मंगलवार, 31 जनवरी 2012

कविता : ट्रैफिक

ट्रैफिक 

ट्रैफिक नियम है जबरजस्त,
जो जाम में फसा वो मोबाइल में है व्यस्त....
कभी दायें चलो कभी बाएं चलो ,
येसा है हमारा ट्रैफिक नियम .....
सबको सन्देश बचने का वो देता,
हर चौराहों पर ट्रैफिक पुलिश है खड़ा होता .....
जब जाम लगता है जबरजस्त ,
तब ट्रैफिक नियम होता है पस्त...... 

लेखक : जमुना कुमार 
कक्षा : 6
अपना घर 

रविवार, 29 जनवरी 2012

कविता : समय

 समय 

दोस्तों अगर करें बात हम समय की ,
तो ये है बड़ा ही अनमोल....
कहाँ, कब रुक जाए जिन्दगी,
इसलिए बोल सबसे मीठे बोल.....
समय नहीं करता किसी का इंतजार,
समय का करो तुम बहुत उपयोग....
क्या हो सकता है एक पल में,
एक पल को भी न करना दुर्पयोग.....
समय से अगर हम सभी काम करें,
तो न होगी कोई परेशानी......
समय का तुम उपयोग कर लो,
ख़त्म न होगी समय की कहानी.....
लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर  

मंगलवार, 24 जनवरी 2012

कविता : बचपन बीता

 बचपन बीता 

 बचपन बीता बचपन बीता ,
पता नहीं चला वह कब बीता.....
वे बचपन के दिन और बचपन की बातें,
आज भी आतीं हैं इन सब की यादें ......
हर कोई चाहता है कि मेरा बचपन लौट आये,
ताकि पुरानी यादों को फिर से ताजा कर पायें..... 
 याद आती है बचपन की वो कहानी ,
जो सुनाया करती थीं दादी और नानी......
लेखक : सागर कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर  

रविवार, 22 जनवरी 2012

कविता : कुछ बातें

 कुछ बातें 

अग्नि से प्यार नहीं करना ,
जल से खिलवाड़ नहीं करना .....
पराये को अपना समझना नहीं,
दुश्मन को दोस्त समझना नहीं ......
यारों की गलियों में जाना नहीं ,
बुरी आदतों को अपनाना नहीं .....
जगते हुये को सुलाना नहीं ,
 हँसते हुये को रुलाना नहीं .....
जिन्दगी के इस अमूल्य समय को,
तुम यूँ बर्बाद होने देना नहीं .......

लेखक : हंसराज कुमार 
कक्षा : 8 
अपना घर  

बुधवार, 18 जनवरी 2012

कविता : सफाई

 सफाई 

पास रखो अपने हरदम सफाई ,
नहीं होगी इससे बीमारी भाई .....
रोज नहाओ मसलकर तुम ,
होगी गन्दगी इससे गुम .....
कपड़े रखो हरदम साफ,
होगा इससे बहुत लाभ .....
वातावरण को भी रखो साफ तुम,
बीमारी होगी इससे गुम......

लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर  

सोमवार, 16 जनवरी 2012

कविता : नया साल

 नया साल
नए साल के इस सुहाने मौसम में ,
छाई हैं बादलों की काली घटाएं .....
गरज रहें हैं बरस रहें हैं ,
नए साल के इस सुहाने मौसम में ....
हवा चल रही ठंडी बड़ रही है ,
रुक रही चल रही है .....
 बह रही है ठंडी हवा,
नए साल के सुहाने मौसम में...........


लेखक : लवकुश कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर 

शनिवार, 14 जनवरी 2012

कविता : चूहा और बिल्ली

चूहा और बिल्ली 

एक बार की हम बात बताएं !
बात है वह चूहे और बिल्ली की !!
बड़े मजे की है वो बात!
नहीं बात है वो बर्फ की सिल्ली की !!
बिल्ली ने चूहे को पार्टी में किया इनवाईट !
एक तरफ डांस तो दूसरी तरफ फाइट !!
शराब पी रहे थे चूहे भाई !
उसे देख बिल्ली थी गुस्साई !!
बना लिया बिल्ली ने उसे खाने का प्लान  !
लेकिन तब तक पीछे से कुत्ता भौंका  !!
चूहा पहले ही समझ गया था !
भाग गया वह पाकर ये मौक़ !!

लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर  

शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

कविता - बरसात का मानसून

कविता - बरसात का मानसून 
 ठंडी में हैं क्या पानी बरसा .
जीव जंतु की हो गयी अब दुर्दशा.....
वर्षा से जब धरती पर गिरी बुँदे ,
 उस समय मुझे ऐसा लगा ......
जैसे आ गया हैं बरसात के ,
 महीने का मानसून ......
 अब धूप भी नहीं निकल रही हैं ,
 जमीन में अब पैर फिसल रहे .......
 कही धोखा न हो जाये ऐसा ,
 जिसमे लग जाये ढ़ेर सारा पैसा .......
 लेखक - ज्ञान कुमार  
 कक्षा - 8  अपना घर , कानपुर 

कविता -मौन को हैं तोड़ना

कविता -मौन को हैं तोड़ना
तू चला हैं ,
 किस रह पे  ......
दुनिया भर में झमेला हैं,
तूने गमों को झेला हैं....
 मासूमियत झलकती हैं ,
तेरे चेहरे पर .....
रहम करेगा कौन ,
तू तो हमेशा रहता हैं मौन .....
अब न चलेगा बहाना,
तुझे है यदि आगे बढ़ना ......
तो पड़ेगा तुझे मौन तोड़ना........
लेखक - आशीष कुमार 
कक्षा -9 अपना घर , कानपुर  

कविता - विज्ञान के चमत्कार

कविता - विज्ञान के चमत्कार 
 विज्ञान से हुए बहुत सारे चमत्कार ,
 तभी तो चल रही लगातार मोटर-कार.....
 गाड़ियों के लगातार चलने से ही ,
 हो रहा हैं प्रदूषण लगातार ......
 प्रदूषण हमें नहीं करना हैं ,
अपने - अपने  देश को अच्छे से रखना हैं.......
 लेखक - चन्दन कुमार 
 कक्षा - 6 अपना घर ,कानपुर


कविता - पावन अवसर पर

कविता - पावन अवसर पर 
 नये साल के पावन अवसर पर ,
 रह -रहे हैं  इस  धरती पर ......
 कुछ न कुछ कर के जाना हैं ,
 ना की नये साल पर खुशी मानते रहना हैं,
 सब कुछ कर सकता हूँ आने वाले हर पल में....  
 नये साल को खुसी से मना सकता हूँ ,
 तो समाज के लिए नये साल पर .......
 कुछ नहीं कर सकता हूँ ,
 हर नये साल पर हम कुछ न कुछ.......
सकल्प लेते है अपनी जिन्दगी के लिये,
 तो क्या समाज के लिए कुछ करने का ......
एक और सकल्प नहीं ले सकते हैं ,
नये साल के पावन अवसर पर .....
रह- रहे है इस धरती पर........
लेखक - सागर कुमार 
कक्षा - 8  अपना घर ,कानपुर  

रविवार, 8 जनवरी 2012

कविता - कृषि और विज्ञान

कविता - कृषि और विज्ञान 
 इस समय की कृषि ,
विज्ञान से बढ़ी ....
 विज्ञान ने इसको  कहाँ पहुँचाया,
 कृषि ने अपना स्थान बनाया....
प्राचीन कृषि को मिला,
हैं अब बढ़ावा .....
अब आप देखिए तो जगह- जगह,
 पर मिलेगे ढावा .....
 हर प्रकार के उधोग का,
 कृषि हैं आधार ......
 भारत में तो कृषि ,
 कि ही हैं भरमार ......
 इस समय की कृषि ,
 विज्ञान से बढ़ी ......
लेखक -सोनू  कुमार 
 कक्षा - 10  अपना घर ,कानपुर 


शनिवार, 7 जनवरी 2012

कविता- मामा जी

कविता- मामा जी 
 उल्टा पहन पजामा जी ,
आये मेरे मामा जी .....
 मामा जी भाई मामा जी ,
 दाने -दाने पर मरते हैं....
करते हैं हंगामा जी ,
 सीधे- साधे मामा जी....
खम्भे जैसे लम्बे हैं ,
कहलाते हैं मामा जी....
 बड़े जोर से चलते हैं ,
गाते सारे गाना जी ....
उल्टा पहन पजामा जी,
 आये मेरे मामा जी ....
लेखक - जीतेन्द्र कुमार 
कक्षा - 8 अपना घर ,कानपुर 

कविता - मानव अधिकार

कविता - मानव अधिकार 
 आज का नहीं यह संसार हैं ,
आज हैं मानव अधिकार हैं......
 जिसने मनाया जश्न विश्व   मानव   अधिकार का ,
 उसे यही नहीं पता होता क्या हैं मानव अधिकार .....
मानव अधिकार में मानव अपने ढंग से जीते हैं ,
 मानव अधिकार मानव के लिए होता हैं ......
 लेखक - चन्दन कुमार
 कक्षा - 6  अपना घर कानपुर

कविता - हुए हम सफल

कविता - हुए हम सफल 
 दर- दर की ठोकरे खाकर ,
 हम हुए घर से बेघर .....
 न मिली हमें  कोई मंजिल,
 हमेशा होते गए विफल .....
 जो सोचा वह हुआ नहीं ,
 जो न सोचा वही हुआ .....
 जिसे पाना चाहा वह न मिला,
 जिसे न चाहा वही मिला .....
 जिस रास्ते से गया पाये कांटे ही कांटे,
 जितने भी दुःख मिले किसी ने न बांटे ......
 दुःख के गमों को सहकर मिली एक पहल ,
 जिस पहल से हुए हम सफल ........
लेखक - आशीष कुमार 
 कक्षा - 9 अपना घर , कानपुर

गुरुवार, 5 जनवरी 2012

कविता - कर देगे हमको बदनाम

कविता - कर देगे हमको बदनाम 
 आये व्यापारी चार ,
 समान लाये आठ ......
 गये वे बाजार ,
 व्यापारी गये रूठ.....
 मीच के वे आँख ,
 पीटने लगे वे ढोल.... 
 हल्ला सुनकर आये चोर,
ले गये समान ......
 वे गये थाने ,
 बोले हजूर लुट गये हम....... 
 इतने में आये थाना इनचार्ज,
 बोले क्या हुआ यार .......
 ले आओ डंडे चार ,
 कर दो इनको बे हाल........
 जा न पाये अपने यहाँ ,
 मर जाये यही यार ......
 क्योकि हम हैं चोर यार,
 नहीं कर देगे हमको बदनाम ........
 लेखक - अशोक कुमार 
 कक्षा - 9  अपना घर , कानपुर

बुधवार, 4 जनवरी 2012

कविता - असफलता

कविता - असफलता 
 असफलता एक चुनौती   हैं, 
 उसे स्वीकार करो  .....
 उसमे  क्या कमी रह गयी,
 जब तक सफलता न मिले......
 नींद ,  चैन, आलस, को त्याग दो,
 जो हमें कार्य करने हैं उसमे मन को लगा दो  ......
 तभी आप सफलता की सीडी चढ़ पायेगे,
 हर कठिन कार्य को सरलता से कर पायेगे.......
लेखक - मुकेश कुमार 
 कक्षा - १० अपना घर , कानपुर

मंगलवार, 3 जनवरी 2012

कविता : अपनी भाषा को बढ़ाएं

 अपनी भाषा को बढ़ाएं 
अपनी भाषा दूर करे सबकी निराशा ,
सबके मन में एक ही आशा .....
मिल जुलकर सब रहें ,
धारा जैसे नदिया की बहें .....
कल-कल करे नदिया की धारा,
समुंदर का पानी है खारा ....
 समुंदर के पानी का रंग नीला-नीला ,
पानी के ऊपर बैठा था एक गुबरैला ....
हम सब मिलकर रहें या न रहें ,
नदियाँ की धारा जैसे क्यों बहें....
सब कोई अपना-अपना सोचते हैं ,
एक दूसरे को सब आपस में लूटते हैं  ......

लेखक : आशीष कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर