रविवार, 27 नवंबर 2011

बच्चा

बच्चा 
 वे  कहते है बच्चा ,
 हम में, तुम में कौन है? अच्छा..... 
 किलकारी मार कर हंसना है ,
 गोद में कभी नहीं आता हैं.....
अन्दर- अन्दर मुस्काता हैं ,
 तन का हैं कितना अच्छा .....
 मुस्काता है मन के अन्दर ,
 भेद भाव बिलकुल नहीं समझता.....
 लगा हैं लार चुवाने में ,
 कभी नहीं हम उसको लेते हैं.....
हमेसा  गोद को रोता हैं ,
  वे कहते हैं बच्चा ......

 लेखक - जीतेन्द्र कुमार
 कक्षा - ८ अपना घर ,कानपुर

दूर देश से आया हैं बादल

दूर देश  से आया हैं  बादल

दूर देश  से आया हैं  बादल,
 दिन दुपहरियां में छाया हैं बादल......
 कितनी गर्मी हो रही हैं ,
 लोग निकलना भी भूल गए हैं.....
 घर में ही सो रहे हैं  ,
 किरणों से थे सब घायल......
 दुपहरियां में भी छाया हैं बादल,
 दूर देश से आया हैं बादल......
 लेखक - चन्दन कुमार 
 कक्षा - ६ अपना घर ,कानपुर

 

बस्ती में मस्ती

बस्ती में  मस्ती 
 बस्ती झूमे मस्ती में ,
 बच्चे घूमे बस्ती में .....
  बाँकी जो बचे बस्ती में,
 वो भी जाते मस्ती में ......
 बूढ़े बैठे खटिया  में ,
 कर रहे बाते मस्ती में.....
 जो भी दिखा बस्ती में ,
 कर रहा मस्ती बस्ती में....
 बस्ती झूमे मस्ती में ,
 बच्चे घूमे बस्ती में ......
 लेखक - अशोक कुमार 
 कक्षा -९ अपना घर,कानपुर

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

कविता : जल

 जल 

जल से ही जीवन हमारा ,
उपयोग है बहुत इसका.....
इससे ही जीवन सबका,
उपयोग हैं करते हम जिसका,
गली,शहर,मुहल्लों में तो .....
बर्बाद होता है ये पानी ,
अब एक दिन येसा आयेगा....
जब खत्म हो जायेगी इसकी कहानी,
जल से ही है पेड़ों का जीवन ......
आक्सीजन हैं पाते जिससे,
काम बहुत आता है ये जल .....
जीवन हैं पाते हम जिससे ,

लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर 

सोमवार, 21 नवंबर 2011

गलती स्वीकारेगे

कविता -गलती स्वीकारेगे 
धमकियाँ कौन  देते हैं,
  नेता पड़े सोते हैं .....
गलती हमने नहीं की हैं,
 घूस हमने नहीं ली हैं ....
 कुछ गलती esee होती हैं,
jo sabako दुःख detee हैं ....
नहीं कयेगे ab ham गलती ,
yah हैं nara  kal  ka......
स्वीकारेगे apnee गलती,
yah हैं nara ab ka
.
धमकियाँ कौन  देते हैं,
  नेता पड़े सोते है......
 lekhak - gyan 
kaksha - 8 apna ghar ,kanpur 
 

बुधवार, 16 नवंबर 2011

कविता : आराम ही आराम

 आराम ही आराम 
एक सुबह कि आये शाम ,
जिसमें हो सिर्फ आराम ही आराम....
न करना पड़े कोई भी काम,
और हमें न करें कोई बदनाम....
न कोई डांटे न कोई चिल्लाये,
न कोई मुझसे काम करवाये...
हर दिन हो जाये येसा ही,
जिसमें केवल हो मजा ही....

लेखक : आशीष कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर 

मंगलवार, 15 नवंबर 2011

कविता : सर्दी

 सर्दी 
सर्दी आयी सर्दी आयी ,
सबके मन में खुशियाँ लायीं...
अब पहनेगें नए-नए स्वेटर,
बैठेगें हम रजाई के भीतर ....
जब खायेगें हम बादाम-छुहारा,
तब भागेगा हमरा जाड़ा....
गरम-गरम पूड़ी सब्जी खायेगें,
स्कूल न जाकर घर पर मौज उडायेगें...
सर्दी है सबसे बढ़िया मौसम ,
जिसमें न होता किसी को कोई गम.....

