिश लाया |
हरियाली सी खुशियाली छाई ,
चिड़ियों की चहचाहक लाई |
ताल ,डबरा भर है आई,
कीड़े - मकौड़े बारात लाई |
सरपर चढ़कर बोल रहे शिवशंकर,
सावन में झूले हैं भयंकर |
गंगा ने अपना रंग दिखाया,
अघोरियों ने नाच दिखाया |
सावन का महीना आया,
अपने संग बारिश लाया |

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक " सावन का महीना " है | सार्थक ने कविता प्रकति के सौन्दर्य को देखकर लिखी है | सार्थक एक बहुत अच्छे कवि हैं | सार्थक को खेल खेलना बहुत पसंद है और इसी से अपना करियर बनाना चाहते हैं |

मंगलवार, 30 जुलाई 2019

कविता : अपना हाल

" अपना हाल "

क्या बताएँ हम अपना हाल,
यह मौसम तो है बिल्कुल बेकार |
न चैन हैं , न ही है राहत,
पूरा दिन गर्मी में गरमाहट |
थोड़ी सी बरसात राहत दिलाती,
ज्यादा दिन वह भी टिक नहीं पाती |
गर्मी में पसीना बहता रहता,
जब कूलर का पंखा रुकता |
कैसे बढ़ जाती है यह गरमी,
न कोई दया है न कोई नरमी |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक हैं | प्रांजुल पढ़ने में बहुत एफर्ट डालते हैं | अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल एक अच्छे इंजीनियर बनना चाहते हैं |

सोमवार, 29 जुलाई 2019

कविता : किसानों की हुई ख्वाइश पूरी

" किसानों की हुई ख्वाइश पूरी "

इस महीने हुई है जमकर बारिश,
किसानों की हुई ख्वाइश पूरी |
धरती का वाटरलेबल बढ़ा,
हमें इस मुसीबत से दूर किया |
इस बारिश के महीने में,
कहीं तो हरियाली छाई |
कहीं तो बंजर जमीं पाई,
कई लोगों को बाढ़ में डुबाई |
इस महीने हुई है जमकर बारिश,
किसानों की हुई ख्वाइश पूरी |

कवि : संजय कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता संजय के द्वारा लिखी गई है जो की झारखण्ड के निवासी हैं | संजय को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वह बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं जो बहुत ही प्रभावित करती हैं | संजय अपने परिवार वालों की बहुत मदद करते हैं |

रविवार, 28 जुलाई 2019

कविता : आओ चलें इस बारिश में

" आओ चलें इस बारिश में "

आओ चलें इस बारिश में,
धूम मचाए आस - पास के पानी में |
खूब खेलेंगें खूब नाचेंगे,
कुछ कूदकर इस बारिश में ,
दोनों हाथ खोलकर राह देखेंगें |
एक बूँद ही जो खिला देगी
हमारे पुरे मन को और तन को |
दौड़कर भागेंगें इस पानी में ,
टप - टप -टप गिरने की आवाजों में |

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता विक्रम ने लिखी है जिसको कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | विक्रम बहुत सी कवितायेँ लिखते हैं | विक्रम एक बहुत अच्छे वक्ता भी हैं | विक्रम पढ़लिखकर अपने परिवार की मदद करना चाहतें हैं | विक्रम अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं |

शनिवार, 27 जुलाई 2019

कविता : छोटी सी चिड़िया

" छोटी सी चिड़िया "

छोटी सी चिड़िया को जब मैनें देखा,
उसने अंडे से निकलते ही अपनी माँ को देखा |
जब उसकी माँ ने प्यार जताया,
उसने जैसे कोई जन्नत पाया |
जिसको उसने अपना संसार बनाया,
माँ की अंचल में खुशियां पाया |
अच्छाइयों को पकड़ा , बुराइयों को फेका,
छोटी सी चिड़िया को मैंने जब देखा |

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जिसको सबसे ज्यादा कविता लिखने का शौक है | समीर प्रयागराज के निवासी हैं और अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | समीर इसके आलावा संगीत में भी अच्छे हैं | समीर अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए बहुत मेहनत करता है |

शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

कविता : काले बादल

" काले बादल "

देखा आसमान एक बार,
मिला काले बादलों का भंडार |
ठंडा मौसम है बन जाता,
मोर मोरनी सब चिल्लाता |
नाच देख जब मोर का,
बच्चे नाचे छम - छम -छम |
टिप -टिप आवाज़ है आती,
पवन भी खूब सरसराती |
दिल , मन मचला करता है,
बूंदें जब आसमान से टपकता है |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | कुलदीप को कविता लिखने का बहुत शौक है और बहुत सी कवितायेँ भी लिखते हैं | कुलदीप पढ़ लिखकर एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं | कुलदीप को क्रिकेट खेलना बहुत अच्छा लगता है कुलदीप पढ़ने में बहुत अच्छे हैं | |

कविता : ज़रा इस आदमी को जगाओ

" ज़रा इस  आदमी को जगाओ "

भाई सूरज,
ज़रा इस  आदमी को जगाओ |
भाई पवन,
ज़रा इस आदमी को हिलाओ |
यह आदमी सोया पड़ा है,
जो सच से बेखबर,
सपनो में खोया पड़ा है |
ये जिन्दा कम , मरे जैसे है,
जो जैसा था वो वैसे ही हैं |
जरा इस आदमी को जगाओ,
जो बिस्तर पर सोया पड़ा है |

कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता राहुल के दवरा लिखी गई जो की बिहार के निवासी हैं | राहुल को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है | राहुल अपनी मन की इच्छा को प्रकट करने के लिए कविता का प्रयोग करते हैं | मुझे उम्मीद है की यह कविता आपको जरूर पसंद आएगी |

गुरुवार, 25 जुलाई 2019

कविता : जिंदगी का सफर

" जिंदगी का सफर " 

ये जिंदगी का सफर कितना अजीब है न,
कभी ग़मों का सामना करना पड़ता है , तो
कभी खुद से ही लड़ना पड़ता है |
ये दूर से सुकूनभरा दिखता है, न
ये जिंदगी का सफर अनोखा और अनमोल
इसको कोई न है भूलेगा |
ये अहम और महत्वपूर्ण
हर समय अनेक पल से
रुबरुह और सम्पूर्ण ये जिंदगी का सफर |

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं देवराज जिन्होंने यह कविता लिखी है | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | देवराज अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | देवराज पढ़ने के लिए बहुत मेहनत करते हैं | देवराज में कुछ सिखने की बहुत रूचि है |

मंगलवार, 23 जुलाई 2019

कविता : फूल जो कहना चाहती है

" फूल जो कहना चाहती है "

हवाओं में हिलती हुई,
वह फूल जो कहना चाहती है |
अपनी सजी हुई टहनियों पर,
हवाओं संग खेलना चाहती है |
खुशबू से महकाना चाहती हैं,
आस - पास पेड़ - पौधों से कहकर |
अपनी खुशबू से मन को,
बहलाना चाहती है |
यह फूल के पौधों,
हवाओं चाहती हैं |

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | विक्रम कानपुर के अपनाघर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई हैं | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | विक्रम एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |


रविवार, 21 जुलाई 2019

कविता : नोटबन्दी

" नोटबन्दी "

लोग हो गए हैं बेहाल, 
पुराने नोटों का हुआ हलाल | 
अमीर हो गए बेमिशाल ,
गरीब हो गए लालम - लाल | 
क्योंकि पुराने नोटों के हो गए जमाना, 
लोग एक - दूजे के हुए परमाना | 
मोदी ने किया पुराने नोटों का खात्मा, 
काले  धंदे वालों की शांत हुई आत्मा | 
कवि : कामता  कुमार , कक्षा : 8th ,अपनाघर

कवि परिचय : यह कविता कामता ने नोटबंदी पर लिखी है जिस समय लोगों के हालात बहुत ही गंभी थे | कामता ऐसे ही रोचक भरी कवितायेँ लिखने के लिए जाने जाते हैं | कामता बिहार के निवासी हैं |

कविता : छोटी सी चिड़िया

" छोटी सी चिड़िया "

छोटी सी चिड़िया चहक रही थी,
मेरे खिड़की के पास |
मैं देख रहा था उस चिड़िया को,
जो उड़ रही थी मेरे खिड़की के पास |
अपने सहेलियों को बुला रही थी,
लगता वो मेरे नींद को जगा रही थी |
जब वह आई मेरे पास,
मैंने उसे बताई एक बात खास |
चली जा अपनी सहेली के पास,
मत बैठ मेरे खिड़की के पास |

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | सुल्तान को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | अभी तक सुल्तान ने कुछ ही कवितायेँ लिखना शुरू की है | मुझे उम्मीद है की यह कविता आपको अच्छी लगी होगी | और यह भी उम्मीद है की आप उनका उत्साहवर्धन करेंगें ताकि वह और भी अच्छी कवितायेँ लिख सके |

कविता : काले बादल

" काले बादल "

देखो ये काले बादल,
भरा जैसे मटके में पानी |
कहाँ से यह आता है,
फूट - फूट कर बरस जाता है |
कोई इसे कुछ कहते नहीं,
बिन बादल मोर चहकते नहीं |
हरदम अपनी मर्जी का करता,
ये किसी की मर्जी न सुनता |
करता है अपनी ही मनमानी,
भरा जैसे मटके में पानी |

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता अखिलेश के द्वारा लिखी गई है जो की कवितायेँ लिखने में बहुत रूचि रखते हैं | अखिलेश बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | वर्तमान समय में अपनाघर नामक संस्था में रहकर कक्षा 9 की पढ़ाई कर रहे हैं | अखिलेश पढ़लिखकर नेवई ऑफिसर बनना चाहते हैं |

शनिवार, 20 जुलाई 2019

कविता : बारिश

" बारिश "

मौसम ने लिया रुख मोड़,
जो शायद अब बरस पड़ेगी |
ये काली घटाओं से,
हल्की - हल्की जो बूंदें गिरी |
जो पौधों में मचा रही हलचल,
जो कुछ हंस रहे कुछ झूम रहे हैं |
और कुछ आपस में बात कर रहे हैं |
बहुत किया इंतज़ार इस बारिश का,
बारिश में नहाने और मौज करने का |
अब वह घडी बारिश की आ गई,
जो अब श्रष्टि को भिगाएगी |  

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि  परिचय : यह हैं नितीश कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की मूल रूप से बिहार के नवदा जिले के रहने वाले हैं | वर्तमान समय में अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं | नितीश को कवितायेँ का बहुत शौक है और अभी तक वह बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | नितीश एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |

मंगलवार, 9 जुलाई 2019

कविता : कभी कुछ खाश

" कभी कुछ खाश "

मैं सोचता हूँ कभी कुछ खास,
जिस पर मुझे खुद है विश्वास |
मेरी बचपन से ये पढ़ने की प्यास,
बना देती है मुझे उदास |
मेरी ये जिंदगी और बड़नसबी,
कहीं कर दे न सपने चूर |
सपनों पर निखरना चाहता हूँ,
लेकिन परिस्थितियाँ निखरने ने देती |
कोशिश करता हूँ सपना हो खाश,
जिस पर मुझे खुद पर हो विश्वास |

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के निवासी हैं और अपना घर संस्था में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | समीर को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद हैं और अभी तक वह बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | समीर को क्रिकेट भी खेलना भी बहुत पसंद है |

सोमवार, 8 जुलाई 2019

कविता : बहती हवाएँ

" बहती हवाएँ "

चलती हवाएँ कुछ कह रहीं हैं,
मानो वह मंद मंद बह रहीं हैं |
फूल - पत्तों को छूकर,
बंजर जमीं को फूँककर |
वह सारी सौन्दर्य को बढ़ा रहीं हैं,
चलती हवाएँ कुछ कह रहीं हैं |
पसीने की बून्द को सुखाती है,
पूरे बदन में ठंडक पहुंचाती है,
कितना सफर करके आती है |
रूकती नहीं वह बहतीही जाती है | |

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जिन्होंने यह कविता लिखी है | प्रांजुल मूल रूप से छत्तीसगढ़ के निवासी हैं और कानपूर के एक "अपना घर" संस्था में रहकर कक्षा 10 की पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वह कविता लिखते भी हैं |

रविवार, 7 जुलाई 2019

कविता : बारिस

" बारिस " 

रिमझिम - रिमझिम बारिस आई,
अपने संग काले बादल लाई |
लहराते हुए हवाओं में,
पेड़ों की बौछारों में |
ख़ुशी चहचाहट लाई,
खेतों में हरियाली लाई |
रिमझिम -रिमझिम सी बारिस आई,
अपने संग काले बादल लाई |
बूँदों के गिरने से हम,
भूल गए हम अपने सारे गम |
बूँदों ने खुशियां ही भर दी,
सब जगह को हरियाली कर दी |

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं सार्थक जिन्होंने यह कविता लिखी है जिसका शीर्षक है " बारिस " | सार्थक मूल रूप से बिहार के निवासी हैं | वर्तमान समय में अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | सार्थक को खेलना बहुत अच्छा लगता हैं | पढ़ लिखकर इंडियन आर्मी में जाना चाहते हैं |