कविता -मौन को हैं तोड़ना
तू चला हैं ,
किस रह पे ......
दुनिया भर में झमेला हैं,
तूने गमों को झेला हैं....
मासूमियत झलकती हैं ,
तेरे चेहरे पर .....
रहम करेगा कौन ,
तू तो हमेशा रहता हैं मौन .....
अब न चलेगा बहाना,
तुझे है यदि आगे बढ़ना ......
तो पड़ेगा तुझे मौन तोड़ना........
तू चला हैं ,
किस रह पे ......
दुनिया भर में झमेला हैं,
तूने गमों को झेला हैं....
मासूमियत झलकती हैं ,
तेरे चेहरे पर .....
रहम करेगा कौन ,
तू तो हमेशा रहता हैं मौन .....
अब न चलेगा बहाना,
तुझे है यदि आगे बढ़ना ......
तो पड़ेगा तुझे मौन तोड़ना........
लेखक - आशीष कुमार
कक्षा -9 अपना घर , कानपुर
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