लेखक : आशीष  कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर  

रविवार, 13 नवंबर 2011

सुन्दर प्रकृति

कविता - सुन्दर प्रकृति 
 कितनी बड़ी हैं यह प्रथ्वी हमारी ,
जिस पर हैं ये दुनिया सारी .....
हर तरफ इसके पानी हैं,
दुनिया जो जानी पहचानी हैं....
बिखरा पड़ा हैं यहाँ सौन्दर्य अपार,
फूलो की घाटी, हिमालय और पहाड़......
नष्ट न होने दो इस सौन्दर्यता को  ,
 ख़त्म करो न तुम इसकी जड़ता को .....
जम्मू के इस प्राकृतिक सौन्दर्य को ,
देख हर्षित होता हैं सबका मन .....
अच्छा लगता हैं सभी को ,
बस ऐसा ही जीवन .....
लेखक - धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा - ९ अपना घर ,कानपुर  

मंहगाई

कविता - मंहगाई
 मंहगाई का आया जमाना ,
 महंगा को गया खाना-दाना.....
 घोटाले बाजों का कहना ,
मंहगाई में हमको रहना .....
इसी बात तो देख मंहगाई ,
गरीबों को याद आयी नानी .....
बन्द को गया दाना- पानी,
आम आदमी भोला भाला .....
2g ने किया घोटाला,
मंहगाई का आया जमाना .....
 महंगा हो गया खाना- दाना.....
 लेखक - सोनू कुमार  
कक्षा - १० अपना   घर ,कानपुर  

-आस -पास परिवर्तन

कविता -आस -पास परिवर्तन 
 ये मौसम में क्या परिवर्तन को रहा हैं ,
हर चीज में परिवर्तन हो रहा हैं ....
परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं ,
 प्राकृतिम  कृत्रिम होते हैं....
 कभी हवा तेज चलती हैं,
 कभी गर्म चलती हैं ....
 जो तीव्र गति से चलतीa हैं,
 वह तीव्र पवन कहलाती हैं .....
 जो परिवर्तन  मंद गति से होता हैं ,
वह  मंद परिवर्तन कहलाता हैं......
 लेखक -चन्दन कुमार 
 कक्षा -६ अपना घर ,कानपुर

देश

कविता - देश 
 जो देश बिगड़ चुका हैं उन्हें फिर सुधारिए,
ये कहना तो आप मेरा मन जाइये  .....
डर लगता हैं इन नेताओं से ,
 कही फिर से इसे बेच न  दे ....
अगर बेचा  तो फिर दुबारा संभलेगा नहीं,
बचाना हैं तो इन नेताओं को हटाना हैं ...
जो देश बिगड़ चुका हैं उन्हें सुधारिए ,
 ये कहना तो आप मेरा मान जाइये ......
लेखक - सागर कुमार 
कक्षा - ८ अपना घर ,कानपुर   

शनिवार, 12 नवंबर 2011

मेहनत

कविता -मेहनत 
 रात- दिन हो गयी एक ,
 खून पसीना कर दिया एक......
 इस  मेहनत की कमाई से ,
सुख से जियेगे हम .....
 आज के इन नेताओं की तरह,
नहीं करेगे हम घोटाले .......
क्योकि इस देश में ,
बहुर हैं भूखे मरने वाले ...... मेहनत
लेखक -ज्ञान
कक्षा - ८ अपना घर, कानपुर 
      

सफ़र जिन्दगी का

कविता -  सफ़र जिन्दगी का 
 जिस पथ में चला हैं ,
वह पथ बहुत कठिन हैं.....
 जैसे कि प्रथ्वी के तीन भाग में जल हैं,
और एक भाग में जमीन हैं ......
समय नहीं करता हैं इंतजार ,
आप चाहे जितना करे विचार......
आपका हैं इतना कठिन सफ़र ,
यदि पथ से भटके तो न होगा बेडा पार.....
 ये सफ़र हैं आपकी जिन्दगी का ,
अब समय इंतजार न करेगा आप का.....
पथ में कांटे भी आयेगे ,
लोग भी आप को सतायेगे......
आप किसी से न दरियेगा ,
आप अपने लक्ष्य में अडिग रहकर चलियेगा......
लेखक - आशीष कुमार 
कक्षा - ९ अपना घर, कानपुर  

