" बारिश "
मौसम ने लिया रुख मोड़,
जो शायद अब बरस पड़ेगी |
ये काली घटाओं से,
हल्की - हल्की जो बूंदें गिरी |
जो पौधों में मचा रही हलचल,
जो कुछ हंस रहे कुछ झूम रहे हैं |
और कुछ आपस में बात कर रहे हैं |
बहुत किया इंतज़ार इस बारिश का,
बारिश में नहाने और मौज करने का |
अब वह घडी बारिश की आ गई,
जो अब श्रष्टि को भिगाएगी |
कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
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