" जिंदगी का सफर "
ये जिंदगी का सफर कितना अजीब है न,
कभी ग़मों का सामना करना पड़ता है , तो
कभी खुद से ही लड़ना पड़ता है |
ये दूर से सुकूनभरा दिखता है, न
ये जिंदगी का सफर अनोखा और अनमोल
इसको कोई न है भूलेगा |
ये अहम और महत्वपूर्ण
हर समय अनेक पल से
रुबरुह और सम्पूर्ण ये जिंदगी का सफर |
कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं देवराज जिन्होंने यह कविता लिखी है | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | देवराज अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | देवराज पढ़ने के लिए बहुत मेहनत करते हैं | देवराज में कुछ सिखने की बहुत रूचि है |
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