आओ करे विचार

कविता - आओ करे विचार 
 दो -दो चार ,
 आओ करे विचार.....
 चार थे साथी ,
 उनके पास नहीं था हाथी....
 जिसके कारण से थे वे उदास,
 चारो मिलकर रहते साथ .....
दो -दो चार ,
 आओ करे विचार......
 लेखक - ज्ञान 
 कक्षा - ८ अपना घर , कानपुर

शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

शीर्षक - पक्षी उड़े हैं जोर - जोर से

कविता - पक्षी उड़े हैं जोर - जोर से 
 पक्षी उड़े हैं जोर - जोर से ,
हवा चली हैं शोर -शोर से .....
 गगन में  सब नाचे गए ,
 सुबह -सुबह जैसे खेत लहाराये.....
 पेड़ो की डाले यूँ बहके ,
 बागो के सरे फ़ूल महके......
 शुध्द हवा दे रही ताजगी ,
 अब न रहेगी गन्दगी......
 यहाँ का मौसम सब को भाता,
बिन मांगे  बारिस करता ........
यहाँ का जाड़ा सबको भाता ,
 बिन बुलाये सर्दी लाता ......
 गर्मी भी सबको भाये ,
 यहाँ का मौसम गर्नी में ठंडी हवा बहाये......
 पक्षी उड़े हैं जोर -जोर से ,
 हवा चली हैं शोर- शोर से ........
 लेखक -आशीष कुमार 
 कक्षा - ९ अपना घर ,कानपुर

बुधवार, 9 नवंबर 2011

कविता : गलतियाँ

 गलतियाँ

मेरे मन में एक विचार आता है ,
वह मुझे बेहाल कर देता है ....
मै प्रतिदिन सोचता हूँ,
आखिर गलतियाँ हमसे क्यों होती हैं....
मैं गलतियाँ नहीं करना चाहता हूँ ,
गलतियाँ तो सभी करते हैं ....
बच्चे हों या बूढ़े हों ,
गलतियाँ कुछ बड़ी और छोटी होती हैं.....
अगर गलतियाँ होती हैं तो ,
उस पर सुधार करना चाहिए.....
लेकिन गलतियाँ क्यों होती हैं ,
इस पर विचार करना चाहिए .......

लेखक : मुकेश कुमार 
कक्षा : 10 
अपना घर
 

रविवार, 6 नवंबर 2011

कविता : नहीं मिलेगी अब सजा

नहीं मिलेगी अब सजा 

सुनों-सुनों सब भाई बहना ,
सावधान तुम रहना ....
क्योंकि ठंडी आने वाली है,
सबको थर-थर कपाने वाली है.......
ठंडी का मौसम है सुहाना,
सब मिलकर अब गाओ गाना .......
ठंडी में है अब बहुत मजा,
क्योंकि स्कूल में नहीं मिलेगी सजा.......


लेखक : मुकेश कुमार 
कक्षा : 10 
अपना घर 

बुधवार, 2 नवंबर 2011

कविता: पटाखे

पटाखे 

पटाखे की आयी बारात,
दीपावली है साथ आयी .....
गया अन्धेरा आया उजाला,
उजाले में आयीं हैं लक्ष्मी .....
घर में भर गयीं है कितना धन,
धन को अच्छे से है रखना ....
पटाखे की आयी बारात ,
दीपावली है साथ आयी ....
लेखक : चन्दन कुमार 
कक्षा : 6
अपना घर  

मंगलवार, 1 नवंबर 2011

कविता : पृथ्वी

 पृथ्वी

पृथ्वी पर है कितना भार,
इस पर चलती मोटर-कार....
पानी भरा है इसमें प्यारा,
पहाड़-झरनों से निकला सारा....
जब तेजाबी वर्षा होती ,
पृथ्वी पर विनाश की क्रिया होती है.....
पृथ्वी पर कितना भार,
इस पर चलती मोटर-कार.....

लेखक : ज्ञान कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर