मंगलवार, 24 मार्च 2009

कविता:- रानी बेटी


रानी बेटी
किसने तुमको डाटा
किसने तुमको मारा
किसने यों फटकारा
गुडिया दूंगी लाल खिलौने
दूंगी मोटर साईकिल
रानी बेटी बड़ी सायानी
दूंगी झिलमिल गाड़ी
दादू कुमार
अपना स्कूल,
धामिखेडा, कक्षा 4

कहानी:- बरगद और जामुन


बरगद और जामुन
एक दिन बरगद और जामुन में बहस हुई बरगद बोला, मै तो छाया देता हूँजामुन बोला मै भी छाया देता हूँ, बरगद बोला मैसबको पत्ते देता हूँ, जामुन बोला मै तो फल देता हूँबरगद बोलाअच्छा तो हम दोनों मित्र बन जाते है, और झगडा करना छोड़ देते है
सुभाष
अपना स्कूल , पनकी, कक्षा 3



सोमवार, 23 मार्च 2009

श्रद्धांजलि:- रंग दे बसंती


रंग दे बसंती
आज २३ मार्च शहीद दिवस है, उन तीन क्रन्तिकारी युवाओं की शहादत का दिन, जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए वतन पर अपना सब कुछ वार दियाआज के ही दिन अंग्रेजी हुकूमत ने २३ मार्च १९३१ को फांसी दे दी। अपना रास्ता अपने आप तय करने वाले वे तीनो युवाओं शहीदे - - आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को हम बच्चो की तरफ़ से हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि
ध्रुव
अपना घर, कक्षा 7

कविता:- बन्दर

बन्दर
कटी दल पर बैठा बन्दर
ले कर केला और चुकंदर
लम्बी चोटी उसके सर पर
लम्बी पूंछ है उसके ऊपर
कभी - कभी वह घर के अन्दर
लेकर सिर पर एक कलेंडर
लेके बंदरिया अपने संग
करने लगा रंग में भंग
सोनू कुमार
अपना घर, कक्षा 7

पेंटिंग:- आदित्य कुमार
अपना घर, कक्षा 6

कविता:- साईकिल


साइकिल
गाँव शहर जाती हमारी साइकिल
बिना पेट्रोल के सैर कराती साइकिल
बिना पट्रोल के चलती साइकिल
दो पहिया होती साइकिल
छोटी सी साइकिल सैर कराती
घुमा - घुमा कर मन बहलाती
मेरे मन को भाती साइकिल
गाँव शहर को जाती हमारी साइकिल
साइकिल है बड़े मजेदार
मैंने चलाया है बार - बार
साइकिल मेरी सैर कराती
घुमा - घुमा करके मन बहलाती
आदित्य कुमार
अपना घर, कक्षा 6



कविता:- रोटी


रोटी
गोल - गोल होती
मगर गेंद नही कहलाती
सभी लोग है इसको जानते
मगर पहचान नही पाते
इन्सान की यह भूख मिटाती
इसी लिए तो रोटी कहलाती
हम को लगती कितनी प्यारी
दुनिया में है सबसे न्यारी
नई जिन्दगी देती है
रोटी प्यारी होती है
अशोक कुमार
अपना घर, कक्षा 6

सोमवार, 2 मार्च 2009

कविता: राजा- रानी


राजा - रानी
एक कहानी एक कहानी
एक था राजा एक थी रानी
राजा था बूढा रानी भी बूढी
राजा के ऊपर एक मुश्किल पड़ी
राजा बोला रानी से
यह मुश्किल दूर करू कैसे
रानी ने पूछा क्या है मुश्किल
राजा ने कहा मरना है मुश्किल
जमुना
कक्षा ३, अपना घर



कविता;- बरसात

बरसात
बरसात का मौसम आया
कीचड़ अपने साथ में लाया
बढ़ता जाता पानी ही पानी
घर में माँ को होती परेशानी
दिन भर बच्चे भूखे सोते
रात भर भी बच्चे भूखे सोते
कोई हो जाता बच्चा बीमार
गरीबी के कारण जाता मर
पैसा कंहा से लाते
काम कंहा करने जाते
आदित्य कुमार
कक्षा ६, अपना घर


कविता:- स्वेटर भइया

स्वेटर भइया
स्वेटर भइया जाओ
ठंढी दूर भगा जाओ
सभी लोग ठंढा रहे है
आपका इंतजार कर रहे है
जल्दी से तुम जाओ
ठंढी दूर भगा जाओ
आप नही आयेंगे
हम लोग सिकुड़ जायेंगे
ठिठुर - ठिठुर कर मर जायेंगे
ज्ञान कुमार
कक्षा ५, अपना घर

कविता:- पैसा

पैसा
जीते पैसा मरते पैसा
जंहा भी देखो पैसा ही पैसा
आगे पैसा पीछे पैसा
ऊपर पैसा नीचे पैसा
चारो ओर पैसा ही पैसा
आज के बाजार मे
पैसा लूट रहे है
एक जैकेट खरीदने में ७५० रुपये लगते है
एक स्वेटर खरीदने में २५० रूपये लगते है
इस लिए हम कहते है
आगे पैसा पीछे पैसा
जंहा भी देखो पैसा ही पैसा
ऐसी मंहगाई में गरीब लोग कंहा से खरीदेंगे
खरीद नही पाएंगे तो ठंढ में ही मर जायेंगे
उनकी तरफ़ तो सरकार भी नही देखती है
तो भाइयो इसी लिए हम कहते है
आगे पैसा पीछे पैसा
जंहा भी देखो पैसा ही पैसा
तरु कुमार
कक्षा ५, अपना घर




कविता:- आहा टमाटर

आहा टमाटर
आहा टमाटर आहा टमाटर बड़ा मजेदार
जब इसको चीटी ने खाया
हाथी को भी मर भगाया
आहा टमाटर आहा टमाटर बड़ा मजेदार
जब इसको चूहे ने खाया
बिल्ली को भी मार भगाया
आहा टमाटर आहा टमाटर बड़ा मजेदार
जब इसको बकरी ने खाया
शेर को भी मार भगाया
आहा टमाटर आहा टमाटर बड़ा मजेदार
जब इसको पतलू ने खाया
मोटू को भी मार भगाया
आहा टमाटर आहा टमाटर बड़ा मजेदार
आदित्य कुमार
कक्षा ६, अपना घर

कविता;- चिड़िया आई

चिड़िया आई
चिड़िया आई चिड़िया आई
खेत से दाना लेकर आई
साथ में सारी चिड़िया आई
सबको दाना खूब खिलाई
चिड़िया आई चिड़िया आई
खेत से दाना लेकर आई
चिड़िया खूब मज़ा उड़ाती
फुदक - फुदक कर नाच दिखाती
हम सबका मन बहलाती
देखो पास कभी आती
चिड़िया आई चिड़िया आई
खेत से दाना लेकर आई
जे० पी०
कक्षा ६, अपना घर


कविता:- एक कहानी

एक कहानी
एक थी बिल्ली एक था बिल्ला
चोरी करते खुल्लम - खुल्ला
एक था टोला एक था भोला
मिलकर फोडे बम का गोला
एक था कालू एक था भालू
दोनों जम के खाते आलू
एक थे नाना एक थी नानी
दोनों पीते ठंढा पानी
मैंने कह दी तुमने सुन ली
यंही से खत्म होती है कहानी
स्टुवर्ट
कक्षा ७, अपना घर

कविता:- एक थी चीटी एक थी जूँ

एक थी चीटी एक थी जूँ

कुकडू कू भई कुकडू कू
एक थी चीटी एक थी जूँ
चीटी बोली जूँ री जूँ
मै तो जाती टिम्बकटू
जूँ री बोली क्यूँ री क्यूँ
आई आंधी उड़ गई जूँ
चीटी रह गई ज्यों की त्यों
कुकडू कू भई कुकडू कू
एक थी चीटी एक थी जूँ
स्टुवर्ट
कक्षा ७, अपना घर

कविता:- हमारा दिमाग

हमारा दिमाग
दिमाग हमारा कितना अच्छा
अच्छी बाते करता है बच्चा
जहाँ पहुचे कोई
वहां पर पहुचें मन हमारा
सबसे अच्छा सबसे प्यारा
जब हम सोते है
तब भी वह जगता है
जाने वह कब सोता है
कभी नरम सा होता है
तो कभी कड़क सा होता है
दिमाग हमारा कितना अच्छा
अच्छी बाते करता है बच्चा
आदित्य कुमार
कक्षा ६, अपना घर

कविता:- आज का नेता

आज का नेता
कितना खराब नेता है भइया
ये तो बहुत घूसखोर है भइया
ये नियमो का उलंघन करते है भइया
इसे ऊँचे पद से हटाव भइया
नया नियम बनावो भइया
अपना भारत के चमकाओ भइया
कितना खराब नेता है भइया
ये तो बहुत घूसखोर है भइया
ये देश के लिए कुछ नही करते भइया
देश को बेच के खा जाते भइया
विकास के लिए पैसा आता है भइया
पर गाँव तक आते - आते
नेता लोग खा जाते भइया
कितना खराब नेता है भइया
ये तो बहुत घूसखोर है भइया
सागर कुमार
कक्षा ५, अपना घर