शनिवार, 20 जुलाई 2019

कविता : बारिश

" बारिश "

मौसम ने लिया रुख मोड़,
जो शायद अब बरस पड़ेगी |
ये काली घटाओं से,
हल्की - हल्की जो बूंदें गिरी |
जो पौधों में मचा रही हलचल,
जो कुछ हंस रहे कुछ झूम रहे हैं |
और कुछ आपस में बात कर रहे हैं |
बहुत किया इंतज़ार इस बारिश का,
बारिश में नहाने और मौज करने का |
अब वह घडी बारिश की आ गई,
जो अब श्रष्टि को भिगाएगी |  

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि  परिचय : यह हैं नितीश कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की मूल रूप से बिहार के नवदा जिले के रहने वाले हैं | वर्तमान समय में अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं | नितीश को कवितायेँ का बहुत शौक है और अभी तक वह बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | नितीश एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |

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