शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

कविता : ज़रा इस आदमी को जगाओ

" ज़रा इस  आदमी को जगाओ "

भाई सूरज,
ज़रा इस  आदमी को जगाओ |
भाई पवन,
ज़रा इस आदमी को हिलाओ |
यह आदमी सोया पड़ा है,
जो सच से बेखबर,
सपनो में खोया पड़ा है |
ये जिन्दा कम , मरे जैसे है,
जो जैसा था वो वैसे ही हैं |
जरा इस आदमी को जगाओ,
जो बिस्तर पर सोया पड़ा है |

कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता राहुल के दवरा लिखी गई जो की बिहार के निवासी हैं | राहुल को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है | राहुल अपनी मन की इच्छा को प्रकट करने के लिए कविता का प्रयोग करते हैं | मुझे उम्मीद है की यह कविता आपको जरूर पसंद आएगी |

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