" फूल जो कहना चाहती है "
हवाओं में हिलती हुई,
वह फूल जो कहना चाहती है |
अपनी सजी हुई टहनियों पर,
हवाओं संग खेलना चाहती है |
खुशबू से महकाना चाहती हैं,
आस - पास पेड़ - पौधों से कहकर |
अपनी खुशबू से मन को,
बहलाना चाहती है |
यह फूल के पौधों,
हवाओं चाहती हैं |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | विक्रम कानपुर के अपनाघर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई हैं | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | विक्रम एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |
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